श्री हनुमान जी के चमत्कारी स्वरूप मेहंदीपुर बालाजी महाराज की स्तुति करें श्रद्धा से। बालाजी चालीसा के पाठ से दूर होती हैं बाधाएं, डर और जीवन में आता है आत्मबल और भक्ति का भाव।
मेहंदीपुर बालाजी चालीसा एक श्रद्धापूर्ण भक्ति गीत है, जो भगवान हनुमान जी के चमत्कारी रूप श्री मेहंदीपुर बालाजी को समर्पित है। यह चालीसा विशेष रूप से राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में भक्तजन पूरे भाव और आस्था से पढ़ते और गाते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी चालीसा एक भक्ति पर आधारित चालीस चौपाइयों का स्तुति गीत है, जो भगवान हनुमान जी के चमत्कारी और जाग्रत रूप "मेहंदीपुर बालाजी" को समर्पित होता है। इस चालीसा का पाठ भक्त भगवान से बल, सुरक्षा और मन की शांति के लिए श्रद्धा से करते हैं। यह चालीसा राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़ी हुई है। इस मंदिर में हनुमान जी बाल रूप में विराजमान हैं और माना जाता है कि यहाँ भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
बुरी शक्तियों से बचाव: मेहंदीपुर बालाजी को ऐसी परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाला देवता माना जाता है जो भूत-प्रेत, नज़र दोष या तांत्रिक असर से जुड़ी होती हैं। चालीसा का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मन को शांति और डर से राहत: अगर मन बेचैन रहता है, डर लगता है या नींद नहीं आती, तो इस चालीसा का पाठ करने से मन शांत होता है और डर खत्म होने लगता है।
आत्मबल और हिम्मत बढ़ती है: हनुमान जी को बल और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनका चालीसा पढ़ने से अंदर से हिम्मत आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
परेशानियों से सुरक्षा: ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा से इस चालीसा का पाठ करता है, वह जीवन की कई मुश्किलों और संकटों से सुरक्षित रहता है।
भक्ति और आस्था में मजबूती: नियमित रूप से पाठ करने से भगवान के प्रति विश्वास बढ़ता है और भक्ति का भाव गहरा होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक सोच आती है।
॥ दोहा ॥
श्री गुरू चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान।
बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण॥
विश्व विदित वरदानी संकट हरण हनुमान।
मैंहदीपुर में प्रकट भये बालाजी भगवान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा,
प्रगट भये यहां तीनों देवा।
प्रेतराज भैरव बलवाना,
कोतवाल कप्तानी हनुमाना।
मैंहदीपुर अवतार लिया है,
भक्तों का उद्धार किया है।
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर,
संकट वाले आते जहाँ पर।
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं,
मशान चुड़ैल भूत भूतनीं।
जाके भय ते सब भग जाते,
स्याने भोपे यहाँ घबराते।
चौकी बन्धन सब कट जाते,
दूत मिले आनन्द मनाते।
सच्चा है दरबार तिहारा,
शरण पड़े सुख पावे भारा।
रूप तेज बल अतुलित धामा,
सन्मुख जिनके सिय रामा।
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा,
सबकी होवत पूर्ण आशा।
महन्त गणेशपुरी गुणीले,
भये सुसेवक राम रंगीले।
अद्भुत कला दिखाई कैसी,
कलयुग ज्योति जलाई जैसी।
ऊँची ध्वजा पताका नभ में,
स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में।
धर्म सत्य का डंका बाजे,
सियाराम जय शंकर राजे।
आन फिराया मुगदर घोटा,
भूत जिन्द पर पड़ते सोटा।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा,
बाल रूप प्रगटे हनुमाना।
जय हनुमन्त हठीले देवा,
पुरी परिवार करत हैं सेवा।
लड्डू चूरमा मिश्री मेवा,
अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा।
दया करे सब विधि बालाजी,
संकट हरण प्रगटे बालाजी।
जय बाबा की जन जन ऊचारे,
कोटिक जन तेरे आये द्वारे।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा,
तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा।
देवन विनती की अति भारी,
छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी।
लांघि उदधि सिया सुधि लाये,
लक्ष्मन हित संजीवन लाये।
रामानुज प्राण दिवाकर,
शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर।
केशरी नन्दन दुख भव भंजन,
रामानन्द सदा सुख सन्दन।
सिया राम के प्राण पियारे,
जब बाबा की भक्त ऊचारे।
संकट दुख भंजन भगवाना,
दया करहु हे कृपा निधाना।
सुमर बाल रूप कल्याणा,
करे मनोरथ पूर्ण कामा।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी,
भक्त जन आवे बहु भारी।
मेवा अरू मिष्ठान प्रवीना,
भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना।
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे,
रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे।
अर्जी का आदेश मिलते ही,
भैरव भूत पकड़ते तबही।
कोतवाल कप्तान कृपाणी,
प्रेतराज संकट कल्याणी।
चौकी बन्धन कटते भाई,
जो जन करते हैं सेवकाई।
रामदास बाल भगवन्ता,
मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता।
जो जन बालाजी में आते,
जन्म जन्म के पाप नशाते।
जल पावन लेकर घर जाते,
निर्मल हो आनन्द मनाते।
क्रूर कठिन संकट भग जावे,
सत्य धर्म पथ राह दिखावे।
जो सत पाठ करे चालीसा,
तापर प्रसन्न होय बागीसा।
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे,
सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे।
॥ दोहा ॥
मन्द बुद्धि मम जानके,
क्षमा करो गुणखान।
संकट मोचन क्षमहु मम,
दास स्नेही कल्याण॥
अगर आप बालाजी महाराज की चालीसा पढ़ना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन नियमों का पालन करने से पाठ का पूरा फल मिलता है, और कोई नकारात्मक असर नहीं होता।
स्नान करके ही पाठ करें
चालीसा का पाठ करने से पहले अच्छी तरह स्नान कर लें। शारीरिक साफ-सफाई जरूरी है ताकि मन भी शुद्ध रहे और आप पूरी श्रद्धा से पाठ कर सकें।
शुद्ध भोजन के बाद ही करें पाठ
अगर आपने प्याज, लहसुन, मांसाहार या शराब का सेवन किया है, तो उस दिन बालाजी चालीसा का पाठ न करें। यह अशुद्धि मानी जाती है और पाठ का असर कम हो सकता है।
अंदर-बाहर दोनों तरह से शुद्ध रहें
सिर्फ शरीर ही नहीं, मन और सोच भी साफ-सुथरी होनी चाहिए। तभी भगवान बालाजी की कृपा सच्चे मन से मिल सकती है।
श्रद्धा और सच्चे मन से करें
पाठ करते समय आपका मन एकाग्र और श्रद्धा से भरा होना चाहिए। तभी उसका प्रभाव आपके जीवन पर सकारात्मक रूप से पड़ेगा।
बालाजी चालीसा पढ़ने से क्या लाभ मिलते हैं, यह जानना हर भक्त का अधिकार है। यह चालीसा न सिर्फ एक भक्ति गीत है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों में मार्ग दिखाने वाली एक आध्यात्मिक साधना भी है।
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