ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (Rin Mochan Mangal Stotra): नियम, लाभ, २१ नाम

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र

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श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र | Rin Mochan Mangal Stotra

श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र मंगल देव को समर्पित है। इस स्तोत्र के पाठ से कर्ज से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र में मंगल देव जी के सभी इक्कीस नामों का वर्णन मिलता है।

मंगल देव का संबंध हनुमान जी से है और हनुमान जी सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाले देवता माने गए हैं।

Rin Mochan Mangal Stotra लेख में

  1. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र की विधि।
  2. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र से लाभ।
  3. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एवं अर्थ।

2. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ की विधि:

  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के लिए शुक्ल पक्ष की कोई शुभ तिथि का चयन करें।
  • शुभ तिथि मंगलवार होनी चाहिए।
  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र पाठ करने के दिन में प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र को धारण कर लें।
  • इसके बाद घर के पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा कर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ शुरू करें।

2. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र से लाभ:

  1. ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ जो भी मनुष्य करता है, उस पर मंगल भगवान खुश होकर उसे धन-धान्य प्रदान कराते हैं।
  2. वह मनुष्य कुबेर भगवान की तरह धन-संपत्ति का स्वामी बन जाता है।
  3. वो मनुष्य हमेशा युवा रहता है और उसे रोग और कर्ज से मुक्ति मिलता है।

3. श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एवं अर्थ:

श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः॥

अर्थ:
हे मंगल देव! शास्त्रों में आपके जो नाम बताये गए हैं, उनमें पहला नाम मंगल, दूसरा भूमिपुत्र, जिनका जन्म पृथ्वी से हुआ, तीसरा ऋणहर्ता यानी कर्ज से मुक्ति दिलाने वाला, चौथा धनप्रद यानी धन को देने वाले, पांचवां स्थिरासन यानी जो अपने आसन पर अड़िग रहते हैं, छठा महाकाय यानी जो बहुत बड़े शरीर वाले हैं, सातवां नाम सर्वकमावरोधक यानी कार्य में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने वाला है।

लोहितो लोहिताङ्गश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥

अर्थ:
हे मंगल देव! आपके नामों में आठवां नाम लोहित, नवा लोहितांग, दसवां सामगानां यानी कृपा करने वाले, जिसका अर्थ सामग ब्राह्मणों के ऊपर अपनी कृपा दृष्टि को रखने वाला है, ग्यारहवां धरात्मज यानी पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न होने वाला, बारहवां कुज, तेरहवां भौम, चौदहवां भूतिद यानी ऐश्वर्या को देने वाला, पंद्रहवां भूमि नंदन यानी पृथ्वी को आनन्द देने वाला है।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टे कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥

अर्थ:
हे मंगल देव! आपके नामों में सोलहवां नाम अंगारक, सत्रहवां यम, अठारवां सर्व रोग पहारक अर्थात समस्त तरह की कठिनाइयों को दूर करने वाला, उन्नीसवां वृष्टिकर्ता अर्थात वृष्टि करने वाले यानी वर्षा कराने वाला, बीसवां नाम वृष्टिहर्ता अर्थात बारिश न कर अकाल लाने वाला और इक्कीसवां नाम सर्वकाम फलप्रदा अर्थात संपूर्ण कामनाओं का फल को देने वाला है।

एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥

अर्थ:
हे मंगल देव!जो मनुष्य आपके इन इक्कीस नाम का वाचन सच्चे मन और विश्वास से करता है, उस मनुष्य के ऊपर कभी ऋण यानी कर्ज नहीं होता है और वो अथाह धन की प्राप्ति करता है।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्ति-समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहरतं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥

अर्थ:
हे मंगल देव! आपकी उत्पत्ती पृथ्वी के गर्भ से हुई है, आपकी आभा आकाश में कड़कने वाली दामिनी (आकाश में चमकने वाली बिजली) के समान है। सभी तरह की शक्ति को धारण करने वाले कुमार मंगलदेव को मैं नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूं।

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत् पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥

अर्थ:
हे मंगल देव! आपके मंगल स्तोत्र का पाठ मनुष्य को हमेशा अपने मन में किसी भी तरह के विकार को दूर कर एवं अपनी पूर्ण श्रद्धा एवं आस्था के साथ करना चाहिए। जो भी मनुष्य इस मंगल स्तोत्र का पाठ करता हैं और दूसरों को सुनाता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

