जानिए हरिद्वार के इस प्राचीन मंदिर की कथा, दर्शन और आरती समय, धार्मिक महत्व और वहाँ पहुँचने की पूरी जानकारी।
हरिद्वार के कंकाल क्षेत्र में स्थित दक्ष महादेव मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। माना जाता है कि यही वह स्थल है जहाँ देवी सती ने यज्ञ कुंड में आत्मदाह किया था। इस लेख में जानिए मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी प्रमुख मान्यताएं।
दक्ष महादेव मंदिर उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले के कनखल क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर पौराणिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और हरिद्वार के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों में इसका नाम सम्मिलित है। गंगा के तट पर स्थित यह मंदिर महादेव के उन रूपों में से एक को समर्पित है, जो मातृ शक्ति के त्याग से जुड़ा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दक्ष प्रजापति, जो माता सती के पिता थे, ने कनखल में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, जिससे माता सती अत्यंत व्यथित हो गईं और उन्होंने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में आहुति दे दी। इस अपमान से शिवजी अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने अपनी जटाओं से वीरभद्र को उत्पन्न किया, जिसने यज्ञ को विध्वस्त कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया। बाद में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और अन्य देवताओं के समझाने पर शिवजी शांत हुए और दक्ष को बकरे का सिर देकर पुनः जीवन प्रदान किया। यह वही स्थान है जहां यह घटना घटी थी और इसीलिए यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है। वर्ष 1810 में रानी धनकौर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है जो सावन मास में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करना चाहते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है और वैवाहिक जीवन में सुख-संपत्ति आती है। शिव-पार्वती की विशाल प्रतिमा, जहां शिव माता सती के मृत शरीर को उठाए हैं, श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देती है।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर एक उत्कृष्ट स्थापत्य कला का नमूना है। मंदिर के मुख्य द्वार पर माता सती और भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है। शिवलिंग इस मंदिर की विशेषता है, क्योंकि यह पातालमुखी है – अर्थात इसका ऊपरी भाग पृथ्वी के अंदर स्थित है, जो इसे अन्य शिवलिंगों से अलग बनाता है। गर्भगृह में शिवलिंग के अलावा सती कुंड, नंदी, गणेशजी, दुर्गा माता और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर के ठीक सामने गंगा बहती है, जो इसे और भी पावन बनाती है।
मंदिर खुलने का समय: सुबह 05:00 बजे से रात 09:00 बजे तक
सुबह की आरती: 06:00 AM – 07:00 AM
शाम की आरती: 07:00 PM – 08:00 PM
मंदिर में भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, घी, शहद, केला और फूल अर्पित किए जाते हैं। विशेष अवसरों पर विशेष पूजन और भोग की व्यवस्था होती है।
हवाई मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 43 किमी दूर है। यहां से टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
हरिद्वार रेलवे स्टेशन मंदिर से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर तक ऑटो और रिक्शा उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
दिल्ली से हरिद्वार की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। दिल्ली के ISBT से हरिद्वार के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है। निजी वाहनों, टैक्सी और राज्य परिवहन की बसों द्वारा हरिद्वार पहुंचा जा सकता है।
दक्ष महादेव मंदिर एक ऐसा स्थल है जहां श्रद्धा, इतिहास और पौराणिक कथा एक साथ जीवंत होती है। यह मंदिर शिवभक्तों के लिए भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है। हरिद्वार की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक इस मंदिर के पातालमुखी शिवलिंग के दर्शन न किए जाएं।
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