इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर
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इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर

क्या आप जानना चाहते हैं ब्रह्मपुर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और करें एक भक्तिमय शुरुआत।

जानें इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर के बारे में

ISKCON ब्रह्मपुर, गंजाम जिले के ब्रह्मपुर शहर के पास लांजीपल्ली गांव में, राष्ट्रीय राजमार्ग 16 के किनारे बसा एक प्रसिद्ध कृष्ण भक्ति स्थल है। यह मंदिर श्रीश्री राधा–राधाकांत जीउ को समर्पित है और यह न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर कहाँ है?

ओडिशा के ब्रह्मपुर नगर से लगभग 6 किलोमीटर दूर, लांजीपल्ली क्षेत्र में इस्कॉन ब्रह्मपुर स्थित है। यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 16 के नजदीक, ऑक्सफोर्ड स्कूल के ठीक सामने स्थित है

पूर्ण पता: Lanjipalli, NH-16, Brahmapur, District Ganjam, Odisha – 760008

राज्य परिचय: ओडिशा में स्थित होने के कारण यहाँ का सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर का इतिहास और शुरुआत

अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण जागरण सोसाइटी (ISKCON) की नींव श्रिल भक्ति-वेदांत स्वामी प्रभुपाद ने 13 जुलाई 1966 को न्यूयॉर्क में रखी थी, जिसका मुख्य लक्ष्य विश्वभर में कृष्ण-भक्ति का प्रसार करना था। भारत में यह आंदोलन 1970 के दशक में तेजी से फैला और विभिन्न बड़े शहरों में मंदिर एवं सामुदायिक केंद्र स्थापित किए गए। ओडिशा के गंजाम जिले के ब्रह्मपुर क्षेत्र तक ISKCON के प्रचार का सिलसिला 1980 के मध्य में शुरू हुआ।

ब्राह्मपुर के निकट नीमाखण्ड गाँव में वर्ष 1986 में आयोजित भगवान चैतन्य महाप्रभु की पचमूहिं जन्मजयन्ती समारोह के दौरान ISKCON पदयात्रा दल ने यहाँ कीर्तन, भजन और ग्रंथ-पाठ का आयोजन किया। इस दल का नेतृत्व श्रीला गौर गोविंद स्वामी और लोकनाथ स्वामी ने किया, जिससे वहां के भक्तों को गहरी प्रेरणा मिली।

स्थापना और विकास

कुछ वर्षों तक चलने वाले प्रचार-प्रसार के बाद, 1995 में H.G. पंचरत्न दास (ISKCON जुहू) नियमित रूप से ब्रह्मपुर आने लगे। उन्होंने घर-घर भक्तिमार्ग का परिचय करवाया और भजन–सत्संग का आयोजन प्रारंभ किया।

1997 में श्रीमन् कसिनाथ पांड़ के सहयोग से नीमाखण्ड में आधा एकड़ भूमि अधिग्रहित कर मंदिर एवं अतिथि गृह का निर्माण आरंभ हुआ। ISKCON ब्रह्मपुर का इतिहास एक दीर्घकालीन प्रयास और समर्पण का प्रमाण है। 1986 में पदयात्रा से शुरू हुआ यह आंदोलन आज एक सुव्यवस्थित मंदिर और सेवा केंद्र के रूप में स्थापित है, जहाँ नित्य अनुष्ठान, शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से कृष्ण-भक्ति का प्रसार हो रहा है।

मंदिर की विशेषताएं और सुंदरता

विशेषताएं और सौंदर्य

ISKCON ब्रह्मपुर मंदिर अपने सरलता में अपार भव्यता और आध्यात्मिक सौंदर्य का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है।

वास्तुकला और बाह्य स्वरूप

  • मंदिर परिसर लगभग आधे एकड़ में फैला हुआ है, जहाँ परिसर के प्रवेश द्वार से ही सफेद संगमरमर जैसी दीवारों पर नक्काशी देखने को मिलती है।
  • मुख्य गर्भगृह का डिजाइन पारंपरिक नववैदिक शैली में किया गया है, जिसमें ऊँचे गर्भगृह स्तंभ और मण्डप शामिल हैं, जो सूर्य की किरणों को आकर्षित कर परिसर को उज्जवल बनाते हैं।

प्रांगण और हरित आवरण

  • मंदिर के चारों ओर हरे-भरे बगीचे हैं, जहाँ रंग-बिरंगे फूलों के साथ सिंचित पैदल-पथ भक्तों को शांति और ताजगी का अनुभव कराते हैं।
  • बगीचे के एक कोने में शांतिपूर्ण जलाशय है, जिसके पास बैठकर ध्यान या वेद-पाठ किया जा सकता है।
  • पूरे परिसर में वृक्षों की छाया और फव्वारे का मंद जलप्रवाह मन को स्थिरता प्रदान करता है।

