श्री रुद्र चालीसा
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श्री रुद्र चालीसा

भगवान शिव के रौद्र रूप की स्तुति के लिए पढ़ें श्री रुद्र चालीसा। सरल हिंदी में उपलब्ध संपूर्ण पाठ और पीडीएफ डाउनलोड करें। नित्य पाठ से मिलती है शक्ति, रक्षा और सभी संकटों से मुक्ति।

श्री रुद्र चालीसा के बारे में

भोलेनाथ के अनेक नाम और रूप हैं, जिनमें से रुद्र रूप अपनी उग्रता और प्रचंडता के लिए जाना जाता है, लेकिन साथ ही वह अत्यंत दयालु भी हैं। रुद्र चालीसा इस रूप की महिमा का सुंदर स्तुति गीत है, जिसका पाठ करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। तो आइए जानते हैं इस चालीसा का महत्व और सही पाठ विधि।

श्री रुद्र चालीसा क्या है?

श्री रुद्र चालीसा भोलेनाथ और भगवान शिव को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। चूंकि, शिवजी को रुद्र नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इसे श्री रुद्र चालीसा कहा जाता है। वहीं, इसे श्री शिव चालीसा भी कहा जाता है। यह चालीसा कुल चालीस छंदों में रचित है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और शक्तियों का सुंदर वर्णन किया गया है। यह चालीसा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन की समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी सहायक मानी जाती है। इसके नियमित पाठ से मन शांत होता है, नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

श्री रुद्र चालीसा का पाठ क्यों करें?

ऐसा माना जाता है कि रुद्र चालीसा का पाठ जीवन में आने वाली परेशानियों, बाधाओं और दुखों को दूर करता है और भक्त को मानसिक शांति व आत्मबल प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ आत्मिक विकास, सकारात्मक ऊर्जा और आत्म-साक्षात्कार में सहायक होता है। जानकारी के अनुसार, यह पाठ रोगों से मुक्ति और अच्छी सेहत के लिए भी लाभकारी माना गया है। वहीं, सच्चे मन से किया गया यह पाठ इच्छाओं की पूर्ति में मदद करता है और जीवन को सुख, शांति व समृद्धि से भर देता है। सावन के महीने में, विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर रुद्र चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।

श्री रुद्र चालीसा

॥दोहा॥

नमन शंभु रुद्र को,

करूँ चरण अनुराग।

करहु कृपा हे दीनदयाल,

हरहु सकल भय भाज॥

॥चालीसा॥

जय रुद्र भगवंत, दयासिंधु आनंद।

दीननाथ दयाल, त्रिभुवन के स्वामंद॥ 1 ॥

शशि ललाट विराजत, गंगोत्तम सोहे।

जटा मुकुट सुशोभित, भस्मांग भूषित मोहे॥ 2 ॥

कंठ गले सर्प शोभे, वाम अंग पार्वती।

नन्दी गजे विराजे, संग भूत गण आरती॥ 3 ॥

त्रिशूल हाथ विराजत, कर डमरू धारी।

रूप अपरंपार, जग पालन कारी॥ 4 ॥

पंचानन स्वरूप, भूत भावन नाथ।

कृपा करो हे शंभु, हरहु सकल कष्ट ब्याथ॥ 5 ॥

चन्द्रशेखर नमो नमः, रुद्र रूप महाराज।

दीन दुखी की रक्षा, शीघ्र करो वरदाय॥ 6 ॥

सुर-नर-मुनि सब पूजत, शिव शंकर महाराज।

भक्तन के दुख दूर कर, करो कृपा समाज॥ 7 ॥

सुमिरन कर जो कोई, संकट हरनहार।

अष्ट सिद्धि नव निधि, करहु दास पर वार॥ 8 ॥

॥दोहा॥

बोलो शिव शंकर महादेव, संकट हारन नाम।

करहु कृपा रुद्र देव, रहु सदा सुखधाम॥

पाठ की विधि और नियम

  • पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • पूजा सामग्री जैसे दीपक, धूप, फूल, बेलपत्र, जल, फल आदि रखें।

  • सोमवार को श्री रुद्र चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से शुभ और प्रभावी माना जाता है।

  • चालीसा का पाठ धीरे-धीरे और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।

  • साथ में रुद्राष्टक या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, इससे फल बढ़ता है।

  • पाठ के बाद भगवान शिव की आरती करें।

  • फिर प्रसाद अर्पण करें और सभी में बांटें।

  • भगवान से भूल-चूक की क्षमा मांगें।

  • यदि संभव हो तो पाठ व्रत या उपवास के साथ करें, लाभ बढ़ेगा।

श्री रुद्र चालीसा के लाभ

  • मानसिक शांतिः रुद्र चालीसा का पाठ करने से मन स्थिर होता है और चिंता अशांति व तनाव से मुक्ति मिलती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षाः इस चालीसा का नियमित पाठ घर और मन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक वातावरण बनाता है।
  • बीमारियों से मुक्तिः ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की कृपा से इस चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को शारीरिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • शत्रुओं पर विजयः यह पाठ आत्मबल और साहस बढ़ाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • घर में सुख-शांतिः रुद्र चालीसा का पाठ करने से घर के वातावरण में शांति, प्रेम और समृद्धि का संचार होता है।
  • संकटों से मुक्तिः जीवन में आने वाली बाधाओं, संघर्षों और परेशानियों से राहत पाने के लिए यह चालीसा एक प्रभावी माध्यम मानी जाती है।
  • इच्छाओं की पूर्तिः रुद्र चालीसा का पाठ मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक माना जाता है। सही विधि औऱ नियम से किया गया पाठ भोलेनाथ को प्रसन्न करता है, जिससे साधकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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Published by Sri Mandir·September 21, 2025

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