हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के हेरम्ब स्वरूप को समर्पित है, जिसमें वे पाँच मुखों और दस भुजाओं वाले रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यह संकष्टी व्रत विशेष फलदायक माना जाता है।
हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के हेरम्ब रूप को समर्पित होती है, जो रक्षक और दयालु रूप माने जाते हैं। इस दिन भक्त उपवास रखकर गणेशजी की पूजा करते हैं और चंद्रदर्शन के बाद व्रत पूर्ण करते हैं।
चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन जातक गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। पंचांग के अनुसार हर मास में दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने पड़ने वाली चतुर्थी तिथियों के अलग-अलग नाम हैं, जिनमें से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी 12 अगस्त 2025, मंगलवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष तृतीया)
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:06 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:44 ए एम से 05:49 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:59 ए एम से 12:52 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:38 पी एम से 03:31 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:03 पी एम से 07:25 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:03 पी एम से 08:08 पी एम तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 11:52 ए एम से 05:49 ए एम, 13 अगस्त तक |
निशिता मुहूर्त | 12:05 ए एम, अगस्त 13 से 12:48 ए एम, 13 अगस्त तक |
संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। बुद्धि एवं विवेक के देवता गणेश जी को समर्पित यह व्रत समस्त कष्टों को हरने वाला और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन व आरोग्य प्रदान करने वाला है।
शास्त्रों में भी कहा गया है कि जब मन संकटों से घिरा महसूस करें, तो संकष्टी चतुर्थी का अद्भुत फल देने वाला व्रत करें, और भगवान गणपति को प्रसन्न कर मनचाहे फल की कामना करें।
आइये जानते हैं इस चमत्कारिक व्रत के महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में।
इस दिन गणेश भगवान की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति। शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।
तो ये थी संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी खास जानकारी। अगर आपको ये जानकरी उपयोगी लगी हो तो इसे अन्य भक्तजनों के साथ अवश्य साझा करें।
रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हर माह लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाता है। ज्यादातर महिलाएं इस पूजा को अपनी संतान की सलामती और परिवार में सुख समृद्धि की कामना के साथ करती है।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा में सम्पूर्ण और सटीक पूजा सामग्री का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से आपकी पूजा सफल होगी। इसीलिए इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं संकष्टी चतुर्थी पूजा की सामग्री, जो कुछ इस प्रकार है -
इस सामग्री को पूजा शुरू करने से पहले ही इकट्ठा कर लें, ताकि गणेश जी की पूजा करते समय आपको किसी तरह की कोई बाधा का सामना न करना पड़ें। इस सामग्री के द्वारा पूजा करने से आपकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा जरूर सफल होगी और भगवान गणेश आपकी हर मनोकामना को जरूर पूरा करेंगे।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह में एक संकष्टी चतुर्थी तिथि आती है। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी के अधिदेवता प्रथम पूज्य भगवान गणेश को माना है। कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’ है। इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के हर संकट को हर लेते हैं इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन सम्पूर्ण विधि से गणपति जी की पूजा-पाठ की जाती है।
तो आइए, जानें कि संकष्टी चतुर्थी की विधिपूर्वक पूजा कैसे की जाती है।
ध्यान देने योग्य बात - गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
यदि संभव हो तो इस दिन पूजा में जनेऊ और दूर्वा को भी अवश्य शामिल करें। यह भगवान गणेश को प्रिय है।
भगवान गणेश को प्रसन्न करने का सबसे पावन अवसर संकष्टी चतुर्थी आने वाली है और बप्पा के सभी भक्तों के लिए यह दिन किसी उत्सव के समान ही होता है। कई बार भाग दौड़ भरे इस जीवन में व्यस्तता, स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं और कई अन्य कारणों से इस मंगलकारी व्रत को विधि-विधान से कर पाना संभव नहीं हो पाता। लेकिन आप बिल्कुल भी चिंता न करें, हम आज आपको बताएंगे कि संकष्टी चतुर्थी पर व्रत न कर पाने वाले भक्त और किस प्रकार बप्पा का आशीष प्राप्त कर सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि आप बिना व्रत के इस शुभ दिन पर विघ्नहर्ता गणपति जी को प्रसन्न कर सकते हैं-
अगर आपके पास अधिक समय नहीं है तो आप संकष्टी चतुर्थी पर इस आसान पूजा विधि से बप्पा की आराधना कर सकते हैं-
अन्य जीवों के प्रति हमारी आत्मीयता, प्रेम, दयाभाव एवं संवेदनशीलता हमें एक बेहतर इंसान बनाती है। वैसे तो हमें हमेशा ही दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए, लेकिन विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी के दिन ज़रूरतमंद लोगों की मदद अवश्य करें। आप उन्हें दान-दक्षिणा दे सकते हैं, अन्न दान कर सकते हैं या वस्त्र दे सकते हैं। साथ ही आप गौशाला जाकर गौ माता को भी चारा खिला सकते हैं। इसके अलावा आप अन्य पशुओं को भी खाना खिला सकते हैं। इस प्रकार दान-पुण्य करते हुए बप्पा का स्मरण करें और इन नेक कार्यों से आपको उनका आशीष अवश्य प्राप्त होगा।
