क्या आप जानना चाहते हैं कोयंबटूर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और करें एक भक्तिपूर्ण यात्रा की शुरुआत।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित इस्कॉन मंदिर ठीक ऐसा ही एक दिव्य स्थल है। राधा-कृष्ण को समर्पित यह भव्य मंदिर न केवल अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है, बल्कि भक्ति, कीर्तन और आरती के माध्यम से आत्मा को छू लेने वाला अनुभव भी प्रदान करता है। यह मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस इस्कॉन के अंतर्गत संचालित होता है और आध्यात्मिक शांति की तलाश में आए हर भक्त का दिल जीत लेता है।
मंदिर कोयंबटूर शहर के सिंगानल्लूर इलाके में स्थित है, जो मुख्य शहर से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर में राधा-कृष्ण, लड्डू गोपाल और भगवान जगन्नाथ, बलदेव व सुभद्रा की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर का डिज़ाइन पारंपरिक द्रविड़ और आधुनिक शैली का मिश्रण है, जिसमें विस्तृत नक्काशी और रंगमंचन देखने को मिलता है।
इस्कॉन मंदिर कोयंबटूर की स्थापना 2012 में हुई थी, लेकिन इसके पीछे एक समृद्ध इतिहास और भक्ति आंदोलन की प्रेरणा है। ISKCON की स्थापना 1966 में अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क में की थी। उन्होंने भगवद् गीता और भागवत पुराण के उपदेशों को पश्चिमी दुनिया तक पहुँचाया और विश्वभर में मंदिरों की स्थापना की। कोयंबटूर में इस्कॉन की गतिविधियां 1990 के दशक से शुरू हुईं, लेकिन एक भव्य मंदिर का निर्माण बाद में हुआ। मंदिर का उद्घाटन वैदिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया और यह दक्षिण भारत के प्रमुख इस्कॉन केंद्रों में से एक बन गया।
इस्कॉन कोयंबटूर (श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर) अपनी भव्य वास्तुकला, शांत आध्यात्मिक वातावरण और उत्सवों की भव्यता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यह मंदिर पारंपरिक द्रविड़ शैली और आधुनिक डिज़ाइन का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है, जो इसे एक अद्वितीय और दर्शनीय धार्मिक स्थल बनाता है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक भव्य गोपुरम है, जिस पर भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां उकेरी गई हैं। मंदिर की दीवारों पर कृष्ण लीला, गीता के उपदेश और दशावतार की कलाकृतियाँ बनी हुई हैं। प्रार्थना कक्ष और यज्ञशाला वैदिक सिद्धांतों के अनुरूप बनाई गई है। राधा-कृष्ण, लड्डू गोपाल और जगन्नाथ-बलभद्र-सुभद्रा की मूर्तियां विराजमान हैं। सोने और चांदी के आभूषणों से सजी मूर्तियाँ भव्यता प्रदर्शित करती हैं। मंदिर के अंदर प्राकृतिक रोशनी और शीतल हवा का प्रबंधन किया गया है, जो ध्यान और भक्ति के लिए उपयुक्त है।
मंदिर खुलने का समय
दैनिक आरती और प्रोग्राम शेड्यूल
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - सबसे बड़ा उत्सव, जो श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर आयोजित होता है। दिनभर कीर्तन, नाटिका, प्रवचन, और विशेष पूजा होती है। रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की विशेष आरती होती है। हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं।
राधाष्टमी - श्री राधारानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। विशेष श्रृंगार, अभिषेक, भजन, और कीर्तन होते हैं। महिला भक्त विशेष पूजा करती हैं।
रथयात्रा - भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। सड़कों पर भक्त रथ खींचते हैं और हरे कृष्ण महामंत्र का कीर्तन करते हैं।
गौर पूर्णिमा (चैतन्य महाप्रभु जयंती) - श्री चैतन्य महाप्रभु (संकीर्तन आंदोलन के प्रवर्तक) की जयंती।
दीवाली और गोवर्धन पूजा - दीपोत्सव के अवसर पर गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है। अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाता है। मंदिर को दीयों से जगमगाया जाता है।
निकटतम रेलवे स्टेशन : कोयंबटूर जंक्शन (CBE)
दूरी : करीब 12KM (30 मिनट की ड्राइव)
ऑटो/कैब : स्टेशन से ISKCON मंदिर तक ऑटो या कैब ले सकते हैं।
बस : कोयंबटूर सिटी बस (TNSTC) से सिंगानल्लूर या सुंदरापुरम स्टॉप पर उतरें।
निकटतम हवाई अड्डा : कोयंबटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (CJB)
दूरी : करीब 20KM (45 मिनट की ड्राइव)
कैब/टैक्सी: प्री-पेड टैक्सी या ओला/उबर बुक करें।
बस : हवाई अड्डे से सिटी बस द्वारा गांधीपुरम बस स्टैंड जाएँ, वहाँ से ISKCON के लिए ऑटो लें।
कोयंबटूर सेंट्रल बस स्टैंड (गांधीपुरम) से दूरी लगभग 8 किमी (20 मिनट)
स्थानीय बस : सुंदरापुरम या सिंगानल्लूर रूट की बस लें।
निजी वाहन/कैब
चेन्नई-बैंगलोर हाईवे (NH544) से कोयंबटूर शहर में प्रवेश करें।
गूगल मैप पर "ISKCON Temple Coimbatore" लोकेशन सेट करें।
पार्किंग : मंदिर परिसर में निःशुल्क पार्किंग उपलब्ध है।
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