रोहिणी नक्षत्र
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रोहिणी नक्षत्र

क्या करें और क्या न करें रोहिणी नक्षत्र में? जानिए जन्म, विवाह, करियर और उपायों से जुड़ी जरूरी जानकारी!

रोहिणी नक्षत्र के बारे में

रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा का सबसे प्रिय, आकर्षक और शुभ नक्षत्र माना जाता है। यह नक्षत्र व्यक्ति के मनोभावों को गहराई और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे उसका व्यक्तित्व सौम्य, आकर्षक और कलात्मक बनता है। पौराणिक कथाओं में इसे चंद्रमा की प्रिय पत्नी के रूप में दर्शाया गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से, यह नक्षत्र शुभता, समृद्धि, वैवाहिक सुख और जीवन में संतुलन लाने का प्रतीक है। माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, धन-धान्य और मानसिक स्थिरता आती है। यह नक्षत्र न केवल भौतिक संपन्नता, बल्कि आध्यात्मिक विकास के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

रोहिणी नक्षत्र क्या है?

रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा के 27 नक्षत्रों में से चौथा और सबसे आकर्षक नक्षत्र माना जाता है। यह नक्षत्र वृषभ राशि में स्थित होता है और इसकी पहचान एक सुंदर, रोशन और प्रजननशील नक्षत्र के रूप में होती है। शास्त्रों में इसे सौंदर्य, आकर्षण, समृद्धि और विकास का प्रतीक माना गया है। पुराणों के अनुसार रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी भी मानी जाती हैं। यही कारण है कि यह नक्षत्र चंद्रमा के साथ अत्यंत घनिष्ठ संबंध रखता है और इसकी स्थिति ज्योतिषीय रूप से विशेष मानी जाती है।

रोहिणी नक्षत्र का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी नक्षत्र को अत्यधिक शुभ और उन्नति देने वाला माना गया है। यह नक्षत्र भौतिक सुख, कृषि, सौंदर्य, कला, प्रेम और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में स्थित होता है, वे सौम्य स्वभाव, आकर्षक व्यक्तित्व और मजबूत कल्पनाशक्ति वाले माने जाते हैं। यह नक्षत्र विशेष रूप से व्यापार, कला, फिल्म, डिजाइन, कृषि और संगीत क्षेत्र के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है। जब रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा या अन्य शुभ ग्रह होते हैं, तो यह समय नई योजनाओं के आरंभ, खरीदारी, यात्रा और विवाह के लिए भी शुभ होता है।

रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?

रोहिणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। चंद्रमा मन, भावना, सौंदर्य, शांति और जल तत्व का प्रतिनिधि माना जाता है। चंद्रमा के स्वामित्व के कारण रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव में व्यक्ति भावुक, कल्पनाशील और कोमल प्रवृत्ति का होता है। चंद्रमा की यह स्थिति मानसिक स्थिरता, पारिवारिक प्रेम और सौंदर्य के प्रति झुकाव को दर्शाती है। यदि कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थान पर हो और रोहिणी नक्षत्र में हो, तो व्यक्ति को मनोबल, सौभाग्य और रचनात्मक ऊर्जा का अद्भुत साथ मिलता है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्वभाव और विशेषताएं

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक, विनम्र, कलाप्रिय और भावनात्मक रूप से गहरे होते हैं। उनका व्यक्तित्व दूसरों को सहज ही आकर्षित करता है। वे सौंदर्यप्रिय होते हैं और उन्हें जीवन में स्थिरता पसंद होती है। ये जातक परिवार के प्रति समर्पित, प्रेम में सच्चे और व्यवहार में संतुलित होते हैं। उनमें स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता होती है, लेकिन वे अपनी भावनाओं में जल्द ही उलझ भी सकते हैं। अत्यधिक कल्पनाशील होने के कारण कई बार वे यथार्थ से दूर हो सकते हैं, परंतु जब उन्हें सही दिशा मिले, तो वे उच्च उपलब्धियां प्राप्त करते हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्वभाव और विशेषताएं

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक आकर्षक, विनम्र, कलाप्रिय और भावनात्मक रूप से गहरे होते हैं। उनका व्यक्तित्व दूसरों को सहज ही आकर्षित करता है। वे सौंदर्यप्रिय होते हैं और उन्हें जीवन में स्थिरता पसंद होती है। ये जातक परिवार के प्रति समर्पित, प्रेम में सच्चे और व्यवहार में संतुलित होते हैं। उनमें स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता होती है, लेकिन वे अपनी भावनाओं में जल्द ही उलझ भी सकते हैं। अत्यधिक कल्पनाशील होने के कारण कई बार वे यथार्थ से दूर हो सकते हैं, परंतु जब उन्हें सही दिशा मिले, तो वे उच्च उपलब्धियां प्राप्त करते हैं।

