दत्तात्रेय चालीसा
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दत्तात्रेय चालीसा

त्रिदेव स्वरूप भगवान दत्तात्रेय की भक्ति के लिए पढ़ें श्रद्धापूर्वक दत्तात्रेय चालीसा। इसके नियमित पाठ से जीवन में आती है स्थिरता, शांति और दिव्य ऊर्जा।

दत्तात्रेय चालीसा के बारे में

दत्तात्रेय चालीसा हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय को समर्पित 40 चौपाइयों (चालीसा) का एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें उनकी महिमा, शक्ति, कल्याणकारी स्वरूप और उपकारों का विस्तार से वर्णन किया गया है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश - तीनों देवताओं का संयुक्त अवतार माना जाता है।

दत्तात्रेय चालीसा चालीसा क्या है?

दत्तात्रेय चालीसा भगवान दत्तात्रेय की महिमा का गान करने वाला एक स्तोत्र है, जिसमें उनके जीवन, लीला और सिद्धियों का वर्णन होता है। इसमें चालीस चौपाइयों के माध्यम से आचार्य अजप्पा द्वैपायन या अन्य मुनियों द्वारा रचित श्लोकों में श्रीदत्तात्रेय की त्रिदेव स्वरूप‑गुणों ब्रह्मा, विष्णु और शिव का समन्वय प्रस्तुत किया जाता है। श्रद्धालु इस चालीसा का पाठ करके ज्ञान, वैराग्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति हेतु भगवान दत्तात्रेय की विशेष कृपा की कामना करते हैं।

दत्तात्रेय चालीसा का पाठ क्यों करें?

दत्तात्रेय चालीसा का पाठ भक्तों द्वारा भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद प्राप्त करने, जीवन में बाधाओं को दूर करने और आध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस चालीसा का नियमित पाठ करने से शांति, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह भक्तों को भगवान दत्तात्रेय के दिव्य स्वरूप और उनके विभिन्न अवतारों को समझने में मदद करता है।

  • गुरुदोष शमक: गुरुदत्तात्रेय की स्तुति से कुंडली में गुरु दोष शांत होते हैं और जीवन में संतुलन आता है।

  • बुद्धि-विवेक वृद्धि: जाप के दौरान चित्त एकाग्र होकर ज्ञान, समझदारी और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

  • बाधा निवारण: नियमित पाठ से निजी व व्यावसायिक रूकावटें और अवरोध कम हो जाते हैं।

  • संपत्ति की वृद्धि: श्रद्धापूर्वक पाठ करने से आर्थिक स्थिरता और धन-लाभ के नए अवसर खुलते हैं।

  • मानसिक संतुलन: उच्चारित मंत्रों की लय से मन की बेचैनी दूर होकर आंतरिक शांति मिलती है।

  • रक्षा कवच: चालीसा का उच्चारण नकारात्मक ऊर्जा व बुरी दृष्टि से सुरक्षा प्रदान करता है।

  • आस्था सुदृढ़ीकरण: भक्ति-भाव जागृत होकर आत्मीय विश्वास और श्रद्धा परिपक्व होती है।

  • स्वास्थ्य लाभ: स्थिर मन और सकारात्मक प्रभाव से शारीरिक व मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

  • आध्यात्मिक उन्नति: आत्मशुद्धि के साथ दिव्य अनुभूति का मार्ग प्रशस्त होकर आत्मिक विकास होता है।

