हिंदु धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्माचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्माचारिणी प्रेम, ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी कहा जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी का नाम "ब्रह्मा" से लिया गया है, जिसका अर्थ है ज्ञान, और "चारिणी" का अर्थ है भक्ति के मार्ग पर चलने वाली। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती का अविवाहित रूप हैं। उन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। कहते हैं कि तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने केवल फल, फूल और बिल्व पत्र ही खाकर जीवित रही थी। इसके बाद भी जब भगवान शिव नहीं मानें तो उन्होंने इसका भी त्याग कर दिया और बिना भोजन व जल के अपनी तपस्या जारी रखी। तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने सभी प्रकार के मौसमों का सामना किया लेकिन अपनी तपस्या खत्म नहीं की। माँ ब्रह्मचारिणी की यह तपस्या समर्पण और दृढ़ संकल्प की शक्ति को दर्शाती है। भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति आदर्श साथी पाने की प्रतिबद्धता और धैर्य का प्रतीक है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी स्वाधिष्ठान चक्र में निवास करती हैं, जो हमारे शरीर में एक ऊर्जा का केंद्र है और हमारी इच्छाओं को नियंत्रित करता है। इसी कारणवश कहा जाता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। मान्यता है कि यदि नवरात्रि के दूसरे दिन के शुभ अवसर पर मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित मूल मंत्र का जाप किया जाए तो मां ब्रह्मचारिणी द्वारा आर्दश जीवनसाथी को प्राप्त करने और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि इस दिव्य अनुष्ठान के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए तो यह पूजा कई गुना अधिक लाभकारी हो सकती है, क्योंकि दुर्गा सप्तशती को देवी दुर्गा का साक्षात रूप बताया गया है। दुर्गा सप्तशती में मौजूद 700 छंद राक्षसों पर मां दुर्गा की जीत की कथा बताते हैं। कहते है ब्रह्मचारिणी मूल मंत्र जाप एवं दुर्गा सप्तशती पाठ एक साथ करने से एक शक्तिशाली ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो मन और आत्मा को शुद्ध करती है। इसलिए, नवरात्रि के दूसरे दिन पर काशी के श्री दुर्गा कुंड मंदिर में 51,000 ब्रह्मचारिणी मूल मंत्र जाप और दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और मां दुर्गा और मां ब्रह्मचारिणी द्वारा आर्दश जीवनसाथी प्राप्त करने और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।