नृसिंह विजय कवच
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नृसिंह विजय कवच

क्या आप भय, शत्रु या अदृश्य बाधाओं से परेशान हैं? भगवान नृसिंह का यह दिव्य कवच विजय और सुरक्षा प्रदान करता है। जानें नृसिंह विजय कवच की शक्तिशाली पाठ विधि और इसके अद्भुत लाभ।

नृसिंह विजय कवच

नृसिंह विजय कवच आत्मविश्वास और मानसिक बल को बढ़ाता है साथ ही भय, शंका और बाधाओं से जूझ रहे लोगों की मदद करता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम जानते हैं अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी स्तोत्र के बारे में।

नृसिंह विजय कवच क्या है?

भगवान नृसिंह, श्री हरि विष्णु के अवतार हैं उन्हें बहुत ही शक्तिशाली माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे अपने भक्तों की हर हाल में रक्षा करते हैं। उनका ये रूप आधा मनुष्य और आधा शेर जैसा है—ऊपरी भाग शेर के चेहरे जैसा और शरीर मानव जैसा होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वे भगवान विष्णु के सबसे उग्र रूपों में से एक हैं, जो नकारात्मक शक्तियों से भक्तों की रक्षा करते हैं। यदि कोई बड़ी परेशानी में है, तो उसे भगवान नृसिंह की पूजा करनी चाहिए, जिससे जीवन की सारी नकारात्मकता दूर हो सके।

नृसिंह विजय कवच श्लोक 

नृसिंहो मे शिरः पातु, लोकरक्षा गरुड़ध्वजः।  

सर्वगोऽपि स्तंभवासः, फालं मे रक्षतु ध्रुवम् ॥ १ ॥  

नृसिंहः पातु मे नेत्रे, यज्ञ रूपो महाबलः।  

नृसिंहः पातु मे कर्णौ, नरशिंहोऽघनाशनः ॥ २ ॥  

नृसिंहः पातु मे नासां, सिंहनादो महाबलः।  

मुखं पातु महावीर्यः, जिव्हां मे पातु संजनः ॥ ३ ॥  

दंष्ट्रा करालो मे पातु, नृहरिः सर्वमंगलः।  

पातु मे सर्वगात्राणि, योगानन्दो निरंजनः ॥ ४ ॥  

हृदयं पातु मे नित्यं, नृसिंहो रक्षकः प्रभुः।  

मध्यं पातु हिरण्याक्षविध्वंसः सर्वतः प्रभुः ॥ ५ ॥  

नाभिं मे पातु नृहरिः, स्वाधिष्ठानं च चक्रिणः।  

गुह्यं मे पातु योगीशः, मूलाधारं निरंजनः ॥ ६ ॥  

जानुनी पातु मे भीमो, गूळ्फौ मे पातु विक्रमः।  

नृसिंहः पातु मे पादौ, योगानन्दो निरंजनः ॥ ७ ॥  

सर्वाङ्गं मे सदा पातु, नृसिंहो रक्षकः प्रभुः।  

इतिदं कवचं पुण्यं, ब्रह्मणा निर्मितं पुरा ॥ ८ ॥  

यः पठेत् प्रयतो नित्यं, सर्वपापैः प्रमुच्यते।  

पुत्रवान् धनवान् लोके, दीर्घायुः समजायते ॥ ९ ॥  

नृसिंह विजय कवच लाभ 

1. भय और शत्रु से सुरक्षा

भगवान नृसिंह अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं। नृसिंह विजय कवच का पाठ करने से किसी भी तरह के डर से छुटकारा मिलता है। अगर कोई शत्रुओं से परेशान है या उस पर नकारात्मक शक्तियों का असर हुआ है, तो यह कवच उसकी रक्षा करता है। भूत-प्रेत, बुरी नजर, जादू-टोना और अनिष्ट शक्तियाँ इस कवच के प्रभाव से दूर हो जाती हैं।

2. बीमारियों से मुक्ति और मन की शांति

यह कवच न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है या बार-बार छोटी-बड़ी बीमारियों से परेशान है, तो नृसिंह कवच के नियमित पाठ से उसे स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यह तनाव, चिंता, उदासी, अनिद्रा और मानसिक परेशानियों को भी दूर करता है और मन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है।

3. धन-संपत्ति और आर्थिक प्रगति

जो लोग पैसों की तंगी से गुजर रहे हैं, व्यापार में घाटा झेल रहे हैं या आर्थिक रूप से अस्थिर महसूस कर रहे हैं, उनके लिए नृसिंह विजय कवच बहुत लाभदायक होता है। इसका पाठ करने से भाग्य खुलता है, धन प्राप्ति के नए अवसर बनते हैं और घर में लक्ष्मी का वास होता है। यह नौकरी, व्यापार और आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है।

4. आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति

नृसिंह कवच साधकों के लिए बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह उनके आत्मबल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को मजबूत बनाता है और अपने लक्ष्य पर डटे रहने की प्रेरणा देता है। जो लोग साधना और ध्यान करते हैं, उनके लिए यह कवच ध्यान को गहरा करने और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।

5. ग्रह दोषों और कुंडली की बाधाओं से मुक्ति

अगर किसी की कुंडली में शनि, राहु, केतु, मंगल या किसी अन्य ग्रह का बुरा असर है, तो नृसिंह विजय कवच का पाठ करने से ये दोष शांत होते हैं। खासकर, जिन लोगों को कालसर्प दोष, पितृ दोष या ग्रहण दोष जैसी समस्याएँ हैं, उनके लिए यह कवच बेहद प्रभावी होता है। यह ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करके जीवन को सुखद और सफल बनाता है।

नृसिंह विजय कवच पाठ विधि

भगवान नृसिंह का विजय कवच बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। इसे सही तरीके से पढ़ने से हर तरह के डर, बीमारियाँ और परेशानियाँ दूर होती हैं। इस पाठ को करने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करने से अधिक लाभ मिलता है।

1. पाठ करने का सही समय

नृसिंह विजय कवच को सुबह या शाम किया जा सकता है। सबसे अच्छा समय सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे के बीच) होता है। अगर शाम को करना हो, तो सूर्यास्त के बाद शुद्ध स्थान पर बैठकर करें।

2. साफ-सफाई और शुद्धता

पाठ से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। मन को शांत और पवित्र रखें। नशा, मांसाहार और बुरे विचारों से दूर रहें।

3. पाठ करने की जगह

इस पाठ को घर के मंदिर में, किसी विष्णु मंदिर में या शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है। भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर धूप-दीप से पूजा करें।

4. संकल्प और भगवान का ध्यान

पाठ शुरू करने से पहले भगवान नृसिंह का स्मरण करें और मन में निश्चय करें कि आप यह पाठ किसलिए कर रहे हैं—शत्रु से रक्षा, बीमारियों से मुक्ति, धन लाभ या मन की शांति के लिए। फिर 11 बार "ॐ नृसिंहाय नमः" मंत्र का जाप करें।

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Published by Sri Mandir·April 10, 2025

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