जानें मासिक शिवरात्रि की तिथि, पूजा विधि, व्रत के नियम और महत्व।
शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण करते हैं उन पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है, और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत पूरे विधि विधान के साथ पूर्ण करते हैं उन पर भगवान शिव की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है, और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में शिव और शक्ति के संगम के पर्व को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वहीं शिवरात्रि का अर्थ शिव की रात्रि से है। इसलिए मासिक शिवरात्रि की रात को शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं शिवजी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्य रात्रि में अवतरित हुए थे। इसके कारण इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। मान्यता है कि हर माह आने वाली मासिक शिवरात्रि के व्रत को अगर पूरे विधि विधान से सम्पन्न किया जाए तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि की भी वृद्धि होती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:46 ए एम से 04:28 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:07 ए एम से 05:09 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:33 ए एम से 12:28 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:17 पी एम से 03:12 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:50 पी एम से 07:11 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:52 पी एम से 07:53 पी एम तक |
अमृत काल | 01:07 पी एम से 02:33 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:40 पी एम से 12:21 ए एम, 24 जून तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 03:16 पी एम से 05:09 ए एम, 24 जून तक |
हिंदू धर्म में शिव और शक्ति के संगम के पर्व को शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। वहीं शिवरात्रि का अर्थ शिव की रात्रि से है। इसलिए मासिक शिवरात्रि की रात को शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं शिवजी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्य रात्रि में अवतरित हुए थे। इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
मान्यता है कि हर मास आने वाली मासिक शिवरात्रि के व्रत को अगर पूरे विधि विधान से सम्पन्न किया जाए तो जातक को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा ये पर्व जीवन में सुख- सौभाग्य प्रदान करने वाला माना गया है।
कहते हैं भगवान शिव को नंदी से बड़ा ही लगाव है। इसलिए अगर इस दिन भगवान शिव की सवारी नंदी यानी बैल को हरा चारा खिलाते हैं जो जीवन में सुख समृद्धि की बढ़ोत्तरी होती है।
मान्यता ये भी है कि भगवान शिव शनिदेव के गुरु हैं। तो अगर कोई व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित हैं या शनि की ढैया या साढ़ेसाती के बुरे फल की प्राप्ति हो रही है। ऐसे में शिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव को काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें। साथ ही ‘ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से शिवजी के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।
संतान संबंधी परेशानी से मुक्ति के लिए शिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार इनका जलाभिषेक करें। इससे संतान संबंधी समस्याओं से निजात मिलता है। इसके अलावा व्यक्ति के मान-प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन अगर भगवान भोलेनाथ को गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें तो वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। साथ ही जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही है उन्हें इस दिन ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें अपनी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
इस विशेष दिन को अधिक मंगलकारी बनाने के लिए आप अपने परिवार के नाम से महादेव के किसी प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक करा सकते हैं। इससे परिवार का कल्याण होगा।
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