माता कात्यायनी का बीज मंत्र क्या है?
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माता कात्यायनी का बीज मंत्र क्या है?

क्या आप जानते हैं माँ कात्यायनी का बीज मंत्र कौन सा है और इसके जप से भक्तों को क्या विशेष फल प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।

मां कात्यायनी के बीज मंत्र के बारे में

मां कात्यायनी नवदुर्गा का छठा स्वरूप हैं और उन्हें शक्ति, साहस और इच्छाओं की पूर्ति का स्त्रोत माना जाता है। उनके बीज मंत्र का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से मनोकामनाओं की प्राप्ति और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। इस लेख में जानिए मां कात्यायनी के बीज मंत्र का महत्व, उसके जाप की विधि और उससे मिलने वाले विशेष लाभ।

माँ कात्यायनी का जन्म और महिमा

माँ कात्यायनी नवरात्रि के छठे दिन पूजित देवी हैं। वे माँ दुर्गा का छठा स्वरूप मानी जाती हैं और शक्ति, साहस तथा विजय की प्रतीक हैं। पुराणों के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य जन्म का उद्देश्य पृथ्वी पर शक्ति और धर्म की स्थापना करना था।

माता कात्यायनी का बीज मंत्र क्या है?

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

यह माँ कात्यायनी या माँ त्रिपुरासुंदरी के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली बीज मंत्र माना जाता है।

क्लीं: यह बीज मंत्र शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का प्रतीक है।

श्री त्रिनेत्रायै नमः का अर्थ है “तीन नेत्रों वाली देवी को मेरा नमन।”

इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को साहस, मानसिक शक्ति, मनोकामना की पूर्ति और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्राप्त होती है।

बीज मंत्र का महत्व

  • अच्छा जीवनसाथी: नियमित मंत्र जाप से उपयुक्त और शुभ वर की प्राप्ति में मदद मिलती है।

  • विवाह में प्रेम और सामंजस्य: यह मंत्र पति-पत्नी के बीच समझदारी, प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है।

  • रिश्तों में सकारात्मक ऊर्जा: मंत्र जाप से घर और परिवार में सकारात्मक वातावरण बना रहता है और नकारात्मक भावनाएँ कम होती हैं।

  • संकट और बाधाओं से सुरक्षा: विवाह और संबंधों में आने वाली कठिनाइयाँ और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।

  • सुख-शांति और मनोकामना की पूर्ति: इस मंत्र का नियमित जप करने से परिवार और जीवन में सुख-शांति आती है और इच्छाएँ पूरी होती हैं।

जाप विधि

1. स्नान

  • मंत्र जाप शुरू करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ करें और माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र रखें।

2. पूजा स्थल की सजावट

  • दीपक, अगरबत्ती और धूप जलाएँ।
  • लाल या पीली चुनरी बिछाएँ।
  • फूल, अक्षत और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।

3. मंत्र का चयन

  • बीज मंत्र: “क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः”
  • यह मंत्र शक्ति, साहस और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है।

4. जाप की मात्रा और माला का प्रयोग

  • जाप के लिए 108 माला का उपयोग करना शुभ होता है।
  • प्रत्येक जप पर एक मोती को उंगली से छूते हुए मंत्र का उच्चारण करें।
  • यदि माला न हो, तो मन में मंत्र का जप भी किया जा सकता है।

5. जाप का समय और अवधि

  • नवरात्रि के छठे दिन सुबह या संध्या समय मंत्र का जाप करना सबसे अधिक लाभकारी है।
  • मंत्र जाप के दौरान मन शांत और एकाग्र होना चाहिए।
  • 108 बार जाप के बाद, हाथ जोड़कर देवी से आशीर्वाद प्राप्त करें।

6. जाप के दौरान ध्यान

  • मंत्र जाप करते समय माँ के दिव्य रूप का ध्यान करें।
  • उनकी चार भुजाएँ, कमल और तलवार तथा सिंह पर सवार रूप की कल्पना करें।
  • ध्यान के साथ जप करने से मंत्र का प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है।

7. जाप के बाद

  • जाप पूरा होने पर दीपक और अगरबत्ती को तीन बार घुमाकर आरती करें।
  • भोग या फल अर्पित करें।
  • इस मंत्र जाप से प्राप्त सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में अनुभव करें और देवी की कृपा प्राप्त करें।

माता कात्यायनी बीज मंत्र जप के लाभ

1. शक्ति और साहस बढ़ाना

  • इस मंत्र का जाप करने से मानसिक और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
  • भय और असुरक्षा का अनुभव कम होता है।

2. सकारात्मक ऊर्जा का संचार

  • घर और मन में सकारात्मकता बनी रहती है।
  • नकारात्मक विचार और ऊर्जा दूर होती है।

3. सफलता और उन्नति

  • जीवन में प्रयासों में सफलता और तरक्की मिलती है।
  • पढ़ाई, कामकाज या व्यवसाय में प्रगति होती है।

4. मनोकामना की पूर्ति

  • नियमित जाप से इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • अविवाहित कन्याओं के लिए अच्छे वर की प्राप्ति में मदद मिलती है।

5. देवी की कृपा और सुरक्षा

  • माँ कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • संकट और परेशानियों से सुरक्षा मिलती है।

निष्कर्ष

माँ कात्यायनी की आराधना से भक्तों को साहस और आंतरिक शक्ति मिलती है। इस पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं और वे कठिनाइयों से सुरक्षित रहते हैं। नवरात्रि में इस दिन उन लोगों को जरूर पूजा करनी चाहिए जिनकी शादी नहीं हो रही है या जिनके रिश्ते में किसी तरह की समस्या है। माता की कृपा से लोगों के निजी जीवन में खुशियां आती हैं।

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Published by Sri Mandir·September 26, 2025

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