बुध की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव और उपाय
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बुध की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा

क्या आप जानना चाहते हैं बुध की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? जानें शुभ-अशुभ फल और उपाय अभी।

बुध की महादशा के बारे में

वैदिक ज्योतिष में बुध की महादशा का समयकाल 17 वर्ष का माना जाता है, और इसके परिणाम व्यक्ति की जन्म कुंडली में बुध की स्थिति, भाव, दृष्टि व योगों के आधार पर बदलते हैं। यदि जन्म कुंडली में बुध शुभ स्थान पर हो और मजबूत स्थिति में स्थित हो जैसे लग्न, केंद्र, त्रिकोण या मित्र राशि में है तो बुध की महादशा व्यक्ति को तेज बुद्धि, चतुराई, प्रभावी वाणी और व्यवसाय में सफलता प्रदान करती है। इस लेख में जानिए बुध महादशा का महत्व, इसके शुभ-अशुभ प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।

1. बुध महादशा में बुध की अंतर्दशा

सामान्य प्रभाव

  • बुद्धि और निर्णय क्षमता: संचार कौशल में सुधार होता है, व्यक्ति अच्छे से चीजें सीख पाता है।

  • करियर और व्यवसाय: व्यापार, लेखा, आईटी, शिक्षा, मीडिया या बौद्धिक कार्यक्षेत्र में प्रगति।

  • आर्थिक लाभ: नए आय स्रोत और निवेश में मुनाफा मिलने की संभावना।

  • संबंध: भाई-बहनों, मित्रों और सहकर्मियों के साथ बेहतर तालमेल।

जब बुध शुभ हो

  • प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तम सफलता।
  • वाणी, लेखन और जनसंपर्क से प्रतिष्ठा में वृद्धि।

जब बुध अशुभ हो

  • अति-चिंतन से मानसिक थकान।
  • त्वचा, नसों या पाचन संबंधी परेशानी।
    1. अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय
  • प्रतिदिन "ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः" मंत्र का 108 बार जप।
  • गणेश जी को दूर्वा और मोदक अर्पित करना।

2. बुध महादशा में केतु की अंतर्दशा

अवधि और प्रभाव का आधार

  • यह अवधि लगभग 1 साल 1 महीने रहती है।
  • इसके परिणाम जन्म कुंडली में बुध और केतु की स्थिति, आपसी संबंध और योगों पर निर्भर करते हैं।

जब दोनों ग्रह शुभ हों

  • शोध, गूढ़ विद्या, ज्योतिष, गणित और तकनीकी क्षेत्रों में सफलता।
  • विदेश यात्रा के अवसर और अंतर्ज्ञान में वृद्धि।

जब अशुभ हों

  • मानसिक भ्रम, गलतफहमियां और संबंधों में दूरी।
  • कामकाज में रुकावटें, अचानक बदलाव और वित्तीय अस्थिरता।

स्वास्थ्य से जुड़े प्रभाव

  • सिरदर्द, नसों की कमजोरी, आंखों की परेशानी, त्वचा रोग या नींद की समस्या।
  • अशुभ प्रभाव घटाने के उपाय

बुधवार को हरी मूंग व तिल का दान

  • प्रतिदिन ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः और ॐ कें केतवे नमः मंत्र का 108 बार जप।
  • गणेश जी को दूर्वा अर्पित करना और काले या भूरे कुत्ते को रोटी खिलाना।

3. बुध महादशा में शुक्र की अंतर्दशा

अवधि और प्रभाव का आधार

  • यह अंतरदशा लगभग 3 साल 2 महीने तक चलती है।
  • परिणाम जन्म कुंडली में बुध और शुक्र की स्थिति, आपसी दृष्टि और भावाधिपत्य पर निर्भर करते हैं।

सकारात्मक प्रभाव (यदि दोनों ग्रह शुभ हों)

  • करियर और व्यवसाय में तेज़ उन्नति, विशेषकर कला, मीडिया, फैशन, डिज़ाइन और रचनात्मक क्षेत्रों में।
  • वैवाहिक जीवन में सामंजस्य, प्रेम संबंधों में स्थिरता और नए रिश्तों का निर्माण।
  • भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि और महंगे सामान की प्राप्ति।

