क्या आप जानते हैं माँ कात्यायनी किस रंग को सबसे प्रिय मानती हैं और इस रंग का उपयोग पूजा में करने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें संपूर्ण जानकारी।
नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी माँ के अलग-अलग स्वरूप की उपासना को समर्पित होता है। छठे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं ‘माँ कात्यायनी’। वे साहस, शक्ति और विजय की प्रतीक हैं। भक्तों का विश्वास है कि माँ कात्यायनी की आराधना से भय व दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने देवी माँ की कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति और साधना से प्रसन्न होकर माँ ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण उन्हें ‘कात्यायनी’ कहा गया।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। वे कमल पर विराजमान रहती हैं। उनकी चार भुजाएं है, माता की एक भुजा में तलवार है, जो असुर शक्तियों के विनाश का प्रतीक है। दूसरी भुजा में कमल है, जो पवित्रता और शांति का द्योतक है। तीसरी भुजा से वे भक्तों को अभय प्रदान करती हैं और चौथी भुजा से आशीर्वाद देती हैं। माता कात्यायनी के स्वरूप से यह संदेश मिलता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
महिषासुर वध की कथा विशेष रूप से माँ कात्यायनी से जुड़ी हुई है। जब महिषासुर ने अपने अहंकार और शक्ति के बल पर देवताओं पर अत्याचार करना शुरू किया, तब देवी ने कात्यायनी रूप धारण किया। उन्होंने महिषासुर के साथ घमासान युद्ध किया और अंततः उसका वध कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘महिषासुर मर्दिनी’ भी कहा जाता है।
माँ कात्यायनी को लाल और पीला रंग अत्यंत प्रिय है। है। यह दोनों रंग देवी की शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक माने गए हैं।
लाल रंग- सनातन धर्म में लाल रंग को मंगल, शक्ति, सौभाग्य और शुभता का प्रतीक माना गया है। विशेषकर देवी पूजा में लाल वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
पीला रंग- यह ज्ञान, शुद्धता, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। पीला रंग सूर्य और प्रकाश का द्योतक है। यह रंग साधक के मन को शांति और ऊर्जा दोनों प्रदान करता है।
माँ कात्यायनी के प्रिय रंगों का विशेष महत्व है। लाल रंग शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। यही कारण है कि नवरात्रि में माँ को लाल चुनरी और लाल पुष्प अर्पित किए जाते हैं। लाल वस्त्र पहनकर माँ की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लाल रंग सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मान्यता है कि विवाहित स्त्रियां या पुरुष यदि लाल रंग का वस्त्र पहनकर मां कात्यायनी की उपासना करते हैं, तो उनके जीवनसाथी दीर्घायु होते हैं, साथ कुंवारी कन्याओं व पुरुषों को भी लाल वस्त्र पहन कर माता का पूजन करने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
पीला रंग शुद्धता, भक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। यह रंग साधक के मन को शांत करता है, और उनमें बुद्धि व ज्ञान का संचार करता है। ये रंग जातक के जीवन से नकारात्मकता को दूर करता और सकारात्मता लाता है। इसलिए माँ कात्यायनी की पूजा में पीले वस्त्र और पुष्पों का उपयोग करना भी शुभ माना गया है।
प्रातः स्नान करके स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें। यदि संभव हो तो मां कात्यायनी की पूजा के समय लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
घर के पूजा स्थल पर माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उसे लाल या पीले वस्त्र से सजाएँ।
पूजा में धूप, दीपक, चंदन, रोली, अक्षत, पीले और लाल फूल, शहद, गुड़ और चने का उपयोग करें।
अब श्रद्धापूर्वक “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
माँ को शहद का भोग लगाएँ क्योंकि शास्त्रों के अनुसार शहद उन्हें अत्यंत प्रिय है।
अंत में आरती कर माँ से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी दुख व भय दूर करें और सुख-समृद्धि प्रदान करें।
ये थी नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाने वाली देवी ‘माँ कात्यायनी’ के स्वरूप के बारे में विशेष जानकारी। देवी कात्यायनी की आराधना से साधक को अपार साहस और विजय की प्राप्ति होती है। उनकी उपासना से भय और विघ्न दूर होते हैं तथा जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
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