इस विशेष पर्व को मनाने के लिए आवश्यक योग्यताएं और पूजा विधि के बारे में पूरी जानकारी।
छठ पर्व प्राकृतिक सौंदर्य, पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। छठ पर्व या छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला लोक पर्व है। इस पूजा में नदी और तालाब का विशेष महत्व है यही कारण है कि छठ पूजा के लिए उनकी साफ सफाई की जाती है और उनको सजाया जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि इस पर्व को कौन-कौन कर सकता है?
ज्यादातर विवाहित महिलाएं ही छठ पूजा करती हैं, ऐसा देखा जाता है कि महिलाएं अनेक कष्ट सहकर पूरे परिवार के कल्याण की न केवल कामना करती हैं, बल्कि इसके लिए तरह-तरह के यत्न करने में पुरुषों से आगे रहती हैं। इसे महिलाओं के त्याग-तप की भावना से जोड़कर देखा जा सकता है।
यह सूर्य उपासना का व्रत होता है. इसमें कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत वर्जित है. क्योंकि सूर्य का आराधना केवल महिला ही कर सकती है। ऐसा माना जाता है कि कुंवारी अवस्था में ही कुंती ने सूर्य उपासना की थी और वह मां बन गई थी. इस वजह से कुंवारी लड़कियों को सूर्य की उपासना, छठ व्रत करना वर्जित है।
वह पुरुष जिनका यज्ञोपवितम संस्कार हो चुका है या फिर जो विवाहित पुरुष हैं, केवल वही सूर्य की उपासना छठ व्रत के दौरान कर सकते हैं।
सूर्य का आराधना महिलाएँ कर सकती है. इस विषय में सूर्य की उपासना जो कोई सधवा (सुहागिन) हो या विधवा हो वह कर सकती हैं।
छठ पूजा कोई विवाहित महिला या पुरुष कर सकते हैं। पर इतना जरूर देखा जाता है कि महिलाएं संतान की कामना से या संतान के स्वास्थ्य और उनके दीघार्यु होने के लिए यह पूजा अधिक बढ़-चढ़कर और पूरी श्रद्धा से करती हैं।
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