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चित्रगुप्त पूजा कब है

क्या आप जानते हैं चित्रगुप्त पूजा कब होती है? जानें इसका सही समय, महत्व और पूजा विधि, और इस पावन अवसर का पूरा लाभ उठाएं!

चित्रगुप्त पूजा के बारे में

चित्रगुप्त पूजा यम द्वितीया या भाईदूज के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर कर्मों का लेखा-जोखा शुद्ध रखने की प्रार्थना की जाती है। लेखन सामग्री, खाते-बही और ज्ञान की भी आराधना की जाती है।

चित्रगुप्त पूजा की सम्पूर्ण जानकारी

हिन्दू धर्म में कार्तिक शुक्ल द्वितीया का दिन चित्रगुप्त पूजा और यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का विशेष महत्व कायस्थ समाज के लिए है, क्योंकि भगवान चित्रगुप्त को उनका कुलदेवता माना जाता है। मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त हर प्राणी के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और न्याय के समय यमराज को प्रस्तुत करते हैं। इसीलिए उन्हें धर्म का संरक्षक और कर्मों का गुप्त लेखाकार कहा जाता है।

चित्रगुप्त पूजा के दिन विशेष रूप से कलम-दवात और बही-खातों की पूजा की जाती है। यह दिन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ज्ञान, बुद्धि और सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने के कारण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कब करते हैं चित्रगुप्त पूजा?

वर्ष 2025 में चित्रगुप्त पूजा बृहस्पतिवार, 23 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर आता है। इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता है।

  • चित्रगुप्त पूजा अपराह्न मुहूर्त – दोपहर 12:53 बजे से 03:09 बजे तक
  • अवधि – 2 घंटे 16 मिनट
  • द्वितीया तिथि प्रारम्भ – 22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 08:16 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त – 23 अक्टूबर 2025 को रात्रि 10:46 बजे

चित्रगुप्त पूजा 2025 के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:24 ए एम से 05:14 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:49 ए एम से 06:05 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:08 पी एम

विजय मुहूर्त

01:39 पी एम से 02:24 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:25 पी एम से 05:51 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:25 पी एम से 06:41 पी एम

अमृत काल

06:57 पी एम से 08:45 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:20 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 24

विशेष योग

सर्वार्थ सिद्धि योग

04:51 ए एम, अक्टूबर 24 से 06:06 ए एम, अक्टूबर 24

रवि योग

04:51 ए एम, अक्टूबर 24 से 06:06 ए एम, अक्टूबर 24

क्या है चित्रगुप्त पूजा?

चित्रगुप्त पूजा का पर्व विशेष रूप से कायस्थ समाज द्वारा मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त, यमराज के सहयोगी हैं और वे कलम-दवात के माध्यम से हर जीव के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इसी कारण इस दिन कलम-दवात, पुस्तकों और बही-खातों की पूजा का विशेष महत्व है।

क्यों मनाते हैं चित्रगुप्त पूजा?

  • भगवान चित्रगुप्त को धर्म का संरक्षक और कायस्थ समाज का अधिष्ठाता देवता माना जाता है।
  • मान्यता है कि चित्रगुप्त जी के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में न्याय और सत्य की स्थापना होती है।
  • इस दिन पूजा करने से मनुष्य के बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है और धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

चित्रगुप्त पूजा का महत्व

  • यह पर्व मनुष्य को अपने कर्मों का आत्मनिरीक्षण करने का अवसर देता है।
  • इस दिन पूजा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की वृद्धि होती है।
  • कायस्थ समाज के लिए यह दिन कुलदेवता की आराधना और आत्मचिंतन का पर्व है।
  • कलम-दवात की पूजा से ज्ञान, बुद्धि और लेखन क्षमता की वृद्धि होती है।

कौन हैं चित्रगुप्त?

चित्रगुप्त भगवान यमराज के सहयोगी और धर्म के संरक्षक माने जाते हैं। इन्हें प्रत्येक प्राणी के जन्म से मृत्यु तक के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता कहा जाता है। यही कारण है कि इन्हें “कर्मों का गुप्त लेखाकार” भी कहा जाता है।

कौन से लोग करते हैं चित्रगुप्त पूजा?

