हिंदू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट संबंध को समर्पित होता है। इस त्योहार का नाम दो शब्दों से लिया गया है – ‘भाई,’ जिसका अर्थ है भाई, और ‘दूज,’ जो अमावस्या के बाद के दूसरे दिन का संकेत देता है। भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा और देखभाल का संकल्प लेते हैं। शास्त्रों के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के लिए कठोर तपस्या की थी। अपनी भक्ति के एक हिस्से के रूप में उन्हें शिवलिंग बनाकर महादेव की पूजा करनी थी, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद वे सूखी मिट्टी से शिवलिंग नहीं बना पा रही थीं। उनकी भक्ति को देखकर भगवान विष्णु ब्राह्मण के रूप में उनकी सहायता करने आए। उन्होंने माँ पार्वती को शिवलिंग बनाने में मदद की। भगवान विष्णु की इस सहायता के लिए माँ पार्वती ने उन्हें स्नेहपूर्वक ‘भाई’ कहकर संबोधित किया। भगवान विष्णु के सहयोग से माँ पार्वती ने शिवलिंग की पूजा पूरी की और अपने तप को जारी रखा। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने भाई के रूप में महादेव को विवाह के लिए भी सहमत किया। यह कथा उनके गहरे भाई-बहन के संबंध का प्रतीक है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान विष्णु की कलाई पर एक पवित्र राखी बांधी, जिससे उनका आध्यात्मिक भाई-बहन का संबंध सुदृढ़ हुआ। इसके बदले भगवान विष्णु ने माँ पार्वती को हर चुनौती से रक्षा करने का वचन दिया। इसी कारण कारणवश भाई दूज के दिन माँ पार्वती और भगवान विष्णु के लिए पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, माँ पार्वती की ही तरह माँ मीनाक्षी ने भी भगवान शिव से विवाह के लिए कठोर तपस्या की थी, क्योंकि माँ मीनाक्षी, माँ पार्वती का अवतार मानी जाती हैं। इसलिए इस दिन 11,000 मीनाक्षी मूल मंत्र जाप और कवच पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह पूजा माँ मीनाक्षी की कृपा प्राप्त कर सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है, जबकि कवच पाठ नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। इसके साथ-साथ, इस दिन भगवान विष्णु से जुड़ी एक शक्तिशाली साधना – सुदर्शन हवन करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। सुदर्शन हवन एक पवित्र अग्नि अनुष्ठान है, जो भगवान विष्णु के रौद्र और रक्षक रूप सुदर्शन को समर्पित होता है, जिसका प्रतीक सुदर्शन चक्र है। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान शिव ने सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को प्रदान किया था। मान्यताओं के अनुसार, मदुरै वह पवित्र स्थान है जहाँ माँ मीनाक्षी और भगवान शिव का सभी देवताओं की उपस्थिति में विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए मीनाक्षी मंत्र जाप और कवच पाठ का आयोजन इस पवित्र स्थान पर किया जाएगा। वहीं, सुदर्शन हवन का आयोजन श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में होगा, जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। मान्यता है कि इन पवित्र मंदिरों में भाई दूज के दिन इन विशेष अनुष्ठानों को करने से भय का नाश होता है और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।