हिंदु धर्म में प्रत्येक माह की शुक्ल अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन देवी दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की अराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा करने के पीछे एक लोकप्रिय कथा है। एक बार पृथ्वी पर असुरों का आतंक फैल गया था और वो स्वर्ग पर विजय प्राप्त करने लगे थें। इस दौरान असुरों में सबसे शक्तिशाली राक्षस महिषासुर को हराने के लिए भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा ने शक्ति के रूप में देवी दुर्गा की रचना की और सभी देवताओं ने देवी को हथियार और कवच प्रदान किए। तब मां दुर्गा पृथ्वी पर प्रकट हुईं और राक्षसों का विनाश किया, तब से दुर्गा अष्टमी का त्यौहार मनाया जाने लगा। पुराणों में देवी दुर्गा को उनके विभिन्न स्वरूपों में शांति और समृद्धि प्रदान करने के साथ-साथ नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने वाली देवी के रूप में दर्शाया गया हैं। मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से वैवाहिक सुख मिलता है। शादी से जुड़ी समस्याओं हो या फिर मनचाहा जीवनसाथी पाने, या शादी में देरी से मुक्ति मिलती है।
वैसे तो भगवती का आशीष पाने के लिए विभिन्न जगहों पर कई प्रतापि मंदिर हैं। लेकिन महादेव की नगरी काशी में मौजूद दुर्गा कुंड मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, इसलिए यहां किए गए अनुष्ठान भी अत्यधिक फलदायी होते हैं। यह उन प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका उल्लेख काशी खंड में मिलता है। मान्यता है कि मां दुर्गा ने असुर शुंभ और निशुंभ का वध करने के बाद यहां विश्राम किया था। वहीं, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई विधि विधान अपनाते हैं जिनमें दुर्गा सप्तशती का पाठ काफी प्रचलित है। यह भक्तों के लिए बहुत शुभ माना गया है। दुर्गा सप्तशती के 13 पाठों का अपना महत्व है। मान्यता है कि इस पाठ को करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं दुर्गा सप्तशती पाठ में वैवाहिक जीवन सुख प्राप्ति मंत्र की व्याख्या भी की गई है। जो भी भक्त इस मंत्र का जाप करता है उसे मनाचाहा पार्टनर का आशीष प्राप्त होता है, साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशहाली का वरदान भी मिलता है। कहते हैं शिव और शक्ति एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसलिए माँ दुर्गा को पूर्ण रूप से प्रसन्न करने और उनसे मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की भी स्तुति की जाती है। इसलिए 1,25,000 वैवाहिक जीवन सुख प्राप्ति मंत्र जाप और हवन दुर्गाष्टमी के शुभ पर्व पर महादेव की नगरी काशी में की जाए तो अत्यधिक प्रभावशाली होगी। ऐसे में श्री मंदिर द्वारा श्री दुर्गा कुंड मंदिर में होने वाली इस भव्य अनुष्ठान में भाग लें और देवी मां का आशीष पाएं।