नकारात्मक प्रभाव (यदि ग्रह अशुभ हों)

  • विलासिता और दिखावे पर अधिक खर्च से आर्थिक असंतुलन।
  • प्रेम जीवन या विवाह में मतभेद और अविश्वास।
  • स्वास्थ्य समस्याएं जैसे त्वचा रोग, हार्मोनल असंतुलन या गुप्त रोग।

स्वास्थ्य व मानसिक स्थिति

  • शुभ अवस्था में मानसिक शांति और रचनात्मक सोच बढ़ती है।
  • अशुभ अवस्था में चिंता, अनिद्रा और आत्मसंतुष्टि में कमी हो सकती है।

अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय

  • शुक्रवार को सफेद कपड़े, चावल या मिश्री का दान करें।
  • प्रतिदिन ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः और ॐ शुं शुक्राय नमः मंत्र का 108 बार जप करें।
  • माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की आराधना करें और कमल का फूल अर्पित करें।

4. बुध महादशा में सूर्य की अंतर्दशा

अवधि और प्रभाव का आधार

  • यह अंतरदशा लगभग 10 महीने की होती है।
  • परिणाम जन्म कुंडली में बुध और सूर्य की स्थिति, उनका आपसी संबंध, दृष्टि और योगों के आधार पर बदलते हैं।

सकारात्मक प्रभाव

  • करियर में उन्नति, सरकारी कार्यों में सफलता और अधिकारों की प्राप्ति।
  • नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में निखार।
  • मान-सम्मान और पदोन्नति के अवसर।

नकारात्मक प्रभाव

  • वरिष्ठ अधिकारियों या सरकारी मामलों में मतभेद।
  • अहंकार, हठ और रिश्तों में तनाव।
  • आंख, हृदय या रक्तचाप से जुड़ी परेशानी।

स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति

  • शुभ अवस्था में मानसिक ऊर्जा और दृढ़ता में वृद्धि।
  • अशुभ अवस्था में चिड़चिड़ापन, तनाव और स्वास्थ्य में गिरावट।

अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय

  • रविवार को गेहूं, गुड़ और लाल कपड़े का दान।
  • प्रतिदिन ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः और ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का 108 बार जप।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करना और तांबे के बर्तन का जल पीना।

5. बुध महादशा में चंद्र की अंतर्दशा

अवधि और प्रभाव का आधार

  • यह अंतरदशा लगभग 1 साल 4 महीने चलती है।
  • इसका असर कुंडली में बुध और चंद्रमा की स्थिति, उनके आपसी संबंध, दृष्टि और भावाधिपत्य पर निर्भर करता है।

सकारात्मक प्रभाव

  • मानसिक शांति, रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति में वृद्धि।
  • पारिवारिक सुख-संपन्नता, माता से सहयोग और घरेलू वातावरण में सामंजस्य।
  • शिक्षा, कला, साहित्य, लेखन, मीडिया या यात्रा से लाभ।

नकारात्मक प्रभाव

  • मन में अस्थिरता, चिंता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव।
  • परिवार में मतभेद या घरेलू तनाव।
  • यात्राओं में असुविधा और स्वास्थ्य समस्याएं।

स्वास्थ्य व मानसिक स्थिति

  • शुभ स्थिति में भावनात्मक संतुलन और मानसिक मजबूती।
  • अशुभ स्थिति में तनाव, अनिद्रा और पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है।

6. बुध महादशा में मंगल की अंतर्दशा

अवधि और प्रभाव का आधार

  • यह अवधि लगभग 1 साल 1 महीने तक रहती है।
  • परिणाम कुंडली में बुध और मंगल की स्थिति, उनकी दृष्टि, योग और भावाधिपत्य पर निर्भर करते हैं।

सकारात्मक प्रभाव

  • आत्मविश्वास, ऊर्जा और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि।
  • भूमि, संपत्ति, वाहन और निर्माण कार्यों में लाभ।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं और साहसिक कार्यों में सफलता।

