चैत्र नवरात्री और शारदीय नवरात्री में क्या फर्क है?
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चैत्र नवरात्री और शारदीय नवरात्री में क्या फर्क है?

क्या आप जानते हैं चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में क्या फर्क है? जानिए समय, महत्व, पूजा विधि और धार्मिक मान्यता की पूरी जानकारी आसान हिंदी में।

चैत्र नवरात्री और शारदीय नवरात्री में अंतर के बारे में

चैत्र नवरात्रि व शारदीय नवरात्रि दोनों ही देवी दुर्गा की आराधना के प्रमुख पर्व हैं। चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है जबकि शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में। दोनों में उपवास, पूजन और आध्यात्मिक साधना की जाती है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में क्या अंतर है?

हिंदू धर्म में साल भर कुल चार नवरात्रि आती हैं। इनमें से दो सामान्य नवरात्रि (चैत्र और आश्विन माह में) और दो गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ और माघ माह में) होती हैं। गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए खास मानी जाती हैं, जबकि सामान्य नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से होगी, क्योंकि आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा इस दिन शुरू होगी। यह नवरात्रि 1 अक्टूबर को महानवमी के साथ समाप्त होगी।

शारदीय नवरात्रि क्या है?

शारदीय नवरात्रि एक धार्मिक पर्व है, जो हर साल आश्विन माह (सितंबर–अक्टूबर) में आता है। यह नवरात्रि खास मानी जाती है क्योंकि इसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व नौ दिनों तक चलता है और भक्त उपवास, भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ करते हैं। शारदीय नवरात्रि का समापन विजयादशमी या दशहरा के दिन होता है, जब माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसे अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। यही वजह है कि यह नवरात्रि पूरे भारत में बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्रि क्या है?

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो साल के चैत्र महीने (मार्च–अप्रैल) में आता है। यह नवरात्रि भी नौ दिनों तक मनाई जाती है और इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से वसंत ऋतु में मनाई जाती है और यह शारदीय नवरात्रि के बाद साल की दूसरी सामान्य नवरात्रि होती है। लोग इस दौरान उपवास रखते हैं, मंदिर जाते हैं और माता की भक्ति में लीन रहते हैं। अंतिम दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि यह भगवान राम के जन्म से जुड़ा होता है

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर और समानताएं

समानताएं (चैत्र और शारदीय नवरात्रि में क्या-क्या एक जैसा है)

  • दोनों नवरात्रि मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए मनाई जाती है।
  • दोनों में लोग 9 दिन उपवास रखते हैं और दुर्गा सप्तशती या देवी माहात्म्य का पाठ करते हैं।
  • दोनों नवरात्रि में कलश स्थापना, हवन और कन्या पूजन की परंपरा होती है।
  • दोनों ही पर्व धर्म की अधर्म पर विजय और शक्ति की आराधना के प्रतीक हैं।
  • दोनों के अंत में दशमी (10वें दिन) का विशेष महत्व होता है।

चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल में)

  • चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होती है। इसे वसंत ऋतु की नवरात्रि कहा जाता है। इसकी कथा में बताया जाता है कि देवी ने महिषासुर वध के लिए अपने नौ रूप प्रकट किए थे। चैत्र नवरात्रि का अंत राम नवमी के रूप में होता है। इसे नया साल (हिंदू पंचांग का आरंभ) भी माना जाता है, इसलिए इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।

शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर में)

  • आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होती है। इसे शरद ऋतु की नवरात्रि कहा जाता है। इस समय देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिन युद्ध हुआ और 10वें दिन महिषासुर वध हुआ। इसका अंत विजयादशमी (दशहरा) के रूप में होता है। इस नवरात्रि में भगवान राम द्वारा रावण वध का भी उत्सव जुड़ा है, इसलिए इसे सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक माना जाता है।
  • अंतर
  • चैत्र नवरात्रि: वसंत ऋतु में, राम नवमी तक, नया साल और सृजन का प्रतीक।
  • शारदीय नवरात्रि: शरद ऋतु में, विजयादशमी तक, असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक।

नवरात्रि शक्ति की उपासना का पर्व है, जिसे वर्ष में चार बार मनाया जाता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व विशेष माना गया है। दोनों ही नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना और उपवास के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका उद्देश्य भक्तों को शक्ति, भक्ति और सद्गुणों की ओर प्रेरित करना है। चैत्र नवरात्रि नए आरंभ और सृजन का प्रतीक है, जबकि शारदीय नवरात्रि सत्य की असत्य पर विजय का संदेश देती है। दोनों नवरात्रि भक्तों को शक्ति, साहस और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती हैं।

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Published by Sri Mandir·September 25, 2025

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