कब है बहुला चतुर्थी 2024?

कब है बहुला चतुर्थी 2024?

शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व की सम्पूर्ण जानकारी


बहुला चतुर्थी 2024 (Bahula Chaturthi 2024)



बहुला चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी और बोल चौथ के नाम से भी जाना जाता है। बहुला चतुर्थी के दिन गौ माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हमारे हिन्दू धर्म में गाय को पवित्र जीव माना गया है और ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति गौ माता की सच्चे मन से सेवा व पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार के कष्टों को गौ माता हर लेती हैं। गाय से मिलने वाला दूध और यहां तक की उसका गोबर भी बेहद लाभकारी माना गया है। इस दिन भक्तगण भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनसे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।

कब है बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2024 Date and Time)


  • पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 22 अगस्त 2024, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
  • इस दिन गोधुली पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। जिसकी अवधि 26 मिनट तक रहेगी।
  • चतुर्थी तिथि 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी। जो 23 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।

बहुला चतुर्थी का महत्व (Importance of Bahula Chaturthi 2024)


यह त्यौहार विशेष रूप से गुजरात में मनाया जाता है और इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता का पूजन भी किया जाता है। इस दिन, विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां, नहा-धोकर पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से, बहुला चतुर्थी व्रत की आराधना आरम्भ करती हैं और इस व्रत को विधिपूर्वक पूर्ण करती हैं। अंत में आरती करने के बाद, भगवान का आशीष प्राप्त कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। इस व्रत को रखने से, सभी तनाव व कष्टों से मुक्ति मिलती है और संतान, व सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। बहुला चतुर्थी की कथा बहुत ही पवित्र मानी जाती है। इस कथा को सुनने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

भगवान शिव के पूरे परिवार की भी होती है पूजा


कुछ जगहों पर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं, अपने बच्चों की खुशहाली, लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुम्हार की मिट्टी से बने हुए भगवान शिव और माता पार्वती, कार्तिकेय जी, भगवान गणेश और गौ माता की प्रतिमा बनवाकर पूरे विधि विधान के साथ, पूजा-अर्चना भी करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख-शांति आती है।

बहुला चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?


  • मुख्य कारण है भगवान गणेश की पूजा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  • इस व्रत को रखने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है।
  • बहुला चतुर्थी का व्रत रखने से भक्तों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • संकष्ट का अर्थ है मुसीबत या कठिनाई।
  • भगवान गणेश को संकष्टमोचन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से सभी संकष्ट दूर होते हैं।
  • यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। वे संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
  • कुछ क्षेत्रों में इस दिन गायों और बैलों की पूजा की जाती है, क्योंकि ये किसानों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

बहुला चतुर्थी की पूजा विधि (Bahula Chaturthi 2024 Puja Vidhi)


  • इस दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद, आप व्रत का संकल्प लेते हुए, गायों और उनके बछड़ों को भी स्नान करवाएं।
  • अब घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की प्रतिमा पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • इसके बाद आप उन्हें तिलक लगाएं और पुष्प, धूप, अक्षत, कपूर, नैवेद्य, रोली समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • अंत में आप भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।
  • अगर आपके घर में या घर के आस-पास गाय और बछड़े हैं तो आप शाम के वक़्त गोधुली बेला में उनकी पूजा भी अवश्य करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
  • पूजा के दौरान भक्त इन बातों का विशेष ध्यान रखें
  • यदि आप व्रत रख रहे हैं तो आज के दिन विशेष रूप से गेहूं से बने किसी भी प्रकार के भोजन को ग्रहण ना करें।
  • इस त्यौहार में चाकू का प्रयोग भी व्रतियों के लिए करना वर्जित माना गया है।

बहुला चतुर्थी के दिन क्या करें ? (What to do on Bahula Chaturthi)


  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन शुद्धता और पवित्रता का विशेष महत्व है।
  • विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें।
  • दिन भर निराहार रहने का संकल्प लें।
  • बहुला चतुर्थी की कथा सुनें।
  • शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
  • गायों को चारा खिलाना शुभ माना जाता है।
  • गणेश मंत्रों का जाप करें।

बहुला चतुर्थी के दिन क्या न करें ? (What not to do on Bahula Chaturthi)


  • इस दिन गाय का दूध पीना वर्जित माना जाता है।
  • लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है।
  • मन को शांत रखें और किसी से झगड़ा न करें।
  • अशुद्ध भोजन का सेवन न करें।
  • किसी की निंदा न करें।


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