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योगिनी एकादशी 2025

क्या आप जानते हैं योगिनी एकादशी 2025 का व्रत कैसे बदल सकता है आपका जीवन? जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और लाभ इस खास लेख में!

योगिनी एकादशी के बारे में

योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति का मार्ग है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उपवास रखने से सभी कष्टों का नाश होता है।

योगिनी एकादशी 2025

भक्तों नमस्कार! श्री मंदिर पर आपका स्वागत है! योगिनी एकादशी, निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार योगिनी एकादशी आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ती है। इस एकादशी पर व्रत रखने व भगवान विष्णु की उपासना करने से अट्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने सामान फल प्राप्त होता है।

चलिए जानते हैं कि आषाढ़ मास में योगिनी एकादशी कब है

  • योगिनी एकादशी- 21 जून, शनिवार (आषाढ़ कृष्ण एकादशी)
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ: जून 21, 2025 को 07:18 ए एम बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त - जून 22, 2025 को 04:27 ए एम बजे तक
  • पारण (व्रत तोड़ने का) का समय- 22 जून 2025, रविवार को 01:22 PM से 04:07 PM तक
  • पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 09:41 ए एम

गौण योगिनी एकादशी

  • गौण योगिनी एकादशी रविवार, जून 22, 2025 को
  • 23वाँ जून को, गौण एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:09 ए एम से 07:53 ए एम
  • पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 21, 2025 को 07:18 ए एम बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त - जून 22, 2025 को 04:27 ए एम बजे तक

इस दिन के विशेष शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त 03:46 ए एम से 04:27 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:07 ए एम से 05:08 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:32 ए एम से 12:27 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:17 पी एम से 03:12 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:50 पी एम से 07:11 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:51 पी एम से 07:53 पी एम तक
अमृत काल 01:12 पी एम से 02:41 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:39 पी एम से 12:21 ए एम, 22 जून तक

योगिनी एकादशी क्या है?

वर्ष भर में चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। और जब मलमास होता है तो एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। इन्हीं एकादशी तिथियों में एक एकादशी व्रत ऐसा भी है, जिसे यदि पूरी आस्था से किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह है आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु अपने उपासक को मनोवांछित फल देते हैं।

योगिनी एकादशी महत्व क्या है?

भगवान विष्णु के भक्तों के लिए योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पांडव भाइयों में भीम को छोड़कर सभी हर मास में आने वाली दोनों एकादशी तिथियों पर व्रत रखते थे।

एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ की योगिनी एकादशी व्रत का महात्म्य सुनाने का आग्रह किया। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो जातक श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, एवं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सभी सुख भोगने के बाद बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है।

आपको बता दें कि योगिनी एकादशी पर विष्णु पूजा के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।

भक्तों, ये थी योगिनी एकादशी के महत्व से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख सम्पन्नता बनी रहे।

एकादशी की पूजा सामग्री

सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -

  • चौकी
  • पीला वस्त्र
  • गंगाजल
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • अक्षत
  • जल का पात्र
  • पुष्प
  • माला
  • मौली या कलावा
  • जनेऊ
  • धूप
  • दीप
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • चन्दन
  • अगरबत्ती
  • तुलसीदल
  • पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री)
  • मिष्ठान्न
  • ऋतुफल
  • घर में बनाया गया नैवेद्य

नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।

इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, यह पूजा सेवा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।

एकादशी की पूजा विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।

पूजा की तैयारी

  • एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
  • दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
  • इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
  • अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
  • अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।

एकादशी की पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।

(सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)

  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।

(ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)

  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।

इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

एकादशी व्रत न करनें वाले कैसे करें विष्णु जी को प्रसन्न

एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित महत्वपूर्ण तिथि है, और इस दिन किये गए व्रत और पूजा से प्रसन्न होकर श्री हरि आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। परन्तु कुछ भक्तगण ऐसे भी हैं जो कि व्रत करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि एकादशी पर जो भक्तजन व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें -

