माँ स्कंदमाता की कथा
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

माँ स्कंदमाता की कथा

नवरात्रि के पाँचवे दिन पूजी जाने वाली माँ स्कंदमाता की पावन कथा, स्वरूप और पूजन विधि जानें। उनकी कृपा से भक्तों को मिलता है मोक्ष, ज्ञान और जीवन में शांति।

मां स्कंदमाता के बारे में

नवरात्रि के पाँचवें दिन, शक्ति की देवी दुर्गा के पाँचवें स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ‘स्कंद’ शब्द भगवान कार्तिकेय (मुरुगन) के लिए प्रयोग होता है, और ‘माता’ का अर्थ है माँ। इस प्रकार, माँ स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं। उनका यह स्वरूप वात्सल्य, करुणा और ममता का प्रतीक है। इस लेख में जानिए मां कूष्मांडा से जुड़ी कथा और उनके महत्व के बारे में।

माँ स्कंदमाता: नवरात्रि का पांचवा दिन

माँ स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। उनके दो हाथों में कमल का फूल है, जबकि एक हाथ से उन्होंने अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है। उनका चौथा हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को आशीर्वाद देता है। वह एक कमल के आसन पर विराजमान हैं, और उनका वाहन सिंह है। यह स्वरूप उनकी सौम्यता और शक्ति का अद्भुत संगम है। कमल का फूल उनकी पवित्रता और शांति का प्रतीक है, जबकि सिंह उनकी शक्ति और निर्भयता को दर्शाता है।

माँ स्कंदमाता से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था। उसने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे यह वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र ही कर सकते हैं। इस वरदान के कारण तारकासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था, और देवता भी उसके अत्याचारों से त्रस्त थे।

सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे इस समस्या का समाधान करने की प्रार्थना की। ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि केवल भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र ही तारकासुर का वध कर सकते हैं। उस समय भगवान शिव गहन तपस्या में लीन थे। देवताओं ने कामदेव से मदद मांगी, ताकि वे भगवान शिव की तपस्या भंग कर सकें और देवी पार्वती से उनका विवाह हो सके।

कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग की, जिससे शिव जी क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। बाद में, शिव जी ने देवी पार्वती से विवाह किया और उनके पुत्र के रूप में भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ।

भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति बनाया गया और उन्होंने तारकासुर का वध किया। क्योंकि माँ स्कंदमाता ने भगवान कार्तिकेय को जन्म दिया, उनकी देखभाल की और उन्हें युद्ध के लिए तैयार किया, इसलिए उन्हें वात्सल्य और ममता की देवी के रूप में पूजा जाता है। वह अपने भक्तों को भी उसी तरह प्रेम और स्नेह प्रदान करती हैं, जैसे वह अपने पुत्र स्कंद को करती हैं।

divider
Published by Sri Mandir·September 23, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
Card Image

माँ सिद्धिदात्री के मंत्र

माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों और उपलब्धियों की देवी मानी जाता है, इनके मंत्र मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि प्रदान करने में सहायक होते हैं। माँ सिद्धिदात्री की आराधना से आप अपने जीवन में सफलता और सुख के नए मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

right_arrow
Card Image

माँ महागौरी के मंत्र

मां महागौरी के शक्तिशाली और पवित्र मंत्र जीवन में शांति, समृद्धि और पवित्रता लाने के साथ-साथ सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक माने जाते हैं। इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों को दिव्य आशीर्वाद, आत्मिक शुद्धि और अद्वितीय शक्ति मिल सकती है।

right_arrow
Card Image

माँ कालरात्रि के मंत्र

माँ कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।

right_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook