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गीता जयन्ती 2025

गीता जयंती 2025 पर जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भगवद्गीता के दिव्य ज्ञान का महत्व

गीता जयंती के बारे में

गीता जयंती श्रीमद्भगवद्गीता के भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र युद्ध में उपदेश देने के दिन के रूप में मनाई जाती है। यह ज्ञान, धर्म और कर्म का उत्सव है, जो आध्यात्मिक चेतना को प्रेरित करता है।

गीता जयंती 2025

श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का वह दिव्य ग्रंथ है, जिसमें मानव जीवन, धर्म, कर्तव्य, भक्ति और मोक्ष का सम्पूर्ण सार समाहित है। यह वही पवित्र उपदेश है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्धक्षेत्र में अर्जुन को प्रदान किया था। इसी उपदेश-निर्देश के स्मरण में प्रत्येक वर्ष गीता जयंती मनाई जाती है। इस दिन गीता पाठ, श्रीकृष्ण पूजा और आध्यात्मिक साधना का विशेष महत्व होता है।

2025 में कब है गीता जयंती?

गीता की 5162वाँ वर्षगाँठ

  • गीता जयन्ती 01 दिसम्बर 2025 सोमवार को मनाई जाएगी।
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 30, 2025 को 09:29 पी एम बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त - दिसम्बर 01, 2025 को 07:01 पी एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:40 ए एम से 05:33 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:07 ए एम से 06:27 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:26 ए एम से 12:08 पी एम

विजय मुहूर्त

01:34 पी एम से 02:17 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:05 पी एम से 05:32 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:07 पी एम से 06:27 पी एम

अमृत काल

09:05 पी एम से 10:34 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:21 पी एम से 12:14 ए एम, दिसम्बर 02

क्या है गीता जयंती?

गीता जयंती वह पवित्र दिवस है जब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के आरम्भ से पहले अर्जुन को मोह-भ्रम से मुक्त करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यह उपदेश केवल अर्जुन के लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए धर्म और कर्तव्य का मार्गदर्शक है। गीता जयंती मानव जीवन में कर्तव्यपरायणता, सत्य, संयम, निस्वार्थ कर्म, भक्ति और आत्मज्ञान की महत्ता को समझाने वाला पर्व है।

क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?

गीता जयंती मनाने का मूल कारण वह ऐतिहासिक क्षण है जब एकादशी तिथि को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म सिद्धांतों का उपदेश दिया था। अर्जुन युद्धभूमि में कर्तव्य, भावनाओं और रिश्तों के द्वंद्व में उलझ गए थे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्मयोग, भक्ति योग, ज्ञान योग और मोक्ष मार्ग का विस्तारपूर्वक ज्ञान दिया।

यह दिन हमें याद दिलाता है कि:

  • धर्म के बिना जीवन अधूरा है
  • कर्तव्य ही मनुष्य की सर्वोच्च साधना है
  • निष्काम कर्म ही मोक्ष का मार्ग है

गीता जयंती का महत्व

  • गीता जयंती का आध्यात्मिक महत्व अतुल्य है।
  • श्रीमद्भगवद्गीता को हिन्दू धर्म का आधार माना जाता है।
  • यह मानव जीवन का संपूर्ण दर्शन प्रस्तुत करती है।
  • इसमें वर्णित सिद्धांत हर युग, हर व्यक्ति और हर परिस्थिति में लागू होते हैं।
  • यह दिन आत्मज्ञान, तप, साधना और धर्म के लिए समर्पित माना जाता है।
  • गीता का पाठ करने से मनुष्य का जीवन संतुलित, शांत और लक्ष्यपूर्ण बनता है।
  • शास्त्रों में कहा गया है कि गीता पाठ से पाप नष्ट होते हैं और बुद्धि निर्मल रहती है।

गीता जयंती कैसे मनाएं?

गीता जयंती सरल, शांत और आध्यात्मिक वातावरण में मनाई जाती है। इस दिन भक्त:

  • सुबह स्नान कर श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं
  • श्रीमद्भगवद्गीता के अध्यायों का पाठ करते हैं
  • इस्कॉन मंदिरों और कृष्णभक्ति केंद्रों में विशेष कार्यक्रम होते हैं
  • भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है
  • दान-पुण्य किया जाता है
  • कई भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं
  • यह दिन आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ है।

गीता जयंती के दिन किसकी पूजा करें

  • भगवान श्रीकृष्ण
  • श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ
  • दोनों का समान रूप से पूजन करना शुभ माना जाता है।
  • गीता स्वयं भगवान का वाणी-रूप मानी गई है, इसलिए इसकी पूजा विशेष फलदायी होती है।

गीता जयंती की पूजा कैसे करें?

पूजा-विधि इस प्रकार है:

  • घर के पूजा स्थान की सफाई करें
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
  • श्रीमद्भगवद्गीता को स्वच्छ वस्त्र पर रखें
  • दीपक, धूप, जल, चावल, फूल तैयार करें
  • श्रीकृष्ण को तुलसी-दल, पीले फूल और प्रसाद अर्पित करें
  • गीता के एक या अधिक अध्यायों का पाठ करें
  • अंत में श्रीकृष्ण-आरती करें
  • गीता पाठ इस दिन सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।

गीता जयंती के दिन क्या करना चाहिए?

  • श्रीकृष्ण पूजा
  • गीता पाठ या श्रवण
  • ध्यान और जप
  • ब्रह्म मुहूर्त में जागरण
  • उपवास या सात्त्विक भोजन
  • दान-पुण्य
  • जरूरतमंदों की सहायता
  • मन को शांत रखना

ये सभी कार्य इस दिन पुण्य बढ़ाते हैं।

गीता जयंती के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • क्रोध, विवाद, कटु वचन
  • किसी भी प्रकार की हिंसा
  • नशा, मांसाहार
  • झूठ, चुगली या धोखा
  • आलस्य, समय की बर्बादी
  • मन में दोष, ईर्ष्या या नकारात्मक भाव
  • यह दिन पूर्ण पवित्रता और संयम के साथ बिताना चाहिए।

गीता जयंती मनाने के क्या लाभ हैं?

  • आत्मज्ञान में वृद्धि होती है।
  • मन और बुद्धि निर्मल होती है।
  • जीवन में शांति, धैर्य और संतुलन आता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • कर्तव्य-भावना मजबूत होती है।
  • पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में सुधार होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
  • गीता का एक श्लोक भी जीवन को बदल सकता है, यह मान्यता है।

तो यह थी गीता जयंती की संपूर्ण जानकारी, इस दिन को अधिक मंगलकारी बनाने के लिए आप श्री मंदिर की चढ़ावा सेवा का लाभ भी उठा सकते हैं। आपको बता दें, चढ़ावा सेवा के माध्यम से आप घर बैठे, मथुरा में प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ावे के रूप में माखन, भोग, पुष्प आदि चढ़ा सकते हैं।

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Published by Sri Mandir·November 25, 2025

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