धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, स्कंद षष्ठी हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है क्योंकि यह भगवान स्कंद को समर्पित है। माता पार्वती एवं शिव के पुत्र भगवान स्कंद को युद्ध का देवता भी कहा जाता है वहीं, अन्य जगहों पर इन्हें मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्य सहित कई नामों से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को युद्ध के देवता कहलाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि तारकासुर नामक एक राक्षस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और वरदान प्राप्त किया कि केवल शिव का पुत्र ही उसे मार सकता है। वरदान मिलने के बाद, तारकासुर ने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। इससे परेशान होकर देवता भगवान विष्णु की शरण में गए, जिन्होंने बताया कि तारकासुर का वध भगवान कार्तिकेय यानि भगवान स्कंद ही कर सकते हैं। इसके बाद, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और तभी से उन्हें युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाने लगा। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को भगवान गणेश का छोटा भाई माना जाता है, जबकि उत्तर भारत में उन्हें भगवान गणेश का बड़ा भाई माना जाता है।
प्रचलित कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दक्षिण दिशा के देवता माने जाते हैं, क्योंकि वे अपने माता-पिता से नाराज होकर धरती पर दक्षिण दिशा में रहने आ गए थे। शास्त्रों के अनुसार, छह सिर वाले भगवान कार्तिकेय छह सिद्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं सिद्धियों के दाता के रूप में, कार्तिकेय की पूजा मुख्य रूप से तमिलनाडु में की जाती है। पुराणों में भगवान कार्तिकेय की पूजा के कई तरह के अनुष्ठान बताए गए हैं जिसमें से एक है शत्रु संहार त्रिशति होम। इस होम का अर्थ है 'शत्रुओं का नाश।' मान्यताओं के अनुसार, शत्रु संहार त्रिशति होम एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो जीवन में आने वाली अप्रत्याशित बाधाओं को दूर करता है और दुश्मनों से रक्षा करता है। इसके साथ ही यह अनुष्ठान एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जो अदृश्य शक्तियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है और आध्यात्मिक कल्याण सुनिश्चित करता है। स्कंद षष्ठी के शुभ दिन पर किए जाने पर इस होम का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए, स्कंद षष्ठी के शुभ दिन पर तिरुनेलवेली के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में शत्रु संहार त्रिशति होम का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त करें।