करियर और व्यवसाय

इस नक्षत्र में जन्मे जातक रचनात्मक क्षेत्रों में अत्यधिक सफल होते हैं। फिल्म, फैशन, आर्ट, डिजाइन, गायन, लेखन, विज्ञापन, थिएटर, सौंदर्य उद्योग, कृषि और बागवानी जैसे क्षेत्रों में इनकी रुचि और सफलता अधिक होती है। ये लोग अपने कार्य को सजगता और परिशुद्धता से करते हैं, जिससे उन्हें समाज में मान-सम्मान मिलता है। व्यापार में भी ये जातक विशेष रूप से सफल होते हैं, क्योंकि इनमें आकर्षण के साथ-साथ व्यवहारिक बुद्धि भी होती है।

विवाह जीवन

रोहिणी नक्षत्र विवाह के लिए शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक अपने जीवनसाथी के प्रति समर्पित, प्रेमी और समझदार होते हैं। वे वैवाहिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं और परिवार को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, इनकी भावुकता कभी-कभी अधिक अपेक्षाएं पैदा कर सकती है, जिससे वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकता है। यदि जीवनसाथी भी भावनात्मक रूप से समझदार हो, तो यह नक्षत्र अत्यंत सुखी और संतुलित वैवाहिक जीवन का आधार बनता है।

उपाय और शुभ मंत्र

सोमवार के दिन भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेक करें

सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और भगवान शिव चंद्रमा को मस्तक पर धारण करते हैं। इस दिन शिवलिंग पर शुद्ध जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें। इससे मानसिक शांति मिलती है, चंद्र दोष शांत होता है और भावनात्मक संतुलन आता है।

“ॐ सोमाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें

यह चंद्रदेव का मुख्य मंत्र है। इसका जाप सोमवार के दिन, रुद्राक्ष माला से 108 बार करना चाहिए। इससे चंद्रमा की ऊर्जा को सक्रिय किया जाता है और मन की कमजोरी, चिंता व असमंजस की स्थिति दूर होती है।

चंद्र बीज मंत्र – “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः” का जाप करें

यह बीज मंत्र चंद्रमा की मूल शक्ति को जाग्रत करता है। साथ ही ध्यान और मानसिक स्पष्टता के लिए अत्यंत प्रभावी है। 

चावल, दूध, शंख का दान करें

चंद्रमा का संबंध श्वेत रंग और जल तत्व से है। इसलिए सफेद वस्तुओं का दान चंद्र दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है। इस दान से चंद्र ग्रह की कृपा बढ़ती है और मानसिक तथा पारिवारिक जीवन में स्थिरता आती है।

सफेद वस्त्र धारण करें और सात्विक भोजन करें

चंद्रमा शुद्धता और शांति का प्रतीक है। इसलिए शरीर और आहार में भी सात्विकता जरूरी है। सोमवार या पूर्णिमा के दिन सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें, मसालेदार भोजन से बचें और शांत चित्त से भोजन करें। यह जीवनशैली चंद्रमा की प्रकृति के अनुरूप होती है, जिससे ग्रह की अशुभता दूर होती है।

रोहिणी नक्षत्र में क्या करें और क्या न करें

क्या करें

  1. रचनात्मक कार्यों की शुरुआत करेंजैसे कला, लेखन, डिज़ाइन, संगीत या शिल्प आदि में कुछ नया शुरू करना शुभ होता है।

  2. खरीदारी, घर की सजावट, बागवानी करें

सुंदरता और सौम्यता से जुड़ी गतिविधियाँ इस नक्षत्र में विशेष फल देती हैं।

  1. प्रेम, कला और संगीत से जुड़े कार्यों में भाग लेंइस नक्षत्र की ऊर्जा भावनात्मक और कलात्मक कार्यों में सफलता देती है।

  2. परिवार व संबंधों में सौहार्द बनाए रखेंयह समय रिश्तों को मजबूत करने और मन-मुटाव दूर करने के लिए उपयुक्त होता है।

क्या न करें

  1. अत्यधिक भावुक होकर निर्णय न लेंभावनाओं में बहकर लिए गए निर्णय बाद में नुकसानदायक हो सकते हैं।

  2. काल्पनिक भय या चिंता में न उलझेंइस नक्षत्र की कल्पनाशीलता कभी-कभी बेवजह की चिंता को बढ़ा सकती है।

  3. मन की बातों को बहुत देर तक दबाकर न रखेंसंवादहीनता मानसिक तनाव का कारण बन सकती है, इसलिए खुलकर बात करें।

  4. असंतुलन और आलस्य से बचेंनिष्क्रियता और अस्थिरता इस नक्षत्र की सकारात्मक ऊर्जा को नकारात्मक बना सकती है।

रोहिणी नक्षत्र सौंदर्य, प्रेम, समृद्धि और रचनात्मकता का प्रतीक है। इसका स्वामी चंद्रमा होने के कारण यह व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि इसकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाया जाए, तो यह नक्षत्र जीवन में सौभाग्य, सम्मान और सुख की वृद्धि करता है।

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Published by Sri Mandir·June 18, 2025

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