नृसिंह अष्टक कवच भगवान नृसिंह की कृपा दिलाने वाला अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। जानें इसके पाठ का सही तरीका और इससे मिलने वाले अद्भुत लाभ।
नृसिंह अष्टक कवच एक ऐसा अद्भुत स्तोत्र है, जिसमें आठ शक्तिशाली श्लोकों के माध्यम से भगवान नृसिंह की स्तुति की जाती है। यह कवच आपको शारीरिक सुरक्षा देता है साथ ही आपको मानसिक और आध्यात्मिक स्तर की शक्ति भी प्रदान करता है। तो चलिए इस आर्टिकल में हम जानेंगे नृसिंह अष्टक कवच से जुड़ी सारी बातों को।
भगवान नृसिंह, भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं। वे अधर्म, अन्याय और अत्याचार के विनाशक हैं। जब भक्त प्रह्लाद को असुरराज हिरण्यकशिपु के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान प्रकट हुए, तब उन्होंने न केवल अपने भक्त की रक्षा की बल्कि यह संदेश भी दिया कि जो सच्चे हृदय से भगवान को पुकारता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। ‘नृसिंह अष्टक कवच’ का पाठ करने से जीवन में आने वाले समस्त संकटों से रक्षा होती है और व्यक्ति को भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है। यह कवच भक्त को भय से मुक्त कर साहस, आत्मविश्वास देता है।
भगवान नृसिंह, भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं। वे अधर्म, अन्याय और अत्याचार के विनाशक हैं। जब भक्त प्रह्लाद को असुरराज हिरण्यकशिपु के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान प्रकट हुए, तब उन्होंने न केवल अपने भक्त की रक्षा की बल्कि यह संदेश भी दिया कि जो सच्चे हृदय से भगवान को पुकारता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। ‘नृसिंह अष्टक कवच’ का पाठ करने से जीवन में आने वाले समस्त संकटों से रक्षा होती है और व्यक्ति को भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है। यह कवच भक्त को भय से मुक्त कर साहस, आत्मविश्वास देता है।
श्रीमदकलङ्क परिपूर्ण शशिकोटी
श्रीधर मनोहर सटापटल कान्त ।
पालय कृपालय भवाम्बुधि-निमग्नं
दैत्यवरकाल नरसिंह नरसिंह ॥ १ ॥
पादकमलावनत पातकि-जनानां
पातकदवानल पतत्रिवर-केतौ ।
भावन परायण भवार्तिहराय मां
पाहि कृपयैव नरसिंह नरसिंह ॥ २ ॥
तुङ्गनख-पङ्क्ति-दलितासुर-वरासृक्
पङ्क-नवकुङ्कुम-विपश्चिम-वपुः ।
पण्डितानिधान-कमलालय नमस्ते
पङ्कजनिषण्ण नरसिंह नरसिंह ॥ ३ ॥
मौलिषु विभूषणमिवामर वराणां
योगिहृदयेषु च शिरस्सुनिगमानाम् ।
राजदरविन्द-रुचिरं पदयुगं ते
देहि मम मूर्ध्नि नरसिंह नरसिंह ॥ ४ ॥
वारिजविलोचन मदि न्म-दशायां
क्लेश-विवशीकृत-समस्त-करणायाम् ।
एहि रमया सह शरण्य विहंगानां
नाथमधिरुह नरसिंह नरसिंह ॥ ५ ॥
हाटक-किरीट-वरहार-वनमाला
धाराशना-मकरकुण्डल-मणिज्ज्ञैः।
भूषितमशेष-निलयं तव वपुर्मे
चेतसि चकार्स्तु नरसिंह नरसिंह ॥ ६ ॥
इन्दु रवि पावक विलोकन रमायाः
मन्दिर महाभुज-लसदुर-स्थाञ्च ।
सुन्दर चिराय रमतां त्वयि मनो मे
नन्दित सुरेश नरसिंह नरसिंह ॥ ७ ॥
माधव मुकुन्द मधुसूदन मुरारे
वामन नृसिंह शरणं भव नतानाम् ।
कामद घृणिन निखिलकरण नयेय
कालममरेश नरसिंह नरसिंह ॥ ८ ॥
अष्टकमिदं सकल-पातक-भयं
कामद अशेष-दुरितामय-रिपुघ्नम् ।
यः पठति सन्ततमशेष-निलयं ते
गच्छति पदं स नरसिंह नरसिंह ॥ ९ ॥
भय व नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: नृसिंह अष्टक कवच का पाठ करने से व्यक्ति को हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। चाहे वह मानसिक भय हो, अनजाने डर हों या फिर किसी बाहरी शक्ति का प्रभाव हो, यह कवच साधक को हर परिस्थिति में सुरक्षा प्रदान करता है। जो व्यक्ति इस कवच का नित्य पाठ करता है, उसके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और वह आत्मिक रूप से बलवान बनता है।
शत्रुओं पर विजय प्राप्ति: यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं या विरोधियों से परेशान है, तो इस कवच का नियमित पाठ करने से शत्रु परास्त होते हैं और व्यक्ति हर प्रकार की षड्यंत्रकारी शक्तियों से बचा रहता है। यह कवच व्यक्ति के चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है, जिससे कोई भी दुष्ट शक्ति उसे हानि नहीं पहुंचा सकती।
धन, सुख और समृद्धि का आगमन: नृसिंह अष्टक कवच का पाठ करने से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति भी आती है। भगवान नृसिंह की कृपा से साधक को निरंतर प्रगति और सफलता प्राप्त होती है।
स्वास्थ्य व आरोग्यता: यह कवच व्यक्ति को न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी बलवान बनाता है। जिन लोगों को बार-बार बीमारियाँ होती हैं, उन्हें इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। भगवान नृसिंह की कृपा से व्यक्ति दीर्घायु और स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है।
आत्मविश्वास व साहस की वृद्धि: भगवान नृसिंह अपने भक्तों को असीम साहस और आत्मविश्वास प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति किसी भी प्रकार की असुरक्षा या संकोच महसूस करता है, उसके लिए यह कवच एक अद्भुत उपाय है। इसके प्रभाव से व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और किसी भी कठिनाई का सामना करने की क्षमता प्राप्त करता है।
घर-परिवार की सुरक्षा: यदि किसी के घर में नकारात्मक ऊर्जा या वास्तु दोष है, तो इस कवच का पाठ करने से वह दोष समाप्त हो जाता है। परिवार में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है तथा दैवीय कृपा प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक उन्नति: जो व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है। यह न केवल मन को शांत करता है, बल्कि ध्यान और साधना में भी सहायक सिद्ध होता है। भगवान नृसिंह की कृपा से साधक को मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
पाठ से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पवित्रता और शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।
पाठ करने से पहले भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक, धूप, फूल, और नैवेद्य अर्पित करें।
पाठ के लिए शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जहाँ कोई विघ्न न हो।
यदि संभव हो तो रुद्राक्ष माला से इस कवच का 108 बार पाठ करें।
नरसिंह जयंती, पूर्णिमा, होली, तथा प्रदोष व्रत के दिन यह पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
21 दिनों तक नियमित रूप से इस कवच का पाठ करने से जीवन में अद्भुत परिवर्तन आता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी मंत्र या कवच का प्रभाव तभी होता है जब उसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ा जाए।
नृसिंह अष्टक कवच भगवान नृसिंह की अपार कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है। यह कवच साधक को न केवल शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और भयमुक्त जीवन जीने में सहायता करता है। नृसिंह अष्टक कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और वह सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता है। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इस कवच का नियमित पाठ कर भगवान नृसिंह की कृपा अवश्य प्राप्त करें।
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