चंद्र मंगल योग व्यक्ति को साहस, मानसिक दृढ़ता और संघर्ष में सफलता प्राप्त करने का योग है। यह योग जीवन में शौर्य और आत्मविश्वास का संकेत है।
चंद्र मंगल योग तब बनता है जब चंद्रमा और मंगल ग्रह एक ही भाव में स्थित हों या परस्पर दृष्टि संबंध बनाएं। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति धनवान, साहसी और ऊर्जावान होता है। चंद्र मंगल योग विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि और व्यवसाय में सफलता का संकेत देता है। यह योग व्यक्ति को आत्मनिर्भर, प्रेरणादायक, और दृढ़ निश्चयी बनाता है, जिससे वह जीवन में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त करता है।
चंद्र-मंगल योग एक महत्वपूर्ण और शुभ योग माना जाता है। ये तब बनता है जब चंद्रमा और मंगल किसी कुंडली में एक साथ (समान भाव में) स्थित हों, या परस्पर दृष्टि संबंध बनाएं। इसे "लक्ष्मी योग" भी कहा जाता है, क्योंकि ये व्यक्ति को धन, समृद्धि और सफलता प्रदान कर सकता है।
चंद्र-मंगल योग वैदिक ज्योतिष में तब बनता है जब कुंडली में चंद्रमा और मंगल एक विशेष संबंध में हों। इस योग को "धन और समृद्धि का योग" भी कहा जाता है, क्योंकि ये जातक को धन, सफलता और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
इस योग का प्रभाव जातक की कुंडली में चंद्रमा और मंगल की स्थिति, राशि, और भाव पर निर्भर करता है।
अगर कुंडली में मंगल अशुभ या नीच का हो, या चंद्रमा कमजोर हो, तो यह योग अपने पूर्ण फल नहीं दे पाता। इसके लिए उचित उपाय करना चाहिए।
चंद्र-मंगल योग जातक के जीवन में सफलता, धन, और प्रतिष्ठा लाने में मदद करता है। यह योग विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो व्यापार, राजनीति, या नेतृत्व से जुड़े क्षेत्र में काम करते हैं।
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जानें कुंडली के 12 भाव का महत्व, उनके कारक ग्रह और जीवन में उनके प्रभाव के बारे में।
विपरीत राजयोग तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रह एक साथ जुड़कर सकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं। यह योग व्यक्ति को जीवन की कठिन परिस्थितियों से उबारने और अप्रत्याशित सफलता देने का योग है।
शकट योग तब बनता है जब चंद्रमा और सूर्य की स्थिति कुंडली में विशेष रूप से अशुभ स्थान पर होती है। यह योग व्यक्ति को मानसिक तनाव, जीवन में संघर्ष और समस्याओं का सामना करने का संकेत देता है।