सिंह संक्रांति 2025 कब है?
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सिंह संक्रांति 2025 कब है?

सिंह संक्रांति 2025 की तिथि, सूर्य के गोचर का समय, पूजा विधि, दान-पुण्य और धार्मिक महत्व के बारे में जानें एक ऐसा दिन जो आपके जीवन में शुभ ऊर्जा ला सकता है।

सिंह संक्रांति के बारे में

सिंह संक्रांति सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश का पर्व है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन स्नान, दान-पुण्य और सूर्य की पूजा करना शुभ माना जाता है। यह पवित्र संक्रांति मानी जाती है।

सिंह संक्रांति कब है? जानें पंचांग

भाद्रपद या भादों के मास में जब भगवान सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करते हैं, तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहा जाता है, लेकिन इस बार ये संक्रांति श्रावण मास में पड़ रही है। आपको बता दें कि दक्षिण भारत में इस संक्रांति को सिंह संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है। सिंह संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु, सूर्य देव और भगवान नरसिंह की पूजा करने का विशेष महत्व है।

चलिए जानते हैं कि कब है सिंह संक्रांति और क्या है इस दिन पुण्य काल का समय

  • 2025 सिंह संक्रान्ति फलम्
  • सिंह संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त (भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, नवमी)
  • सिंह संक्रान्ति - 17 अगस्त 2025, रविवार को
  • सिंह संक्रान्ति पुण्य काल - 05:32 ए एम से 12:02 पी एम
  • अवधि - 06 घण्टे 29 मिनट्स
  • सिंह संक्रान्ति महा पुण्य काल - 05:32 ए एम से 07:42 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 10 मिनट्स
  • सिंह संक्रान्ति का क्षण - 02:00 ए एम

सिंह संक्रांति के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:04 ए एम से 04:48 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:26 ए एम से 05:32 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:36 ए एम से 12:28 पी एम

विजय मुहूर्त

02:12 पी एम से 03:04 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:31 पी एम से 06:53 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:31 पी एम से 07:37 पी एम

अमृत काल

12:16 ए एम, अगस्त 18 से 01:47 ए एम, अगस्त 18

निशिता मुहूर्त

11:40 पी एम से 12:24 ए एम, अगस्त 18

सिंह संक्रांति के अवसर पर स्नान व दान करने का विशेष विधान है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने और श्रद्धापूर्वक सूर्य मंत्रों का जप करने से असंख्य पुण्यफल प्राप्त होते हैं। मान्यता ये भी है कि यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्यदोष है, तो उसे इस दिन भगवान सूर्य से जुड़ी वस्तुओं जैसे कि तांबा, गुड़ आदि का दान करना चाहिए।

तो भक्तों, ये थी सिंह संक्रांति के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस पर्व का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और भगवान सूर्य की कृपा से जीवन में सुख सम्पन्नता बनी रहे।

सिंह संक्रांति का महत्व क्या है?

साल भर में आने वाली हर संक्रांतियों की तरह सिंह संक्रांति भी विधि-विधान से एक पर्व के रूप में मनाई जाती है। सिंह संक्रांति के दिन से सूर्य कर्क राशि से अपनी स्वयं की राशि सिंह में आ जाते हैं। आपको बता दें कि कर्क राशि चंद्रमा की राशि होती है, और सिंह राशि सूर्य देवता की स्वयं की राशि है। जिसके चलते सूर्य बली अवस्था में होता है। बली होने के कारण इसका प्रभाव और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। सूर्य के इस गोचर काल के दौरान सभी राशि के जातकों को अलग-अलग फल मिलेंगे।

सिंह राशि में गोचर के बाद सूर्य का प्रभाव बढ़ने के कारण व्यक्ति को असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है, और ऊर्जा व आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सिंह राशि में स्थित सूर्य देव की पूजा विशेष फलदायी होती है। लगभग 1 महीने के इस समय में जातक को प्रति दिन सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए। सिंह संक्रांति के दिन भगवान सूर्य, विष्णु जी और भगवान नरसिंह की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा इस दिन पवित्र नदियों, तालाबों या कुंड आदि में स्नान कर गंगाजल, व् दूध आदि से देवताओं का अभिषेक करने का विधान है।

इस दिन घी का सेवन करने का विधान क्यों है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सिंह संक्रांति के दिन घी खाने से जातक की कुंडली में बैठे राहु-केतु भी शुभ फल प्रदान करते हैं। इसके साथ ही आयुर्वेद में चरक संहिता के अनुसार गाय का घी पवित्र व शुद्ध माना गया है। ऐसा माना जाता है कि सिंह संक्रांति के दिन जो व्यक्ति घी का सेवन करते हैं, उसकी बुद्धि, बल, ऊर्जा और याददाश्त में वृद्धि होती है. इसके अलावा गाय का घी वसावर्धक होता है, जिसे खाने से व्यक्ति को वात, कफ व पित्त रोग जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि सिंह संक्रांति के दिन गाय का घी खाने से शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं।

