सभी प्रकार के सुख, वैभव तथा ऐश्वर्य देने वाली, दस महाविद्याओं में से एक - देवी त्रिपुरासुंदरी। शास्त्रों में माँ त्रिपुरासुंदरी को ललिता देवी, पद्माक्षी, महा त्रिपुरसुन्दरी, रेणुका तथा राजराजेश्वरी इत्यादि नामों से भी बुलाया जाता है। कहा जाता है की माँ त्रिपुरासुंदरी की पूजा-आराधना गृहस्थियों के लिए अत्यंत लाभदायक और महत्वपूर्ण होती है।
अतः सभी प्रकार की आर्थिक परेशानियों को दूर करने, समृद्धि, सौभाग्य एवं सौंदर्य का आशीष प्राप्त करने तथा गृहस्थी जीवन में खुशहाली प्राप्त करने के लिए श्री कामाख्या तीर्थ क्षेत्र के श्री बगलामुखी मंदिर के आचार्यों द्वारा, दिनांक 27 नवंबर 2023, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा विशेष पर समृद्धि, सौभाग्य एवं सौंदर्य दायक महा त्रिपुरसुन्दरी महा यज्ञ का आयोजन किया गया है। श्री मंदिर के माध्यम से इस महा यज्ञ में भाग लेकर देवी त्रिपुरासुंदरी के शुभाशीष पाएं और अपने गृहस्थी जीवन को खुशहाल बनाएं।
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।