सर्वप्रथम आसान पूजा करें

  • सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद सूर्यनारायण को शुद्ध जल से अर्घ्य दें और संकल्प लें कि ‘हे प्रभु! मैं इस पावन एकादशी व्रत का पालन करने में सक्षम नहीं हूँ, लेकिन इस शुभ दिन पूर्ण श्रद्धा से आपकी पूजा करने के लिए समर्पित हूँ।
  • इसके बाद अपने घर में देवस्थान पर पूजा की तैयारी शुरू करें।
  • पूजा स्थल और यहां विराजमान सभी देवी देवताओं की प्रतिमा और तस्वीर को साफ करें, और यहां गंगा जल की कुछ बूंदे छिड़के।
  • पूजा स्थल में उपस्थित सभी देवताओं पर गंगा जल छिड़क कर स्नान करवाएं।
  • अब पूजा घर में एक दीप जलाएं।
  • इसके बाद सभी देवी देवताओं को और भगवान विष्णु को हल्दी-कुमकुम चन्दन-अक्षत आदि से तिलक करें।
  • अब पूजा स्थल पर धूप-अगरबत्ती जलाएं और इसके पश्चात् भोग में कुछ तुलसी की पत्तियां रखकर इसे भगवान को अर्पित करें।
  • विष्णु मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 11 बार या 108 बार जप करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें। मंत्र और आरती आप श्री मंदिर के माध्यम से भी सुन सकते हैं।
  • अब भगवान विष्णु सहित सभी देवी- देवताओं को प्रणाम करें। और आपकी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हुए इस पूजा को संपन्न करें।

यह संभव हों तो पास के मंदिर में जरूर जाएं

अगर आप घर पर किसी भी प्रकार से पूजा करने में भी असमर्थ हैं तो आप निकटम विष्णु जी के मंदिर में जाकर भी उनका ध्यान कर सकते हैं। यदि संभव हो पाए तो आप एकादशी पर मंदिर में भोग और दक्षिणा अर्पित करें। इसमें आप श्री मंदिर पर उपलब्ध चढ़ावा सेवा का लाभ भी ले सकते हैं।

एकादशी के दान-पुण्य से मिलेगी श्री हरि की कृपा

इस दिन किसी जरूरतमंद को अपनी क्षमता के अनुसार अन्न दान या वस्त्रदान अवश्य करें। यह दान आप किसी व्यक्ति के साथ ही पशु को भी कर सकते हैं, क्योंकि दीनबंधु दीनानाथ कण कण में विद्यमान हैं। आप गौशाला जाकर गौ माता को भी चारा खिला सकते हैं। इसके अलावा आप अन्य पशुओं को भी खाना खिला सकते हैं। इस प्रकार दान-पुण्य करते हुए हरि नाम के जाप के साथ अपना दिन व्यतीत करें।

श्री मंदिर पर करें पूजा

अगर आप एकादशी पर मंदिर भी नहीं जा पा रहें हैं, दान भी नहीं कर पा रहे हैं तो अपने फोन में ही श्री मंदिर पर भगवान विष्णु का मंदिर स्थापित करके उनका ध्यान कर सकते हैं। साथ ही भगवान जी की आरती, चालीसा, भजन और मंत्र भी आप इस दिन अवश्य सुनें। तो भक्तों इस तरह एकादशी की तिथि व्यतीत करने से आप बिना व्रत किये भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद और इस शुभ तिथि का पुण्य फल प्राप्त करेंगे।

एकादशी व्रत से मिलने वाले 5 लाभ

भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।

एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-

पहला लाभ- कठिन लक्ष्य एवं कार्यों की सिद्धि

ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।

दूसरा लाभ- आर्थिक प्रगति एवं कर्ज से मुक्ति

इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।

तीसरा लाभ- मानसिक शांति की प्राप्ति

इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।

चौथा लाभ- पापकर्मों से मुक्ति

एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।

पांचवा लाभ- मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति

श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।

तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।

इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·June 10, 2025

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