
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2025: जानिए कैसे करें इस विशेष दिन की पूजा, व्रत के महत्व और आवश्यक पूजा सामग्री के बारे में विस्तार से।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी की पूजा कर धन, सुख और सौभाग्य की कामना करते हैं। पवित्र नदी में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है। व्रत रखने से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होने की मान्यता है। यह पूर्णिमा घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा लाने वाली मानी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा तिथि का अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। लेकिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को सबसे पवित्र, शुभ और पुण्यदायी पूर्णिमा माना गया है। यह पूर्णिमा न केवल व्रत और पूजा के लिए बल्कि दान, तीर्थस्नान और सत्यनारायण कथा के लिए भी विशेष रूप से श्रेष्ठ मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना कहा गया है। स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है - “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ।” इसी कारण यह पूर्णिमा भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:42 ए एम से 05:35 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:09 ए एम से 06:29 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:27 ए एम से 12:09 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:35 पी एम से 02:17 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:05 पी एम से 05:32 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:08 पी एम से 06:28 पी एम |
अमृत काल | 12:48 पी एम से 02:12 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:22 पी एम से 12:15 ए एम, दिसम्बर 05 |
इस व्रत के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं -
पूजा करने की सामान्य प्रक्रिया -
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