गणेश चतुर्थी कोलकाता 2025, जानें कोलकाता में गणपति बप्पा की स्थापना, पूजा विधि, प्रसिद्ध पंडाल, विसर्जन स्थल और धार्मिक-सांस्कृतिक उत्सव की विशेषताएँ।
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी और गणेशोत्सव मनाया जाता है। देश के कोने-कोने में इस उत्सव की धूम होती है फिर चाहे वो मुंबई हो या कोलकाता, लेकिन इस उत्सव की तैयारी के लिए पहले क्या-क्या करना चाहिए इसकी जानकारी भी होना आवश्यक है। इस लेख में जानिए कोलकाता में गणेश चतुर्थी का महत्व, उत्सव की खास झलकियां और इससे जुड़ी परंपराएं।
गणेश चतुर्थी की अब केवल एक शहर में ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में इसकी धूम रहती है। फिर चाहे वो दुर्गा पूजा का शहर कोलकाता ही क्यों न हो। कोलकाता हावड़ा ब्रिज से रसगुल्ले और रसगुल्ले से अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां दुर्गा पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन कुछ वर्षों से कोलकाता में गणपित बप्पा की गूंज और धूम दोनों गूंजती हुई सुनाई देने लगी है। यह पर्व अब शहर की पहचान का हिस्सा बन चुका है, जहां हर उम्र के लोग एक साथ मिलकर बप्पा का स्वागत करते हैं। वहीं, इस खास त्योहार की तैयारियाँ कई हफ्ते या महीनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं। जगह-जगह इस उत्सव पर गणपति बप्पा की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और सजावट, संगीत तथा भजन-कीर्तन से पूरा माहौल भक्तिमय रहता है। पूरे 10 दिनों तक यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्य और संगीत के साथ काफी कुछ आयोजित होता है। हर साल अलग-अळग थीम में गणपति बप्पा की मूर्ति को तैयार किया जाता है और पंडालों की सजावॉ होती है। लोग अपने-अपने रिति रिवाजों के हिसाब से बप्पा की पूजा करते हैं। इसके अलावा पारंपरिक व्यंजन आदि तैयार करके खाते और खिलाए जाते हैं। इस त्यौहार की महत्वता न केवल पर्व को मनाने तक सीमित है बल्कि अब इसकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान भी बन चुकी है।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के आगमन का पर्व है जिसे पूरे श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को सफल और पूर्णता के साथ मनाने के लिए समय से पहले तैयारी करना बेहद आवश्यक होता है।
घर की सफाई: किसी भी पर्व की शुरुआत साफ-सफाई से शुरू होती है। ऐसे में गणेश उत्वस से पहले घर के हर कोने की अच्छे से सफाई करें। विशेष रूप से पूजा स्थल और गणेश जी की स्थापना के स्थान को।
पूजा स्थल की सजावट: पूजा स्थल को तोरण, आम और अशोक के पत्तों, फूलों, रंगोली और दीपमालाओं से सजाएं।
मूर्ति का चयन और स्थापना स्थान: मिट्टी की बनी हुई और ईको फैंडली मूर्ति का चयन करें। साथ ही स्थापना के लिए एक स्थिर, साफ और ऊँचे स्थान का चुनाव करें।
पूजा सामग्री की सूची: पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री जैसे मोदक, लड्डू, फूल, दूर्वा, रोली, चंदन, धूप, दीपक, कपूर, कलश, पंचामृत, नारियल आदि की एक सूची बनाएं। पूजा सामग्री के लिए पंडित या फिर विशेषज्ञ से भी राय ले सकते हैं।
व्रत और नियमों की जानकारी: गणेश चतुर्थी पर कई लोग व्रत रखते हैं। ऐसे में व्रत की विधि, नियम, पूजा के मंत्र, कथा और आरती की जानकारी पहले से जरूर जाने लें। इससे पूजा के समय कोई भ्रम नहीं रहेगा और विधिवत आराधना हो सकेगी।
भोग और प्रसाद की तैयारी: गणपति बप्पा को मोदक और लड्डू अत्यंत प्रिय हैं। इन्हें घर पर ही शुद्ध घी और सामग्री से बनाएं। इसके साथ अन्य भोग जैसे पूरणपोली, नारियल चूरमा, फल आदि भी शामिल करें।
संगीत और आरती की व्यवस्था: पूजा के समय गणेश भजन, मंत्र और आरती का संगीत माहौल को और भी पावन बना देता है। इसके लिए स्पीकर, भक्ति संगीत की सूची और आरती की पुस्तकें पहले से तैयार रखें। साथ ही नृत्य आदि की भी तैयारी की जा सकती है।
भगवान गणेश की स्थापना किसी भी सामान्य तरीके से नहीं की जाती। इसके लिए विधिवत नियम और पवित्रता का पालन किया जाना चाहिए, जिससे यह पूजा आपके लिए पूरी तरह से शुभ और फलदायी हो।
मूर्ति का स्थान और दिशा निर्धारण
स्थापना स्थान को शुद्ध करें और सजाएं
मूर्ति की शुद्धि
कलश स्थापना
संकल्प और शुद्धिकरण मंत्र
ध्यान, आवाहन और भोग अर्पण करें
आरती औऱ प्रसाद वितरण
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