सिंह संक्रांति की पूजा कैसे करें? सिंह संक्रांति के अनुष्ठान

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सिंह संक्रांति एक महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, साथ ही इस दिन भूदेवी की भी पूजा-अर्चना की जाती है। आगे हम इस लेख में विस्तार पूर्वक इस पूजा-विधि के बारे में बताएंगे इसलिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करके, सूर्योदय के समय सूर्य देवता के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें। सूर्यदेव को अर्पित किए जाने वाले जल में रोली और लाल पुष्प डाल लें। तत्पश्चात आप लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करें।

इसके बाद अपने घर के मंदिर में रोज की भांति पूरे विधि-विधान से भगवान की पूजा करें। इस दिन भूदेवी के रूप में सिलबट्टे की भी पूजा की जाती है। सिलबट्टे की पूजा के लिए आप सबसे पहले सिलबट्टे को दूध व पानी से स्नान कराएं। तत्पश्चात् सिलबट्टे को सिंदूर, चंदन लगाकर उस पर फूल और हल्दी चढ़ाई जाती है। सभी मौसमी फलों की भेंट भूदेवी को चढ़ाया जाता है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो पूजा के बाद फलाहार ग्रहण कर लें और इस दिन दान-दक्षिणा देना न भूलें। इस दिन आप तिल, वस्त्र, और अन्न का दान कर सकते हैं।

इस प्रकार पूजा करने से आपको सूर्य देव और भूदेवी का आशीष प्राप्त होगा। आप इस दिन के महत्व को जानना चाहते हैं और साथ ही कुछ विशेष उपायों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप शीघ्र ही श्री मंदिर के ऐप पर जाएं।

सिंह संक्रांति पर क्या खाना चाहिए?

इस दिन खाने योग्य पारंपरिक चीज़ें

1. हल्का और सात्विक भोजन

  • चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी
  • फलाहारी भोजन (फल, दूध, दही)
  • पूड़ी और सब्जी, विशेषकर आलू या सीजनल सब्जी

2. ठंडे और पाचन-सहायक पदार्थ

  • दही और चावल (विशेषकर दक्षिण भारत में)
  • छाछ (मट्ठा) या लस्सी
  • नींबू पानी, बेल का शरबत या आम पना

3. मिठाइयाँ

  • खीर या सेवैयाँ
  • गुड़ और तिल से बनी मिठाइयाँ (कुछ क्षेत्रों में अब भी चलन में है)

4. अनाज और दान

  • इस दिन सत्तू, चना, चावल, और मौसमी फल का दान और सेवन शुभ माना जाता है।

सिंह संक्रांति पर मिलने वाले लाभ

  • सिंह संक्रांति के पर्व पर गर्मी अपने चरम पर होती है, ऎसे में इस दिन घड़े में जल भरकर उसका दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। जल का दान आप जीव जंतुओं के लिए भी कर सकते हैं।
  • इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से जीवन में मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा और सुख सम्पन्नता मिलती है।
  • हर संक्रांति की तरह सिंह संक्रांति पर भी तिल दान करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि तिल के दान से हमारे पाप कर्मों का प्रभाव नष्ट होता है। इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों का दान करने से जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है, साथ ही सूर्य व शनि दोनों का आशिर्वाद मिलता है।
  • सिंह संक्रांति पर घी का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं, और जन्म कुंडली में मौजूद सूर्य से जुड़े सभी दोषों का निवारण होता है। ऐसा कहा जाता है कि सिंह संक्रांति के दिन घी का दान करने से नौकरी व व्यापार में सफलता मिलती है।
  • सिंह संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान के बाद अन्न व वस्त्र का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से राहु और शनि शांत होते हैं।
  • इस दिन खिचड़ी बनाना और खिचड़ी का दान करना बहुत शुभ होता है। खिचड़ी के रूप में चावल और काली उड़द की दाल का दान किया जाता है।
  • सिंह संक्रांति के दिन गुड़ व गुड़ से बनी चीजें दान करने से शनि, गुरु और सूर्य तीनों प्रसन्न होते हैं।

सिंह संक्रांति पर क्या करें?

  • मिथुन संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • सिंह संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • इस दिन मूंग दाल जैसी हरी वस्तुओं का दान देना चाहिए। इसके साथ ही आप कपड़े भी दान में दे सकते हैं।

सिंह संक्रांति पर क्या न करें?

  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर सिंह संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
  • सिंह संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से
  • बचें।
  • इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाले जल को ज़मीन पर न पड़ने दें, उसे किसी तांबे के बर्तन में एकत्रित कर लें और बाद में किसी पौधे में डाल दें।
  • इस दिन चावल नहीं खाने चाहिए। व्रत रखने वाले लोगों को पूरा दिन नमक नहीं खाना चाहिए।

ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·August 7, 2025

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