क्या आप जानते हैं स्कंदमाता माता का प्रिय रंग कौन सा है और नवरात्रि में इस रंग का क्या महत्व है? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
माता स्कंदमाता नवदुर्गा का पाँचवाँ स्वरूप हैं, जिन्हें ज्ञान, मोक्ष और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है। गोद में बाल स्कंद (कार्तिकेय) के साथ विराजमान होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। मान्यता है कि इनकी उपासना से भक्त को संतोष, सुख-समृद्धि और पारिवारिक उन्नति का आशीर्वाद मिलता है। इस लेख में जानिए माता स्कंदमाता का महत्व, उनकी पूजा-विधि और उनसे मिलने वाले विशेष लाभ।
नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। पाँचवें दिन माँ के स्वरूप स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। वे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और मातृत्व, करुणा तथा शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। कमल पर विराजमान होकर सिंह पर सवारी करने वाली माँ स्कंदमाता अपने भक्तों को बुद्धि, विवेक और संतान सुख का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। उनका स्वरूप अत्यंत गोरा, शांत और करुणामयी है, जो भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार करता है।
नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा के पंचम स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माँ स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद प्रिय है। भक्त इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को संतान सुख, बुद्धि और विवेक का आशीर्वाद देती हैं। कहा जाता है कि यदि किसी के जीवन में संतान से संबंधित कठिनाइयाँ हों, तो श्रद्धा भाव से माँ स्कंदमाता की पूजा और प्रिय रंग पहनने से उनकी बाधाएँ दूर होती हैं। भक्त जब सफेद वस्त्रों के साथ माँ को पूजते हैं तो यह उनकी श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
सफेद रंग को शुद्धता, शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह रंग आत्मा को निर्मल करता है और मन को स्थिरता प्रदान करता है। सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करने से न केवल वातावरण पवित्र और शांत होता है, बल्कि साधक के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन भी विकसित होता है। नवरात्रि के पाँचवें दिन सफेद रंग धारण करने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भक्त और माँ स्कंदमाता के बीच एक दिव्य संबंध स्थापित करता है। यह रंग सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश देता है। माँ स्कंदमाता के भक्त जब सफेद रंग धारण करते हैं, तो उन्हें मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और संतान की उन्नति का वरदान प्राप्त होता है।
माँ स्कंदमाता का प्रिय रंग सफेद है। नवरात्रि के पाँचवें दिन उनकी पूजा में इस रंग का उपयोग करना बहुत शुभ माना जाता है। भक्त अलग-अलग तरीकों से सफेद रंग को अपनी आराधना में शामिल कर सकते हैं—
सफेद वस्त्र पहनना - पूजा करते समय सफेद कपड़े धारण करना सबसे महत्वपूर्ण है। यह न केवल माँ के प्रति सम्मान और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि साधक के मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है।
सफेद फूल अर्पित करना - स्कंदमाता को सफेद फूल विशेष रूप से प्रिय हैं। पूजा के समय कमल, चमेली, बेला या कोई भी सफेद पुष्प अर्पित करना शुभ फल देता है।
सजावट में सफेद रंग का प्रयोग - पूजा स्थान को सफेद कपड़े, फूल-मालाओं और दीपक से सजाया जा सकता है। इससे वातावरण पवित्र और शांत हो जाता है।
ध्यान और मंत्रजाप में सफेद आसन - यदि संभव हो तो मंत्रजाप या ध्यान करते समय सफेद रंग के आसन पर बैठें। यह मन को स्थिर करता है और साधना को सफल बनाता है।
अन्य रंग जो स्कंदमाता को प्रिय हैं
माँ स्कंदमाता को जहाँ सफेद रंग सबसे अधिक प्रिय है, वहीं पीला रंग भी उन्हें अति प्रिय माना जाता है। पूजा करते समय यदि भक्त पीले वस्त्र धारण करें तो माता प्रसन्न होकर ज्ञान, बुद्धि और करियर में सफलता का आशीर्वाद देती हैं। पीला रंग आशावाद, अच्छे स्वास्थ्य और खुशी का प्रतीक है। यह रंग साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। माँ स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए भक्त पीले रंग की मिठाइयाँ जैसे केले, बेसन के लड्डू या केसर की खीर का भोग लगाते हैं। साथ ही, पूजा में पीले फूल अर्पित करने का भी विशेष महत्व है।
इस प्रकार, माँ स्कंदमाता की आराधना में सफेद और पीला दोनों रंग शामिल करना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग शांति, सुख-समृद्धि, ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।
Did you like this article?
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माता कालरात्रि अंधकार और बुराई नाश की देवी मानी जाती हैं। जानिए माता कालरात्रि किसका प्रतीक हैं और उनके स्वरूप का धार्मिक महत्व।
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित कालरात्रि माता का प्रिय रंग कौन सा है? जानिए कालरात्रि माता का पसंदीदा रंग और इसका धार्मिक व प्रतीकात्मक महत्व।
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माता कालरात्रि का बीज मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। जानिए माता कालरात्रि का बीज मंत्र, उसका सही उच्चारण और जाप से मिलने वाले लाभ।