श्री मंदिर चढ़ावा सेवा में आपको हुई असुविधा के लिए हमें अत्यंत खेद है। अगर आपको श्री मंदिर चढ़ावा सेवा से किसी भी प्रकार की समस्या है, जैसे- 1- अभी तक चढ़ावा पूरा क्यों नहीं हुआ? 2- चढ़ावा का वीडियो नहीं आया 3- चढ़ावे में आपका नाम गलत या न बोला गया हो 4- कोई अन्य समस्या चढ़ावा सेवा से जुड़ी तो आप हमें दिए हुए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
आप भक्तों के स्नेह और श्रद्धा की वजह से आज के लिए समस्त चढावे समाप्त हो चुके है| इसलिए ये सेवा आज के लिए उपलब्ध नहीं है| आप अन्य दिन इस सेवा का लाभ उठा सकते है | असुविधा क लिए खेद है|
भगवान महादेव को चढ़ावे में निम्न सामग्री का उपयोग किया जाता है- गंगाजल- मान्यता है कि मानसिक एवं पारिवारिक शांति के लिए शिव जी का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शंकर को गंगाजल परम प्रिय है, इसी कारण प्रभु ने गंगा को जटाओं में धारण कर रखा है। दूध- दूध से रुद्राभिषेक करने से मनुष्य को यश और लक्ष्मी की प्राप्ति होने के साथ घर में खुशहाली आती है एवं घर से हर प्रकार के कलह और क्लेश दूर होते हैं। धतूरा- महादेव के चरणों में धतूरा अर्पण करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार धतूरा चढ़ाना अति उत्तम माना गया है तथा उसे संतान सुख भी मिलता है। बिल्व पत्र- भक्ति भाव से महादेव पर "ऊँ नम:शिवाय" मंत्र के उच्चारण के साथ बिल्वपत्र चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि, पत्नी सुख और पारिवारिक कलह दूर होता है।
भगवान शिव के चरणों में चढ़ावा अर्पित करने पर निम्न लाभ होते हैं- लंबी आयु के साथ निरोगी शरीर की प्राप्ति होती है। सभी प्रकार के दोषों और उपद्रवों का निवारण होता है। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
अपने या अपने परिवार के नाम से चढ़ावा चढ़ाने के लिए सबसे पहले चढ़ावे का चुनाव करें फिर संकल्प के लिए अपना नाम दर्ज करें और अंत में दान राशि का भुगतान करें। राशि का भुगतान करने के तीन, चार दिन के अंदर आपके संकल्प के साथ चढ़ावा चढ़ा दिया जाएगा। जिसकी फोटो एवं वीडियो, डिजिटल प्रमाण पत्र के साथ आपको प्रदान की जाएगी। जिसे आप अपनी प्रोफाइल डिटेल में देख सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव सभी देवों के आराध्य हैं अत: यदि शिव जी के चरणों में चढ़ावा अर्पित किया जाए तो समस्त देवी देवताओं को स्वयं ही भोग और चढ़ावा अर्पित हो जाता है। साथ ही उन सभी के भोग का फल यजमान को प्राप्त होता है।
देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद तीर्थों की नगरी हरिद्वार यानि चारधाम की यात्रा का प्रवेशद्वार। चारधाम की यात्रा में से एक मुख्य और महत्वपूर्ण यात्राधाम है साक्षात भगवान शिव की उपस्थिति का धाम - केदारनाथ। कहा जाता है की नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन के बिना केदारनाथजी की यात्रा अधूरी रहती है। इसी मान्यता को पूर्णता का रूप देने के लिए नेपाल के राजा ने काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर एवं उसी कसौटी के पत्थर से शिवलिंग बनवाया और हरिद्वार में गंगाजी के तट पर, हर की पौड़ी के पास श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर की स्थापना की। हरिद्वार में पशुपतिनाथ का यह मंदिर नेपाल और भारत की साझा सनातन संस्कृति का प्रतीक है और यहां देश-विदेश से असंख्य भक्त बड़ी तादाद में पशुपतिनाथ महादेव का अभिषेक और पूजा करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करने का आशीष प्राप्त करते हैं। नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की तरह यहां पर नियमित आरती, पूजा और पशुपतिनाथ महादेव का रुद्राभिषेक किया जाता है।