अगर आप घर पर भी किसी भी प्रकार से पूजा करने में असमर्थ हैं तो आप निकटम गणेश जी के मंदिर में भी जाकर उनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना कर सकते हैं। संभव हो पाए तो आप मंदिर में भी भोग और दक्षिणा चढ़ा सकते हैं। आप सच्चे मन से अगर प्रार्थना करेंगे तो गणपति जी अवश्य आप पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखेंगे।
‘ऊँ गं गणपतये नम:’ यह पवित्र मंत्र भी आपको भगवान गणेश जी की कृपा का भागीदार बना सकता है। आप चाहें तो इसके जाप अपने घर में पूजन स्थल पर कर सकते हैं या फिर किसी भी साफ जगह पर शांत मन से भगवान को सच्चे मन से याद करते हुए इस मंत्र का जाप 101 या 1001 बार सकते हैं।
अगर आप संकष्टी चतुर्थी पर मंदिर भी नहीं जा पा रहें हैं, अपने फोन में श्री मंदिर पर भी आप भगवान गणेश का मंदिर स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं। साथ ही भगवान जी की आरती, भजन और मंत्र भी सुन सकते हैं।
तो दोस्तों इस प्रकार आप संकष्टी चतुर्थी पर बिना व्रत किए भी भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि आपको भगवान गणेश का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त हो।
हमारे पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि हर माह में एक बार आने वाली संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है। आज के हम बात करेंगे कि इस शुभ तिथि पर किये गए व्रत और पूजन से मनुष्य को वे कौन से 5 लाभ प्राप्त होते हैं, जो उनके जीवन को सफल बनाने में उनकी सहायता करते हैं।
1. इनमें सर्वप्रथम लाभ है - संतान दीर्घायु और निरोगी बनती है
संकष्टी चतुर्थी पर पूरी श्रद्धा से किया गया व्रत और अनुष्ठान आपकी संतान को सभी विषम परिस्थितियों से बचाता है। माताएं विशेषकर इस दिन अपनी संतान की सुरक्षा और लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उनकी इस मनोकामना को अवश्य पूरा करते हैं। यदि आप भी अपनी संतान के लिए हर माह व्रत रखना चाहती हैं तो इस व्रत का पालन अवश्य करें।
2. सकंष्टी चतुर्थी से मिलने वाला दूसरा बड़ा लाभ है - कठिन परिस्थितियों से मुक्ति
संकष्टी का शाब्दिक अर्थ होता है सभी संकटों से मुक्ति पाना। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से मिलने वाला यह विशेष लाभ है। दैनिक जीवन में ऐसे कई कार्य होते हैं, जहाँ आपको अड़चनों का सामना करना पड़ता है और अंत में वे कार्य नहीं बन पाते हैं। संकष्टी चतुर्थी के व्रत के प्रभाव से सभी तरह की बाधाओं और अड़चनों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे समर्पण के साथ व्रत रखने से प्रथम पूज्य भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरकर उनके जीवन को आसान बनाते हैं।
3. तीसरा लाभ है परिवार में सुख समृद्धि
संकष्टी चतुर्थी पर किये गए व्रत से व्रती के सभी परिवारजनों पर गणपति जी की कृपा बरसती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन की गई विधिपूर्वक पूजा से संपूर्ण कुटुंब को सुखी जीवन का आशीर्वाद लाभ के रूप में मिलता है। इस तिथि पर किया गया व्रत बहुत ही प्रभावशाली होता है, और यदि घर में कोई एक सदस्य भी इस व्रत का पालन करें तो उस घर से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और परिवार में समृद्धि का वास होता है।
4. चौथा लाभ है दुर्लभ मनोकामनाओं की पूर्ति
संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन करने से मनुष्य की कई दुर्लभ इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। मंगलमूर्ति भगवान गणेश बहुत दयालु हैं और वे संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने वाले अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इस दिन पूरी आस्था से गणपति जी का ध्यान करना बहुत लाभदायक होता है इसीलिए आप भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस शुभ तिथि पर सच्चे मन से व्रत अवश्य करें।
5. पांचवा लाभ है बुद्धि और ज्ञान पूर्ति
हिन्दू धर्म में गणेश जी को बुद्धि का दाता माना जाता है, और चूँकि संकष्टी चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश को ही समर्पित है, इसीलिए इस दिन व्रत करने से गणपति जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान देते हैं। इस दिन गणेशजी के मन्त्रों का उच्चारण करने से मनुष्य को ध्यान क्रेंदित करने में मदद मिलती है। इस दिन व्रत करने के साथ ही आप मन लगाकर किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता की तैयारी करें। आपको लाभ जरूर प्राप्त होगा।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत से मिलने वाले यह विशेष लाभ आपके जीवन को सफल और खुशहाल बनाएँगे। हम आशा करते हैं यह आपके लिए सहायक होगा और आपको गणेश जी का आशीर्वाद मिलता रहेगा
Did you like this article?
जानिए कांवड़ यात्रा 2025 की तिथि, महत्व और नियम। शिव भक्त गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, जानें इसकी पूरी जानकारी।
2025 में महा संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाएगी? जानिए इसकी तिथि, चंद्रदर्शन का समय, व्रत विधि, भगवान गणेश की पूजा से जुड़ी मान्यताएं और व्रत कथा का महत्व।
बहुला चतुर्थी 2025 में कब मनाई जाएगी? जानिए इस व्रत की तिथि, पूजा का सही समय, गौ माता की पूजा की विधि, धार्मिक महत्व और इस दिन से जुड़ी परंपराएं।