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दक्षिण सरस्वती पूजा

दक्षिण सरस्वती पूजा की तिथि, समय, पूजा विधि की पूरी जानकारी।

दक्षिण सरस्वती पूजा के बारे में

दक्षिण में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। इसका पालन केरल और तमिलनाडु में आयुध पूजा के समान दिन किया जाता है। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान आखिरी चार दिनों तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सरस्वती आवाहन से होती है। जिसका अर्थ है, मां सरस्वती का आहान करना। इसके बाद सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन होता है।

2025 में कब होगी दक्षिण सरस्वती पूजा?

दक्षिण में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। इसका पालन केरल और तमिलनाडु में आयुध पूजा के समान दिन किया जाता है। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में नवरात्रि के दौरान आखिरी चार दिनों तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत सरस्वती आवाहन से होती है। जिसका अर्थ है, मां सरस्वती का आहान करना। इसके बाद सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन होता है।

दक्षिण में सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार दक्षिण सरस्वती पूजा आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान मनाई जाती है।

  • दक्षिण सरस्वती पूजा 01 अक्टूबर 2025, बुधवार को की जाएगी।
  • विद्यारम्भम् संस्कार बृहस्पतिवार, अक्टूबर 2, 2025 को
  • आयुध पूजा विजय मुहूर्त - 01:46 पी एम से 02:34 पी एम
  • नवमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 30, 2025 को 06:06 पी एम बजे
  • नवमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 01, 2025 को 07:01 पी एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त  

04:13 ए एम से 05:02 ए एम

प्रातः सन्ध्या 

04:38 ए एम से 05:50 ए एम

अभिजित मुहूर्त 

कोई नहीं

विजय मुहूर्त 

01:46 पी एम से 02:34 पी एम

गोधूलि मुहूर्त 

05:45 पी एम से 06:09 पी एम

सायाह्न सन्ध्या 

05:45 पी एम से 06:57 पी एम

अमृत काल 

02:31 ए एम, अक्टूबर 02 से 04:12 ए एम, अक्टूबर 02

निशिता मुहूर्त 

11:23 पी एम से 12:12 ए एम, अक्टूबर 02

इस दिन यह दो विशेष योग बन रहे हैं

  • सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05 बजकर 55 मिनट से 13 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन पर रवि योग पूरे दिन रहेगा।

दक्षिण सरस्वती पूजा उत्सव

तमिलनाडु और केरल में सरस्वती पूजा नवरात्रि उत्सव के नौवें दिन मनाई जाती है। जबकि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह दशहरा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा विधि विधान के साथ करते है।

क्या है दक्षिण सरस्वती पूजा?

दक्षिण भारत में होने वाली आयुध पूजा को ही दक्षिण सरस्वती पूजा कहा जाता है। इस दिन लोग अपने ज्ञान और जीवन-निर्वाह के साधनों की पूजा करते हैं। विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की, योद्धा अपने शस्त्रों की, शिल्पकार अपने औज़ारों की और कामकाजी लोग अपने उपकरणों की आराधना करते हैं। यह पूजा इस भावना के साथ की जाती है कि हमारे जीवन में प्रयोग होने वाले सभी साधन पवित्र हैं और उनका सम्मान करना चाहिए।

क्यों करते हैं सरस्वती पूजा?

दक्षिण सरस्वती पूजा करने का मुख्य उद्देश्य है विद्या, बुद्धि और कौशल की देवी मां सरस्वती का आशीर्वाद पाना। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी सरस्वती ने राक्षसों का नाश करने के लिए शस्त्रों को दिव्य शक्ति प्रदान की थी। तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि इस दिन शस्त्र, औज़ार, यंत्र और पुस्तकें पूजित की जाती हैं ताकि उनमें सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति बनी रहे।

सरस्वती पूजा का महत्व

दक्षिण सरस्वती पूजा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में विद्या और साधनों का कितना महत्व है। पूजा के दौरान शस्त्र और औज़ारों को भगवान का रूप मानकर उनका सम्मान करना, हमारे कर्म में निष्ठा और कार्य में सफलता लाता है।

दक्षिण सरस्वती पूजा कहाँ मनाते हैं?

