श्रीविद्या की अधिष्ठात्री, सौंदर्य और शक्ति की प्रतीक मां त्रिपुरा सुंदरी की स्तुति करें श्रद्धा से चालीसा पाठ द्वारा। इसके नित्य पाठ से साधना में सफलता और जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है।
राजराजेश्वरी, महात्रिपुरसुन्दरी, षोडशी, लीलावती और ललिता देवी के नाम से प्रसिद्ध मां त्रिपुर सुंदरी सौंदर्य, शक्ति और सिद्धि की प्रतीक हैं। मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए त्रिपुर सुंदरी चालीसा का नियमित पाठ के अद्भुत फायदे मिलते हैं। क्योंकि यह चालीसा न केवल संकटों से उबारती है, बल्कि दुखों का निवारण भी करती है।
त्रिपुर सुंदरी चालीसा देवी त्रिपुर सुंदरी की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण भक्ति पाठ है। इस चालीसा में देवी के विभिन्न रूपों और उनकी शक्तियों का का गुणगान हैं। चालीसा में देवी की पूजा, आराधना और उनके दिव्य रूपों का यथार्थ में वंदन हैं। यह चालीसा साधकों को उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करता है। इसे विशेष रूप से ध्यान और श्रद्धा से पढ़ने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ सिर्फ एक भक्ति पाठ नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि और सुरक्षा लाने का एक प्रभावी उपाय है। त्रिपुर सुंदरी की चालीसा पढ़ने से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। वहीं, त्रिपुर सुंदरी को सौंदर्य और आकर्षण की देवी माना जाता है और उनकी पूजा से व्यक्तित्व में भी निखार आता है। यह चालीसा मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है। इसके अलावा, यह चालीसा विशेष रूप से विवाह में अड़चनों को दूर करने, धन की प्राप्ति और समृद्धि को बढ़ाने में मदद करती है। इसी तरह, गुप्त नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर उनका व्रत और चालीसा विशेष फल प्रदान करता है, जो भक्त के जीवन में संतुलन और समृद्धि लाता है।
जयति जयति जय ललिते माता,
तव गुण महिमा है विख्याता॥
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी,
सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी,
तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी,
भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा,
चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥
ह्रदय निवासिनी-भक्त तारिणी,
नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥
दश विद्या है रुप तुम्हारा,
श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥
धूमा, बगला, भैरवी, तारा,
भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी,
ललितेशक्ति तुम्हारी संगी॥
ललिते तुम हो ज्योतित भाला,
भक्त जनों का काम संभाला॥
भारी संकट जब-जब आये,
उनसे तुमने भक्त बचाए॥
जिसने कृपा तुम्हारी पायी,
उसकी सब विधि से बन आयी॥
संकट दूर करो माँ भारी,
भक्त जनों को आस तुम्हारी॥
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी,
जय जय जय शिव की महारानी॥
योग सिद्दि पावें सब योगी,
भोगें भोग महा सुख भोगी॥
कृपा तुम्हारी पाके माता,
जीवन सुखमय है बन जाता॥
दुखियों को तुमने अपनाया,
महा मूढ़ जो शरण न आया॥
तुमने जिसकी ओर निहारा,
मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी,
महाशक्ति जय जय, भय हारी॥
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा,
लीला ललिते करें अनूपा॥
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे,
त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे॥
महा महा-नन्दे कल्याणी,
मूकों को देती हो वाणी॥
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी,
होता तब सेवा अनुरागी॥
जो ललिते तेरा गुण गावे,
उसे न कोई कष्ट सतावे॥
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी,
तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥
आया माँ जो शरण तुम्हारी,
विपदा हरी उसी की सारी॥
नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी,
सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥
महिमा तव सब जग विख्याता,
तुम हो दयामयी जग माता॥
सब सौभाग्य दायिनी ललिता,
तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥
आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो,
कष्ट भयानक हर लेती हो॥
मन से जो जन तुमको ध्यावे,
वह तुरन्त मन वांछित पावे॥
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली,
तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥
मूलाधार, निवासिनी जय जय,
सहस्रार गामिनी माँ जय जय॥
छ: चक्रों को भेदने वाली,
करती हो सबकी रखवाली॥
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी,
सब हैं सेवक सब अनुगामी॥
सबको पार लगाती हो माँ,
सब पर दया दिखाती हो माँ॥
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी,
भण्डासुर कि हृदय विदारिणी॥
सर्व विपति हर, सर्वाधारे,
तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥
चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी,
कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥
भक्त जनों को दरस दिखाओ,
संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा,
होवे सुख आनन्द अधीसा॥
जिस पर कोई संकट आवे,
पाठ करे संकट मिट जावे॥
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा,
पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥
पुत्र-हीन संतति सुख पावे,
निर्धन धनी बने गुण गावे॥
इस विधि पाठ करे जो कोई,
दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें,
पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥
सबसे लघु उपाय यह जानो,
सिद्ध होय मन में जो ठानो॥
ललिता करे हृदय में बासा,
सिद्दि देत ललिता चालीसा॥
॥दोहा॥
ललिते माँ अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम,
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम॥
सुबह जल्दी उठें और मां त्रिपुर सुंदरी का ध्यान करें।
फिर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल पर आसन बिछाकर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
गंगाजल या पंचामृत से अभिषेक करें।
अभिषेक के बाद फूल, कुमकुम, चंदन, अक्षत, फल और मिठाई अर्पित करें।
फिर दीपक, धूप और अगरबत्ती प्रज्वलित करें।
पाठ के समय मन शांत रखें और पूरी तरह देवी की महिमा पर ध्यान केंद्रित करें।
पाठ के बाद आरती, भजन और कीर्तन करें।
माँ त्रिपुर सुंदरी दस महाविद्याओं में से एक महाशक्ति हैं, जिनकी महिमा अपरंपार है। त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं।
कष्टों से मुक्ति: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से जीवन के दुख, परेशानियां और बाधाएं धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं। साथ ही देवी का आशीर्वाद हर संकट से रक्षा करता है।
धन और समृद्धि: माँ त्रिपुर सुंदरी को ऐश्वर्य और वैभव की देवी माना जाता है। त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से घर में धन, सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
आध्यात्मिक विकास: त्रिपुर सुंदरी चालीसा के नियमित पाठ से मन शांत होता है। यह पाठ साधक को ईश्वर से जोड़ने में भी सहायक होता है।
भय और चिंता से राहत: त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पढ़ने से भय, तनाव और चिंता दूर होती है।
मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा और विश्वास से किया गया पाठ भक्तों की सच्ची इच्छाओं को पूर्ण करता है और उन्हें जीवन में सफलता मिलती है। इस प्रकार मां की चालीसा का पाठ करने से मां अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।
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