क्या आप जानना चाहते हैं जयपुर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और करें अपनी यात्रा को भक्तिमय।
जयपुर का इस्कॉन मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को समर्पित एक फेमस मंदिर है। इसे "श्री श्री गिरधारी दौजी मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर मानसरोवर एरिया में बना हुआ है और अपनी भव्यता, भक्तिमय वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भक्तों में प्रसिद्ध है।
इस्कॉन जयपुर जिसे श्री श्री गिरिधारी दौजी मंदिर भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर जयपुर के मानसरोवर इलाके में स्थित है। यहाँ की सुंदर वास्तुकला, शांत वातावरण और रोज़ होने वाले भजन-कीर्तन इसे भक्तों के लिए एक खास जगह बनाते हैं।
इस्कॉन जयपुर, जिसे श्री श्री गिरिधारी दौजी मंदिर भी कहा जाता है, राजस्थान की राजधानी जयपुर के मानसरोवर इलाके में स्थित है। यह मंदिर एक शांत, सुंदर और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है और भगवान श्रीकृष्ण व राधारानी को समर्पित है।
इस्कॉन जयपुर की स्थापना 1991 में श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं से प्रेरित होकर की गई थी। यह मंदिर जगतपुरा, जयपुर में स्थित है और इसे श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर भी कहा जाता है।
इस मंदिर का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति को फैलाना और हरे कृष्ण आंदोलन को आगे बढ़ाना है। इस्कॉन (ISKCON) की शुरुआत 1966 में ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क सिटी में की थी।
इस्कॉन जयपुर मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ और 28 अप्रैल 2012 को इसका भव्य उद्घाटन हुआ। मंदिर की एक खास बात यह है कि इसके ऊपर 7 फुट ऊँचा सुदर्शन चक्र लगा हुआ है।
यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी को समर्पित है। यहाँ गिरिधारी दौजी, राधा रानी, गौर-निताई, और जगन्नाथ जी, बलदेव और सुभद्रा की सुंदर मूर्तियाँ स्थापित हैं।
मंदिर की बनावट पारंपरिक और बेहद खूबसूरत है। इसकी खास बात यह है कि इसके ऊपर 7 फुट ऊँचा सुदर्शन चक्र लगा हुआ है। मंदिर में 52 रंग-बिरंगी काँच की खिड़कियाँ हैं, जिनमें पुराणों की कथाएँ दिखाई गई हैं।
भगवान् कृष्ण के इस मंदिर में दिन भर कीर्तन, आरती और सत्संग, भजन किये जाते हैं, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है। भजन-कीर्तन के साथ प्रसाद वितरण भी होता है। मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां भगवद गीता पर आधारित एक रोबोटिक शो भी दिखाया जाता है।
इस मंदिर में जन्माष्टमी, गौर पूर्णिमा, राम नवमी, राधाष्टमी और रथयात्रा पूरे जोश और श्रद्धा से मनाए जाते हैं। इन खास मौकों पर इस्कॉन मंदिर को फूलों और खूबसूरत रोशनी से बहुत अच्छे से सजाया जाता है।
मंदिर में रामायण पर आधारित आर्ट गैलरी और एक संग्रहालय है, जहाँ वैदिक संस्कृति से जुड़ी जानकारी दी जाती है। यहाँ भगवद गीता, भागवत पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा कक्षाएँ भी होती हैं।
मंगला आरती 4:30AM से 5:30AM तक
श्रृंगार आरती सुबह 7:30 से 8:00 बजे तक
राजभोग आरती दोपहर 12:30 से 1:10 बजे तक
पुष्प आरती शाम 4:00 से 4:15 बजे तक
संध्या आरती शाम 7:00 से 8:00 बजे तक
रात्रि पुष्प आरती 8:30 से 8:45PM बजे तक
अंतिम दर्शन रात 8:45 से 9:15 बजे तक
यह त्योहार श्री चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में कीर्तन, अभिषेक, कथा होती है और भक्त उपवास रखते हैं।
यह भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है। मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है, और रात 12 बजे महाआरती और झूला उत्सव होता है।
यह श्रीमती राधारानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इस दिन राधारानी की विशेष पूजा, अभिषेक और कीर्तन होता है।
यह भगवान श्रीराम के जन्म का पर्व है। इस दिन मंदिर में राम कथा, पूजा और रथयात्रा का आयोजन होता है।
इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है। भक्त रथ को रस्सी से खींचते हैं और कीर्तन करते हैं।
यह भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। मंदिर में दीप जलाए जाते हैं, विशेष आरती और सजावट होती है।
यह रंगों का त्योहार है, जिसे श्रीकृष्ण की वृंदावन लीला के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्ति गीत, कीर्तन और फूलों की होली होती है।
हर शाम को मंदिर में खिचड़ी प्रसाद दिया जाता है, जिसे सभी भक्त प्रेमपूर्वक ग्रहण कर सकते हैं। यह प्रसाद बिलकुल निःशुल्क होता है और कोई भी भक्त इसका लाभ उठा सकता है।
मंदिर में भगवान को अर्पित किया गया भोजन, जिसे प्रसादम कहा जाता है, बाद में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। यह भोजन न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि पूरी तरह सात्विक और पौष्टिक भी होता है, जिसे भक्ति और शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है।
मंदिर में साधुओं और ब्रह्मचारियों के लिए रहने और भोजन की विशेष व्यवस्था है। इसके साथ-साथ यहाँ आने वाले सभी भक्तों और आगंतुकों के लिए भी भोजन की उचित व्यवस्था की जाती है।
मंदिर में परोसा जाने वाला प्रसादम भक्ति और सेवा भाव से बनाया जाता है। यह न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। कई भक्त इसी प्रसाद को पाने की भावना से मंदिर आते हैं।
रेलवे स्टेशन: जयपुर रेलवे स्टेशन इस मंदिर से 12 किमी दूर बना है। इस मंदिर से आप प्राइवेट टैक्सी, कैब,ऑटो कर सकते हैं।
हवाई अड्डे से: इस्कॉन मंदिर से जयपुर एयरपोर्ट (सांगानेर) की दूरी करीब 10 किमी है। एयरपोर्ट से टैक्सी ऑनलाइन कैब लेकर आप 30–40 मिनट में मंदिर पहुँच सकते हैं।
मेट्रो से: मानसरोवर मेट्रो स्टेशन मंदिर के सबसे पास का मेट्रो स्टेशन है (पिंक लाइन)। वहाँ से आप ऑटो या टैक्सी से कुछ ही मिनटों में मंदिर पहुँच सकते हैं।
बस से: जयपुर में चलने वाली JCTSL (जयपुर सिटी बस सेवा) की बसें मानसरोवर की ओर जाती हैं। आप न्यू सांगानेर रोड या विजय पथ की दिशा में चलने वाली बस में यात्रा कर सकते हैं।
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