अङ्गारक! महाभान! भगवन्! भक्तवत्सल!
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥

अर्थ:
हे अंगारक अर्थात अग्नि की ज्वाला से जलने वाले! महाभाग अर्थात पूजनीय, ऐश्वर्यशाली, भक्तों के प्रति वात्सल्य यानी प्रेम रखने वाले आपको हम नतमस्तक होकर प्रणाम करते हैं। आप हमारे ऊपर किसी दूसरे से लिया हुआ उधार को पूर्ण करवा कर्ज को हमेशा के लिए दूर कर दीजिए।

ऋणरोगादि-दारिद्रयं ये चाऽन्ये ह्यपमृत्यवः।
भय-क्लेश-मनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥

अर्थ:
हे मंगल देव! मेरे ऊपर किसी दूसरे का कोई बकाया हो तो उसे समाप्त कर दीजिए, किसी भी तरह की व्याधि हो तो उसको भी दूर कर दीजिए। हे मंगल देव, मेरी गरीबी को दूर कर अकाल मृत्यु के भय को दूर कीजिए। मुझे किसी भी तरह का डर, क्लेश और मन में दुःख हो तो उसे भी हमेशा के लिए दूर कर दीजिए।

अतिवक्र! दुराराध्य! भोगमुक्तजितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥

अर्थ:
हे मंगल देव! आपको संतुष्ट करना बहुत ही कठिन है, आप तो मुश्किल से प्रसन्न होने वाले भगवान मंगल देव हैं, आप जब किसी पर अपनी कृपा की बारिश करते हैं तो उसे समस्त प्रकार के सुख-समृद्धि देते हैं। जब आप किसी पर नाराज होते हैं तो उसकी सार्वभौम सत्ता को तहस-नहस कर देते हैं।

विरिञ्च-श्क्र-विष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥

अर्थ:
हे महाराज! आप जब भी किसी से नाराज होते हैं, तो अपनी अनुकृपा दृष्टि से उसे हीन कर देते हैं। आप नाखुश होने पर ब्रह्माजी, इन्द्रदेव और विष्णुजी के भी साम्राज्य, संपत्ति को नष्ट कर सकते हैं, मेरे जैसे मनुष्य की तो बात ही क्या है। आप सबसे शक्तिशाली और सबसे बड़े राजा हैं।

पुत्रान् देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गताः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥

अर्थ:
हे भगवान! आप से प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे संतान के रूप में पुत्र प्रदान करें, मैं आपके द्वार पर आया हूं, आप मेरी मनोकामना को पूर्ण करें। मेरे ऊपर किसी तरह से भी किसी दूसरे से उधार लिया हुआ धन न रहे, मुझे कभी दूसरों के आगे हाथ फैलाना न पड़े, मेरी गरीबी को दूर कीजिए और मेरे सभी तरह के कष्ट और क्लेश का नाश कीजिए, जो मेरे दुश्मन बन चुके हैं, उनके डर से मुझे आप मुक्त कराएं।

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥

अर्थ:
जो भी मनुष्य इन बारह श्लोकों वाले ऋणमोचक मंगल स्तोत्र से मंगल देव की वंदना करता है, उस मनुष्य पर मंगल भगवान खुश होकर उसे धन-धान्य प्रदान कराते हैं। वह मनुष्य कुबेर भगवान की तरह धन-संपत्ति का स्वामी बन जाता है। वो मनुष्य हमेशा युवा रहता है।

॥ इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥

श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के उच्चारण मात्र से मनुष्य को किसी भी तरह के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है। अगर कोई मनुष्य अपने जीवनकाल में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी दूसरे मनुष्य से कर्ज लिया होता है और किसी कारणवश चुका पाने में असमर्थ हो जाता है, तो उसे ऋण मोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

कर्ज में डूबे हुए मनुष्य इस ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ से नियमित रूप से करता है, उसे कर्ज से मुक्ति मिलता है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के नियम | Rinmochak Mangal Stotra Ke Niyam


ये तो हम सभी जानते हैं कि बजरंगबली की कृपा पाने के लिए जातक कई उपाय करते हैं लेकिन ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी का ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ अगर किया जाए तो कर्ज समेत धन संबंधित कई परेशानियों का निवारण हो जाता है।

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ उनके लिए लाभकारी होता है जो कर्ज से परेशान हैं या जिनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। यह स्तोत्र मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने और ऋण (कर्ज) से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