नकारात्मक प्रभाव

  • गुस्सा, उतावलापन और विवाद की प्रवृत्ति।
  • कानूनी अड़चनें, भूमि विवाद या दुर्घटना की संभावना।
  • साझेदारी और टीमवर्क में मतभेद।

स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति

  • शुभ स्थिति में शारीरिक बल और साहस बढ़ता है।
  • अशुभ स्थिति में चोट, रक्तचाप, सिरदर्द या रक्त संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

अशुभ प्रभाव कम करने के उपाय

  • मंगलवार को मसूर दाल, लाल कपड़ा या तांबे की वस्तु दान करें।
  • प्रतिदिन ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः और ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का 108 बार जप करें।
  • हनुमान जी की पूजा कर उन्हें लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें।

7. बुध महादशा में राहु की अंतर्दशा

1. इस समय में व्यक्ति को विदेश यात्रा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार या विदेशी कंपनियों से जुड़ने का अवसर मिल सकता है, जिससे करियर में नए रास्ते खुलते हैं। 2. राहु के प्रभाव से कभी-कभी गलत निर्णय, धोखाधड़ी या कानूनी उलझनों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सावधानी और विवेक जरूरी है। 3. तकनीकी, डिजिटल मीडिया, रिसर्च और आधुनिक साधनों के उपयोग में रुचि और दक्षता बढ़ सकती है। 4. अत्यधिक विचार, तनाव या नकारात्मक आदतों के कारण मानसिक दबाव, लत लगने या नसों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 5. नकारात्मक असर कम करने के लिए शनिवार को काले तिल, उड़द और सरसों का तेल दान करें तथा "ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः" और राहु बीज मंत्र का नियमित जप करें।

8. बुध महादशा में गुरु की अंतर्दशा

1. इस समय व्यक्ति का रुझान ज्ञान, शिक्षा और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता है, जिससे समझ और विवेक में वृद्धि होती है। 2. करियर में प्रगति, पदोन्नति या नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं, विशेष रूप से शिक्षा, न्याय, वित्त और परामर्श से जुड़े क्षेत्रों में। 3. पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है और बड़ों या मार्गदर्शकों का सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 4. यदि गुरु की स्थिति अशुभ हो, तो गलत फैसले, अति आत्मविश्वास या अनदेखी के कारण आर्थिक नुकसान और अवसर चूकने की संभावना रहती है। 5. शुभ फल बढ़ाने के लिए गुरुवार को पीली वस्तुओं का दान, गुरु बीज मंत्र का जाप और विद्वानों व बुजुर्गों का सम्मान करना लाभकारी होता है।

9. बुध महादशा में शनि की अंतर्दशा

1. इस अवधि में मेहनत, अनुशासन और संयम के जरिए आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं, लेकिन सफलता धीरे-धीरे प्राप्त होती है। 2. करियर में स्थायित्व और जिम्मेदारियों में बढ़ोतरी होती है, विशेषकर प्रशासन, प्रबंधन, तकनीकी या अनुसंधान से जुड़े क्षेत्रों में। 3. आर्थिक मामलों में सतर्कता ज़रूरी होती है, क्योंकि लाभ मिलने में समय लग सकता है और निवेश में धैर्य रखना पड़ता है। 4. शनि के अशुभ होने पर काम में बाधाएं, मानसिक तनाव, कानूनी उलझनें या सेहत संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। 5. अच्छे परिणाम के लिए शनिवार को काले तिल या सरसों का तेल दान करना, शनि मंत्र का जाप करना और सेवा व श्रम को जीवन में अपनाना लाभदायक रहता है।

निष्कर्ष

बुध को ज्ञान, वाणी, व्यापार, विवेक, गणना और संवाद का प्रमुख ग्रह माना जाता है, इसलिए इसकी महादशा व्यक्ति के जीवन के अनेक पहलुओं पर असर डालती है।

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Published by Sri Mandir·August 26, 2025

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