शैलपुत्री चालीसा
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शैलपुत्री चालीसा

हिमालयराज की पुत्री और शक्ति की प्रथम स्वरूपा मां शैलपुत्री की स्तुति करें श्रद्धा से। चालीसा पाठ से होती है साधना में सफलता और जीवन में आती है सकारात्मक ऊर्जा।

शैलपुत्री चालीसा के बारे में

शैलपुत्री चालीसा देवी दुर्गा के पहले स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है, जिन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है। यह चालीसा आत्मबल, स्थिरता और आध्यात्मिक जागरण की प्रेरणा देती है। नवरात्रि के पहले दिन इनका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। इस लेख में जानिए शैलपुत्री चालीसा का पाठ, उसका महत्व, पाठ विधि और इससे मिलने वाले लाभों की पूरी जानकारी।

शैलपुत्री चालीसा क्या है?

शैलपुत्री चालीसा नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाने वाली माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप की महिमा का वर्णन करती है। यह चालीसा न सिर्फ आपके मन की अशांति को शांत करेगी, बल्कि- जीवन में स्थिरता लाएगी, हर संकट का निवारण करेगी, आत्मविश्वास और साहस का संचार करेगी। पर्वतराज हिमालय की पुत्री, माँ का यह रूप शक्ति और संयम की प्रतीक है। जिसने भी सच्चे मन से इनकी चालीसा पढ़ी, उसके सभी कष्ट दूर हो गए!

शैलपुत्री चालीसा का पाठ क्यों करें?

नए काम की शुरुआत करना हो, या फिर आपके मन में डर या अस्थिरता हावी हो गई हो, तब शैलपुत्री चालीसा आपके लिए वरदान बन सकती है। आइए जानते हैं शैलपुत्री चालीसा का पाठ आपको क्यों करना चाहिए।

  • मन और शरीर में ऊर्जा का संचार: माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो ठोस संकल्प और स्थायित्व का प्रतीक हैं। उनका चालीसा पढ़ने से आंतरिक शक्ति जागृत होती है और व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का सामना करने योग्य बनता है।

  • मूलाधार चक्र की सक्रियता: शास्त्रों के अनुसार, शैलपुत्री देवी मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से आत्मविश्वास, साहस और स्थिरता प्राप्त होती है। चालीसा का पाठ इस आध्यात्मिक ऊर्जा को सक्रिय करता है।

  • भय, चिंता और असुरक्षा से मुक्ति: यदि जीवन में डर, असफलता या आत्म-संदेह घर कर गया हो, तो शैलपुत्री चालीसा का पाठ व्यक्ति को मानसिक संबल देता है और भीतर से डर को खत्म करता है।

  • नवरात्रि में विशेष फलदायक: नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में चालीसा का पाठ करने से बहुत पुण्य फल प्राप्त होता है और साधना का विशेष लाभ मिलता है।

  • कन्याओं और महिलाओं के लिए विशेष रूप से फलदायक: शैलपुत्री माँ नारी शक्ति की प्रतीक हैं। उनकी चालीसा का पाठ कन्याओं और महिलाओं को आत्मबल, सौम्यता और आत्मरक्षा की शक्ति प्रदान करता है।

  • सुख-शांति और पारिवारिक समृद्धि: चालीसा पाठ से घर-परिवार में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। पारिवारिक रिश्तों में ममता और संतुलन आता है।

शैलपुत्री चालीसा

॥दोहा॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल करण कृपाल।

विघ्न हरण मंगल मूरति,

जय जय गिरिजा लाल॥

॥चौपाई॥

जय गिरिराजकुमारि जगत जननी।

सकल सृष्टि पालक भवानी भवानी॥

जय शैलपुत्री माता महिमा अपार।

जो कोई तुमको ध्यावत भव भव पार॥

चंद्रार्ध मस्तक विराजत सुभ गंगा।

तुमहि देखि हरषत हिय शिव संगा॥

वाहन वृषभ राजत छवि निराली।

सोहत रूप मातु शिव की ललाली॥

कहत अष्टमां महिमा अमृत वाणी।

महिमा अपरम्पार विधि न जानी॥

कली कालक पाप हटावनि हरता।

संतन प्रभु प्रीति प्रभु भवानी करता॥

जो कोई तुहि ध्यावत रुधि रासि भवानी।

सकल सृष्टि पालक दुर्गा भवानी॥

गौरी शंकर संग विराजति सुहावनि।

मंगल कारण काली माई कहलावनि॥

ध्यान धरत जो कोई नर भवानी।

सकल सृष्टि में होत सुबानी॥

श्री शैलपुत्री चालीसा का पाठ।

करत ध्यान जस आपनि दास॥

विनय राम दास मनु प्रीतम भवानी।

तासु ध्यान से सकल सृष्टि भवानी॥

शैलपुत्री चालीसा पाठ विधि और नियम

पाठ विधि

  • दीपक प्रज्वलित करें और शांति से बैठ जाएं।
  • हाथ जोड़कर माँ का ध्यान करें और शैलपुत्री चालीसा का पाठ शुरू करें।
  • पाठ के दौरान मन एकाग्र रखें, बीच में न उठें।
  • चालीसा के बाद "जय शैलपुत्री माता" कहकर आरती करें।
  • माँ से अपनी मनोकामनाएं निवेदित करें और अंत में नैवेद्य (फल या मिठाई) चढ़ाएं।

पाठ नियम

  • सुबह सूर्योदय के समय या ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे के बीच) पाठ करना सर्वोत्तम होता है।
  • नवरात्रि में पहले दिन या प्रतिदिन पाठ करना विशेष फलदायक होता है।
  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान साफ करें और माँ शैलपुत्री की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
  • माँ को फूल, दीपक, अगरबत्ती, नैवेद्य और चंदन अर्पित करें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
  • बैठते समय मन में माँ शैलपुत्री का ध्यान करें और तीन बार "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः" मंत्र का जाप करें।

शैलपुत्री चालीसा के लाभ

  • माँ शैलपुत्री की चालीसा पढ़ने से मन स्थिर, शांत और केंद्रित होता है।
  • चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के अंदर संकटों से लड़ने की शक्ति और आत्मबल को बढ़ाता है।
  • जो विद्यार्थी या साधक ध्यान, योग या साधना करते हैं, उनके लिए यह चालीसा बहुत उपयोगी है।
  • माँ स्वयं कन्याओं की रक्षक मानी जाती हैं। उनकी चालीसा पढ़ने से महिलाओं को आत्मबल, आत्मसम्मान और सुरक्षा की भावना मिलती है।
  • नवरात्रि में शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
  • यदि घर में कलह, चिंता या भय का वातावरण हो, तो शैलपुत्री चालीसा का पाठ करने से वहाँ सद्भाव, शांति और दिव्यता का संचार होता है।
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Published by Sri Mandir·September 21, 2025

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