आंतरिक सज्जा और मूर्तियां

  • गर्भगृह में श्री श्री राधा–राधाकांत जीउ की सुंदर मूर्तियाँ जैविक रंगों से अलंकृत हैं, जिनके परिधानों पर पारंपरिक वास्‍त्रशिल्प की नाजुक कलाकारी दिखाई देती है।
  • दीवारों पर मिश्रित छायाचित्र और त्रिवर्ण पट्टिका पर लोकप्रिय कृष्ण लीला दृश्यों का चित्रण भक्तों को कथा-मानस से जोड़ता है।

सुविधाएं और अनुभव

  • मंदिर के साथ ही एक अतिथि गृह मौजूद है, जहाँ दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु ठहर सकते हैं।
  • परिसर के एक हिस्से में ध्यान-कक्ष व पुस्तकालय है, जहाँ भगवद्‌गीता, भक्तिवेदांत प्रसंग और अन्य ग्रंथ उपलब्ध हैं।
  • समय-समय पर यज्ञ, हवन तथा कीर्तन-सभाएँ आयोजित की जाती हैं।

इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर दर्शन और आरती टाइमिंग

  • सुबह: 4:30 AM से 1:30 PM तक
  • दोपहर: विश्राम
  • शाम: 4:30 PM से 8:00 PM तक याद रखें कि त्यौहारों और विशेष आयोजन के समय इन घंटों में परिवर्तन हो सकता है।

यहाँ मनाए जाने वाले उत्सव और कार्यक्रम

  • श्री कृष्ण जन्माष्टमी: हर वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (आमतौर पर अगस्त-सितंबर) को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। मध्यरात्रि के समय विशेष पूजा-अर्चना, झाँकी प्रतियोगिता, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण के कार्यक्रम होते हैं।

  • गौरा पूर्णिमा: फाल्गुण पूर्णिमा (मार्च-अप्रैल) को श्री चैतन्य महाप्रभु के स्वर्णिम पूर्णिमा दिवस पर व्यास पूजा, समाज-भोजन और कीर्तन-महोत्सव आयोजित होता है।

  • रथ यात्रा (जगन्नाथ रथोत्सव): आषाढ़ मास की द्वितीय तिथि के आस-पास भव्य रथयात्रा निकलती है, जिसमें जगन्नाथजी, बलभद्रजी और सुभद्रा माता की मूर्तियाँ रथ पर विराजमान होती हैं।

  • झूलन उत्सव (झूलनी झाँकी): श्रावण मास की द्वादशी के दिन राधा–कृष्ण की झूला-यात्रा का आयोजन होता है, जहाँ विभिन्न रंग-बिरंगे झूलों पर मूर्तियों को सजाकर भक्तों द्वारा झुलाया जाता है।

  • चंदन यात्रा: वैशाख शुक्ल तृतीया से प्रारंभ होकर 21 दिन तक चंदन के लेप का विधान होता है। प्रतिदिन कीर्तन के साथ चंदन से

  • सजावट कार्यक्रम विशेष आकर्षण रहता है।

  • गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (अक्टूबर-नवंबर) को गोवर्धन पर्वत की पूजा, पर्वत-आरोहण, और विशाल अन्नकूट वितरण का आयोजन किया जाता है ।

  • व्यास पूजा: गुरु-पूजा के रूप में भगवान व्यासद्वादशी (सितंबर-अक्टूबर) पर व्यासजी की पूजा, कथा-वाचन और दीक्षाएं आयोजित होती हैं।

इस्कॉन मंदिर ब्रह्मपुर कैसे पहुँचें?

ISKCON ब्रह्मपुर, राष्ट्रीय राजमार्ग 16 (NH-16) के किनारे लांजीपल्ली गाँव में स्थित है। यहाँ मार्ग-निर्देश तीन मुख्य तरीके हैं।

1. सड़क मार्ग से

बस सेवा: ब्रह्मपुर बस स्टैंड से NH-16 की ओर जाने वाली लोकल बसें मिल जाती हैं। ISKCON ब्रह्मपुर के बोर्ड वाले बसों पर चढ़ें; मंदिर के बिल्कुल पास उतरना होता है।

2. रेल मार्ग से नजदीकी रेलवे स्टेशन:

ब्रह्मपुर जंक्शन (Brahmapur Junction)

स्टेशन से आगे की दूरी:

स्टेशन के रिहायशी गेट के पास से NH-16 की ओर जाने वाली गली में प्रवेश करें मंदिर तक लगभग 6 किमी की दूरी के लिए ऑटो या साइकिल रिक्शा किराया ₹100–150 होगा

3. वायु मार्ग से

नजदीकी हवाईअड्डा:

भुवनेश्वर में स्थित बिजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 160 किमी दूर है।

वहन विकल्प:

एयरपोर्ट से ब्राह्मपुर के लिए राज्य परिवहन की बस या प्राइवेट टैक्सी उपलब्ध हैं। बस से यात्रा में 3.5–4 घंटे लगते हैं, टैक्सी से 3 घंटे के आस-पास।

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Published by Sri Mandir·July 9, 2025

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