संतान की रक्षा और कल्याण के लिए करें श्रद्धा से छठी मैया चालीसा का पाठ। इससे जीवन में आता है संतान सुख, मानसिक शांति और छठी माता का आशीर्वाद।
छठी मैया चालीसा माता छठी को समर्पित है, जिनकी पूजा विशेष रूप से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और रक्षा के लिए की जाती है। इसके पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस लेख में जानिए छठी मैया चालीसा का महत्व, पाठ विधि और इसके पाठ से मिलने वाले लाभ।
छठी मैया को लोक परंपरा में शिशु की रक्षक देवी माना जाता है। वह बालकों की उम्र, स्वास्थ्य और भाग्य की रक्षा करती हैं। उत्तर भारत, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है। छठी मैया चालीसा छठ पूजा के दौरान गाई जाने वाली एक भक्तिमय स्तुति है, जो छठी मैया की महिमा का वर्णन करती है। यह चालीसा (40 चौपाइयों वाली रचना) के रूप में लिखी गई है और भक्तों द्वारा छठ व्रत के समय पढ़ी जाती है।
छठी मैया चालीसा का पाठ छठ पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि चालीसा का पाठ करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य, घर में सुख-शांति और समृद्धि मिलती है। छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है और छठ पर्व में सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली और उन्हें दीर्घायु प्रदान करने वाली देवी हैं। इसलिए, छठ पर्व के दौरान, भक्त छठी मैया चालीसा का पाठ करते हैं ताकि उनकी कृपा प्राप्त हो सके और संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सके।
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर,
मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए,
शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!।
सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।
सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी।
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह।
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते।
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित।
भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन।
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी।
बाहर बसते नित तम हारी॥
संतान सुख
छठी मैया को संतान की देवी माना जाता है। इसलिए, जो दंपत्ति संतान की इच्छा रखते हैं, वे छठी मैया की पूजा और चालीसा का पाठ करते हैं।
स्वास्थ्य
छठी मैया की पूजा और चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। यह माना जाता है कि छठी मैया अपने भक्तों को स्वस्थ और निरोगी रखती हैं।
समृद्धि
छठी मैया की कृपा से, भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह माना जाता है कि छठी मैया अपने भक्तों को धन, धान्य और वैभव प्रदान करती हैं।
दीर्घायु
छठी मैया की पूजा और चालीसा का पाठ करने से दीर्घायु प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि छठी मैया अपने भक्तों को लंबी और स्वस्थ जीवन देती हैं।
मनोकामना पूर्ति
छठी मैया की कृपा से, भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह माना जाता है कि छठी मैया अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं।
छठी मैया चालीसा का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए। यह माना जाता है कि सच्चे मन से की गई पूजा और चालीसा का पाठ छठी मैया को प्रसन्न करता है और भक्तों को उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
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