विशेष रूप से कायस्थ समाज के लोग चित्रगुप्त पूजा करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने कुलदेवता के रूप में मानते हैं। इसके अलावा ज्ञान, बुद्धि, लेखन और प्रशासन से जुड़े लोग भी इस दिन कलम-दवात, बही-खाता और पुस्तकों की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

चित्रगुप्त पूजा की सामग्री लिस्ट

  • चित्रगुप्त जी की मूर्ति या चित्र
  • लाल वस्त्र (चौकी पर बिछाने के लिए)
  • कलम, कागज़ और दवात
  • बही-खाता और पुस्तकों का संग्रह
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत
  • फूल (पीले या लाल रंग के)
  • दीपक और घी
  • अगरबत्ती
  • जल, नैवेद्य (फल, मिठाई)
  • पवित्र थाली (पूजा सामग्री रखने के लिए)

चित्रगुप्त पूजा की विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को शुद्ध कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएँ।
  • भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • कलम-दवात, बही-खाता और पुस्तकें भी उनके सामने रखें।
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल, दीपक और प्रसाद अर्पित करें।
  • भगवान चित्रगुप्त के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
  • अंत में कलम-दवात को प्रणाम कर अपने जीवन को धर्ममय बनाने का संकल्प लें।

चित्रगुप्त पूजा पर कागज़, कलम और दवात का महत्व

चित्रगुप्त जी को कर्मों का लेखाकार माना जाता है। उनके सामने कागज़, कलम और दवात रखने का उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपने अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा उन्हें अर्पित करता है और उनसे ज्ञान, विवेक, बुद्धि और लेखन क्षमता की प्राप्ति करता है। इन वस्तुओं का पूजन करने से छात्रों, लेखकों, शिक्षकों, और प्रशासन से जुड़े लोगों को विशेष आशीर्वाद मिलता है।

चित्रगुप्त पूजा के लाभ

  • ज्ञान, बुद्धि और विवेक की वृद्धि होती है।
  • लेखन, शिक्षा, न्याय और प्रशासन से जुड़े लोगों को विशेष सफलता मिलती है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • जीवन में धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना होती है।
  • व्यक्ति के बुरे कर्मों का प्रभाव कम होकर पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • माता-पिता, गुरुओं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चित्रगुप्त पूजा के दिन क्या करना चाहिए?

  • प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • चित्रगुप्त जी के सामने कलम-दवात, कागज़ और बही-खाता रखें।
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
  • दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • चित्रगुप्त मंत्र का जाप करें और आरती करें।
  • पूजा के बाद परिवार और बच्चों को शिक्षा, ज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।
  • जरूरतमंदों को दान दें, इससे पुण्य की वृद्धि होती है।
  • अपने कर्मों का लेखा-जोखा सोचें और आत्मनिरीक्षण करें।

चित्रगुप्त पूजा के दिन क्या न करें?

  • झूठ, चोरी और अन्य गलत कर्म न करें।
  • पूजा के समय ध्यान भटकाने वाले कार्यों से बचें।
  • अनावश्यक विवाद या गुस्सा न करें।
  • कलम, कागज़ और बही-खातों को अपवित्र हाथों से न छुएं।
  • पूजा स्थल को गंदा या अव्यवस्थित न छोड़ें।
  • भोजन या वस्तुएं बिना शुद्धता के अर्पित न करें।

चित्रगुप्त जी के प्रमुख मंदिर

जबलपुर (मध्यप्रदेश) – 250 वर्ष प्राचीन मंदिर, जहाँ हर वर्ष होली के अगले दिन विशेष पूजा होती है। खजुराहो (मध्यप्रदेश) – ग्यारहवीं शताब्दी में बने मंदिर, जिनकी वास्तुकला अद्भुत है। थाईलैंड – भारत से बाहर भी चित्रगुप्त जी की पूजा होती है।

चित्रगुप्त पूजा आत्मचिंतन और धर्म की राह पर चलने का पर्व है। इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति को न्यायप्रिय जीवन जीने की शक्ति मिलती है और परिवार पर भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद बना रहता है।

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Published by Sri Mandir·October 16, 2025

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