इस मंगल स्तोत्र का पाठ करने के कुछ नियम भी है, यदि नियम के साथ इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो उपासक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।

आइये जानते हैं इसके नियमों के बारे में:

  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • जिस स्थान पर आप पाठ करने जा रहे हैं, उसे साफ रखें। ध्यान रहे पूजा स्थान शुद्ध और शांत होना चाहिए।
  • पाठ करते समय आप लाल रंग के वस्त्र पहन सकते हैं और लाल रंग के आसन का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।
  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से मंगलवार के दिन (सूर्योदय के समय) करना चाहिए।
  • ध्यान रखें पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश और भगवान हनुमान की आराधना करें और अंत में मंगल ग्रह के लिए प्रार्थना करें और अपने ऋण से मुक्ति की प्रार्थना करें।
  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ कम से कम 11 बार करना चाहिए, लेकिन संभव हो तो आप इसका जाप 21 या 108 बार भी कर सकते हैं।
  • आपको ये भी जानना चाहिए कि नियमित रूप से पाठ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
  • ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के पाठ के बाद हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाएं और इसके बाद यह प्रसाद परिवार और मित्रों में बांटें।
  • इस स्तोत्र के नियमित पाठ से रोग-दोष से मुक्ति और शत्रु पर विजय भी मिलती है.

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र 21 नाम | Rinmochak Mangal Stotra 21 Naam


दोस्तों, भक्ति के सबसे बड़े प्रतीक अगर कोई भगवान माने जाते हैं तो वो हैं बजरंगबली। बजरंगबली के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा, बजरंग बाण जैसे पाठ करते हैं और उन्हीं में से एक है ऋणमोचक मंगल स्तोत्र।

आपको बता दें कि इसके नियमित पाठ से उपासक के जीवन में बदलाव आता है। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र में मंगल ग्रह के 21 नामों का विशेष महत्व है। इन नामों का जप विशेष रूप से कर्ज से मुक्ति पाने, आर्थिक समस्याओं से उबरने, और मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

आइये जानते हैं इन 21 नामों के बारे में:

  • मंगल (मंगल करने वाला)
  • भूमिपुत्र (धरती का पुत्र)
  • रक्तवर्ण (लाल रंग वाला)
  • लोहताम्रकृतश्रियः (लोहे और तांबे की तरह चमकने वाला)
  • सर्वकामफलदाता (सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला)
  • सर्वारिष्टनिवारकः (सभी कष्टों का निवारण करने वाला)
  • धरणीगर्भसंभूत (धरती के गर्भ से उत्पन्न)
  • विकर्ता (विध्वंसक)
  • धीर (धैर्यवान)
  • विक्रमी (विजयी)
  • रक्तलोहित (रक्त और तांबे के रंग जैसा)
  • कुजो (कुजा ग्रह का देवता)
  • भूमिजः (धरती से उत्पन्न)
  • भौम (पृथ्वी का पुत्र)
  • महाकाय (विशाल शरीर वाला)
  • सर्वकामार्थसाधकः (सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला)
  • लोहितांग (लाल अंगों वाला)
  • सर्वरोगापहः (सभी रोगों को हरने वाला)
  • सर्वविघ्नहरः (सभी बाधाओं को दूर करने वाला)
  • धैर्यमार्तण्डवर्धनः (धैर्य को बढ़ाने वाला)
  • धारणागर्भसंभूत (धारणीय गुणों वाला)

इन 21 नामों का जप विशेष रूप से मंगलवार को करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ जपने से मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति को सभी प्रकार के ऋणों से मुक्ति और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

Rinmochan Mangal Stotra: FAQs


Q1. ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का पाठ कैसे करें? A: स्नान आदि करके लाल आसन पर बैठे, गणेश व हनुमान जी का ध्यान करें, श्रद्धाभाव से पाठ करें

Q2. ऋण मोचन का अर्थ क्या है? A: ऋण" का अर्थ है कर्ज, और "मोचन" का अर्थ है मुक्ति । इस प्रकार, ऋण मोचन का अर्थ है कर्ज से मुक्ति

Q3. ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के नियम A: पूजा स्थान शुद्ध और शांत हो, लाल आसन पर बैठें, मंगलवार को पाठ करें, कम से कम 11 बार पाठ करें

Q4. ऋणमोचक मंगल स्तोत्र २१ नाम ? A: उपरोक्त लेख में ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के सम्पूर्ण 21 नामों का वर्णन किया गया है

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