दत्तात्रेय चालीसा

दत्तगुरु के चरणों में,

मेरा कोटि प्रणाम ।

रक्षा करो हे दत्त प्रभु,

रख लो अपनी शरण ।।

रक्षा करो हे दत्त प्रभु,

रख लो अपनी शरण ।।

जयति जयति दत्तात्रेय,

स्वामी दिगम्बर जय ।

आदि ब्रह्मा, मध्यम विष्णु,

देवा महेश्वर जय ।।

जयति जयति त्रिमूर्ति रूप,

भव बाधा हरते जय ।

सहज प्राप्ति हर हर जय,

शुभ फल सुख देते जय ।।

जयति जयति अनसूया नन्दन,

परम गम्भीर प्रभु जय ।

हर कृपा कर सरसिज पद,

भक्तों को सुख देते जय ।।

श्रीगणेश, श्रीशारदा,

लक्ष्मी सहित शिव जय ।

सतगुरु चरन, कमल सेवा,

भव निधि से त्राण कर जय ।।

सिर झुकाये, हाथ जोड़े,

करें भक्ति प्राण जय ।

त्रिभुवन में, प्रकट प्रभु दत्त,

ब्रह्मानन्द स्वरूप जय ।।

गुरु गम्भीर, कृपा सागर,

कर जोड़ों चरणारविन्द ।

शरणागत, रक्षण कर्ता,

रखों हमारी लाज प्रभु ।।

श्रीदत्तात्रेय प्रभु, कृपाकर,

सदा सहाय रहो प्रभु ।

भक्तिवान, दुःख से त्राण,

सदा सबन का करें कल्याण प्रभु ।।

कर भरोसा, मन में आस,

स्वामी सुखदाता जय ।

मति हमारी शुद्ध कर प्रभु,

दोष, दुष्कृत मिटा प्रभु ।

ध्यान लगायें, चित्त मनायें,

श्रीदत्त कृपा से प्रभु ।

भक्त गण, करें सुमिरन,

सदा सहाय हो प्रभु ।।

जयति जयति दत्तगुरु,

ब्रह्मानन्द दाता जय ।

अघनाशक, त्रिविक्रम देव,

ज्ञान भक्ति दो प्रभु ।

सुमिरन से भव-बन्धन, से

सदा मुक्त रहें प्रभु ।

त्रिविध ताप, मिट जायें प्रभु,

अन्त करण सुधीर हो प्रभु ।।

श्रीदत्त शरणं, मोक्ष सुलभ,

भव सागर से त्राण हो ।

भव-भय हारक, सतगुरु,

कष्ट निवारक हो प्रभु ।

शरणागत, मोक्ष प्रदायक,

सुलभ सरल करते प्रभु ।

करुणामय, सन्तत हर्षायें,

भव से मुक्ति हो प्रभु ।।

श्रीदत्तात्रेय शरणं,

भव बाधा हरण प्रभु ।

श्रीदत्तात्रेय शरणं,

पाप-ताप-त्रय हरण प्रभु ।

श्रीदत्तात्रेय शरणं,

मन में आस लगायें प्रभु ।

भक्तजन, करें स्मरण,

सदा सहाय हो प्रभु ।।

जयति जयति दत्तगुरु,

सर्व रोग हरते प्रभु ।

जयति जयति दत्तगुरु,

पाप-ताप निवारक प्रभु ।

जयति जयति दत्तगुरु,

करुणा कृपा निधान प्रभु ।

जयति जयति दत्तगुरु,

जगत तारन प्रभु ।।

पाठ की विधि और नियम

  • उत्कृष्ट समय: दत्तात्रेय चालीसा का पाठ गुरुवार की प्रातःकालीन मुहूर्त या संध्या के आरती समय में करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  • स्वच्छ वातावरण: पाठ से पहले पूजा स्थल, सामग्री और स्वयं को स्नानादि करके शुद्ध रखें।
  • मूर्ति/चित्र स्थापना: दत्तात्रेय जी की मूर्ति या चित्र को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्थापित करें।
  • पूजा सामग्री तैयारी: दीप, धूप, पुष्प, फल-फूल व नैवेद्य पहले व्यवस्थित कर आरंभ करें।
  • संकल्प एवं उद्घोष: हाथ जोड़कर संकल्प लें कि आप पूर्ण श्रद्धा और समर्पण से पाठ करेंगे।
  • दोहे से आरंभ: सबसे पहले दोहा का भावपूर्ण उच्चारण करें, जिससे मन एकाग्र हो।
  • चौपाइयों का पाठ: 40 चौपाइयाँ निरंतर प्रवाह में, शुद्ध उच्चारण और भावबोध के साथ पढ़ें।
  • जपमाला का उपयोग: 108 मनकों वाली माला से गिनती नियंत्रित रखें और पाठ की लय एकरस बनाएँ।
  • समापन विधि: अंत में आरती या भजन-कीर्तन करें, प्रसाद अर्पित कर धन्यवाद ज्ञापित करें।

दत्तात्रेय चालीसा के लाभ

  • दयालु ऊर्जा का अनुभव: पाठ से दत्तात्रेय भगवान की करुणामयी शक्ति का सजीव अनुभूति होती है।

  • संकल्प शक्ति: नियमित जाप से उद्देश्य की प्राप्ति के प्रति आपका संकल्प दृढ़ होता है।

  • स्मरण-शक्ति व शिक्षा: विद्यार्थी एवं शोधकर्ता पाठ से याददाश्त में सुधार और ज्ञान अर्जन में वृद्धि महसूस करते हैं।

  • रचनात्मकता में वृद्धि: मनन-ध्यान के माध्यम से नवाचार और कलात्मक सोच को प्रोत्साहन मिलता है।

  • घरेलू सौहार्द: पारिवारिक जीवन में प्रेम, समझदारी और मेल-जोल बढ़ाने में मददगार होता है।

  • नेतृत्व क्षमता: पाठ से आत्म-विश्वास और निर्णय-क्षमता मजबूत होकर नेतृत्व गुण विकसित होते हैं।

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Published by Sri Mandir·September 20, 2025

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