
18 August 2025 Ko Kya Hai? जानिए भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष नवमी तिथि, इस दिन के व्रत, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में पूरी जानकारी।
18 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक महत्व और शुभ संयोगों से भरा होगा। इस दिन कौन-कौन से व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे, इनके पीछे की मान्यताएं क्या हैं और कौन से विशेष मुहूर्त आपके लिए शुभ साबित हो सकते हैं, यह जानना रोचक रहेगा। इस लेख में जानिए 18 अगस्त 2025 से जुड़ी पूरी और खास जानकारी।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 18 अगस्त 2025 को कौन-सा व्रत, पर्व या तिथि है? यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों विशेष है? आइए जानते हैं। दरअसल 18 अगस्त 2025 को सोमवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। अमावस्या तिथि को पितृ तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति, पितृ दोष निवारण और घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
तिथि: अमावस्या (पूरे दिन) नक्षत्र: मघा (सुबह 9:42 बजे तक), फिर पूर्वाफाल्गुनी योग: वज्र योग (सुबह 9:09 बजे तक), फिर सिद्धि योग वार: सोमवार
अमावस्या तिथि को स्नान, दान और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय होता है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। पिठोरी अमावस्या विशेष रूप से मातृशक्ति की आराधना, घर-परिवार की रक्षा और समृद्धि के लिए की जाती है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर 64 योगिनियों और मातृदेवियों की पूजा करती हैं।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें
पितरों के नाम से तर्पण करें (जल, तिल और कुश का प्रयोग)
मातृदेवियों और योगिनियों की पूजा करें, फल, मिठाई और अन्न का भोग लगाएं
ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन और दान दें
शाम के समय दीपदान करें, विशेषकर पीपल वृक्ष के नीचे दीप जलाएं
राहुकाल: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक शुभ मुहूर्त: सुबह 6:00 से 8:00 बजे और शाम 5:00 से 6:30 बजे तक
18 अगस्त 2025 की पिठोरी अमावस्या पितरों और मातृशक्ति की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक तर्पण, पूजा और दान करने से पितृ दोष का निवारण होता है, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में समृद्धि का वास होता है।
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