सनातन धर्म में भगवान महाविष्णु को पुरे ब्रह्माण्ड का संचालक माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि जो भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है, उनके घर-परिवार में सुख,समृद्धि, वैभव तथा देवी लक्ष्मी का सदैव वास होता है। आप भी सारे कष्टों को दूर करना चाहते हैं, घर-परिवार में सुख शांति पाना चाहते हैं या आपकी सभी मनोकामनाओं को सफलता के साथ पूर्ण करना चाहते हैं तो वाराणसी में स्थित प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर के आचार्यों द्वारा, दिनांक 24 नवंबर 2023, शुक्रवार को आयोजित वैवाहिक सुख, निरोगी स्वास्थ्य तथा करियर सफलता के लिए तुलसी विवाह, विष्णु सहस्रनाम एवं कार्तिक दीप दान में श्री मंदिर के माध्यम से भाग ले सकते हैं।
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।