क्या आप जानते हैं कि तुलसी कवचम् के पाठ से आध्यात्मिक उन्नति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है? जानें इसकी विधि, लाभ और शक्तिशाली श्लोक।
तुलसी कवचम् अत्यंत लाभकारी है। इसके पाठ से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तुलसी कवचम् भगवान विष्णु और तुलसी माता की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय है। अगर आप जानना चाहते हैं इस कवच के महत्व, लाभ और पूजा-पाठ की विधि के बारे में तो विस्तार से तो पढ़िए हमारे इस लेख को और जानें सब कुछ।
तुलसी कवचम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो विशेष रूप से तुलसी के पौधे और उसकी पूजा के महत्व को दर्शाता है। यह स्तोत्र ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित है और भगवान विष्णु तथा तुलसी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। कथानुसार, जब भगवान सुब्रह्मण्य तारकासुर से युद्ध करते-करते थक गए, तो उन्होंने भगवान शिव से सहायता की प्रार्थना की।
भगवान शिव उनके सामने प्रकट होकर उन्हें इस शक्तिशाली स्तोत्र के बारे में बताते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को मानसिक और शारीरिक बल मिलता है। भगवान शिव ने सुब्रह्मण्य को यह स्तोत्र सिखाकर तारकासुर का वध किया। तुलसी कवच का जाप करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तोत्र धार्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक प्रभावशाली है और तुलसी की पूजा करने वाले भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस प्रकार, श्री तुलसी कवच का नियमित पाठ व्यक्ति की भक्ति और आस्था को मजबूत करता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करता है।
तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी।
शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी।।
दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम।
घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम।।
जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम।
स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा।।
पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी।
कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता।।
जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता।
नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी।।
संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे।
नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा।।
इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम्।
मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च।।
मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत्।
वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम्।।
द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये।
अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम्।।
पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम्।
राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये।।
भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि।
जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः।।
उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः।
तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम्।।
सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम्।
मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम्।।
या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत्।
सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम्।।
वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः।
सा अपि संवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम्।।
अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक।
पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः।।
कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम।
श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत्।।
किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः।
यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम्।।
मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया।
जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः।
मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
ॐ सुभद्राय नमः ॐ सुप्रभाय नमः
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधी व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।
खुशहाली और समृद्धि का आगमनः तुलसी कवच का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं। इससे घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
भगवान विष्णु की कृपाः तुलसी कवच का नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
घर में धन की वृद्धिः तुलसी कवच के पाठ से घर में धन का आगमन होता है। यह व्यक्ति को आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है।
समस्याओं से मुक्तिः तुलसी कवच का पाठ करने से भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, काला जादू, बुरी नजर, टोना-टोटका जैसी सभी बाधाएं दूर होती है।
स्वास्थ्य में सुधारः जो व्यक्ति गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते हैं, उन्हें तुलसी कवच का पाठ करने से धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार मिलने लगता है।
रोगमुक्तिः तुलसी कवच का पाठ शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ और रोगमुक्त हो जाता है।
सकारात्मक परिवर्तनः तुलसी कवच के पाठ से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं और व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त करता है।
अविवाहित कन्याओं के लिए लाभकारीः अगर कोई अविवाहित कन्या तुलसी कवच का पाठ करती है, तो उसे अच्छे वर की प्राप्ति का सौभाग्य मिलता है।
कन्या की खुशहालीः तुलसी कवच का पाठ करने से कन्या के जीवन में खुशियां आती हैं, और उसके परिवार में सम्मान बढ़ता है।
मन की शांतिः तुलसी कवच का पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है और व्यक्ति के मन को स्थिर करता है।
ध्यान केंद्रित करने में मददः तुलसी कवच का पाठ उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी है, जो ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई महसूस करते हैं, जैसे बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते।
शिक्षा में सफलताः बच्चे जो पढ़ाई में असफल रहते हैं या ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, उन्हें तुलसी कवच का नित्य पाठ करने से सफलता मिलने लगती है।
मन की एकाग्रताः तुलसी कवच का पाठ करने से मन एकाग्र होता है, जिससे व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक सफलता प्राप्त करता है।
विजय की प्राप्तिः यह पाठ व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विजय और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
विधि-विधान से लाभः तुलसी कवच का पाठ विधि-विधान से करने पर अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं और व्यक्ति का जीवन सुखमय बनता है। तुलसी कवच का नियमित पाठ जीवन में मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शांति लाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और खुशहाली आती है।
तुलसी कवचम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से गुरुवार या आषाढ़ पूर्णिमा के दिन इसे करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पाठ विधि सरल और प्रभावशाली है। सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान का चयन करें, जहाँ शांति और समृद्धि का वातावरण हो। घर के पूजा स्थान या तुलसी के पौधे के पास इसे पढ़ना अधिक लाभकारी होता है। पाठ प्रारंभ करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करें। हल्के कपड़े पहनें और स्नान करके ताजगी का अनुभव करें। यदि संभव हो, तो तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें और उसकी पूजा करें।
तुलसी के पत्तों का पूजन करते हुए दीपक और अगरबत्तियाँ जलाएं। अब एकाग्रचित्त होकर भगवान विष्णु और तुलसी माता का ध्यान करें। अपने मन में यह संकल्प लें कि आप पाठ का लाभ लेने के लिए इसे श्रद्धा से करेंगे। तुलसी कवचम् को शुद्ध हृदय से, नियमित रूप से और विधिपूर्वक पढ़ें। 108 बार जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है, लेकिन यदि समय कम हो, तो कम जाप भी किया जा सकता है। पाठ के बाद तुलसी माता के समक्ष प्रणाम करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और पूजा को समाप्त करें। इस प्रकार तुलसी कवचम् का विधिपूर्वक पाठ करने से समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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