  • यह पूजा विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
  • तमिलनाडु और केरल में इसे नवरात्रि के नवमी दिन किया जाता है।
  • कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में दशहरा के दिन इसे आयोजित किया जाता है।
  • इस अवसर पर मंदिरों और घरों में देवी सरस्वती की भव्य आराधना होती है।

कौन से लोग सरस्वती पूजा कर सकते हैं?

  • इस पूजा में किसी विशेष जाति या वर्ग की बाध्यता नहीं है।
  • विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में सफलता के लिए पुस्तकें पूजते हैं।
  • कर्मचारी व व्यापारी अपने औज़ार और यंत्रों की पूजा करते हैं।
  • कला और शिल्प से जुड़े लोग अपने वाद्ययंत्र और उपकरण पूजते हैं।
  • अर्थात, यह पूजा हर उस व्यक्ति के लिए है, जो अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और ज्ञान की वृद्धि चाहता है।

दक्षिण सरस्वती पूजा की सामग्री

पूजा में प्रायः यह सामग्री उपयोग की जाती है:

  • पुस्तकें, शस्त्र या औज़ार
  • गंगाजल, रोली, हल्दी, चंदन
  • सफेद पुष्प, अक्षत और दीपक
  • फल, मिष्ठान और प्रसाद
  • सफेद वस्त्र और पूजा थाली

दक्षिण सरस्वती पूजा विधि

  • जातक को सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
  • दक्षिण सरस्वती पूजा वाले दिन अब शुभ मुहूर्त से पहले पूजन की तैयारी करनी चाहिए।
  • पूजा से पहले शास्त्रों की अच्छी तरह सफाई और फिर उन पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करना चाहिए।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाकर महाकाली स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • अब अपने शस्त्र पर कुमकुम, हल्दी का तिलक और फूल चढ़ाना चाहिए।
  • अब जातक शास्त्र को धूप दिखाकर मिष्ठान का प्रसाद चढ़ा सकते है और सर्वे कार्य सिद्धि की कामना मां सरस्वती से कामना करनी चाहिए।
  • इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद का वितरित करना चाहिए।
  • दक्षिण सरस्वती पूजा करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • मां सरस्वती को सफेद रंग बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जातक को सफेद रंग धारण करके ही पूजा करनी चाहिए।

दक्षिण सरस्वती पूजा के धार्मिक अनुष्ठान

  • नवमी के दिन पुस्तकें और शस्त्र पूजित कर अगले दिन विद्यारम्भम् संस्कार कराया जाता है।
  • दशहरे पर आयुध पूजा कर उपकरणों का प्रयोग पुनः शुरू किया जाता है।
  • परिवार व समाज के लोग मिलकर देवी सरस्वती के भजन-कीर्तन भी करते हैं।

दक्षिण सरस्वती पूजा के लाभ

  • शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है।
  • कार्यक्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • औज़ार और उपकरण पवित्र होकर कार्य में सफलता दिलाते हैं।
  • घर-परिवार में ज्ञान, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

इन उपायों से प्रसन्न होंगी सरस्वती माँ

  • पूजा के समय सफेद वस्त्र अवश्य धारण करें।
  • मां सरस्वती को सफेद पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें।
  • बच्चों को इस दिन शिक्षा से जुड़े संकल्प दिलाना शुभ होता है।
  • गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को पुस्तकें या अध्ययन सामग्री दान करें।

दक्षिण सरस्वती पूजा अवसर पर क्या करें?

  • पूजा के बाद एक दिन तक पुस्तकों और उपकरणों का प्रयोग न करें।
  • घर में भजन, कीर्तन और शांति पाठ का आयोजन करें।
  • परिवार और समाज में प्रसाद वितरण कर एकता और सद्भाव बढ़ाएं।
  • अगले दिन नए संकल्प और सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य की शुरुआत करें।
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Published by Sri Mandir·September 26, 2025

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