सर्पों की देवी और मनोकामना पूर्ण करने वाली मां मनसा देवी की स्तुति करें मनसा देवी चालीसा से। इसके नियमित पाठ से दूर होते हैं भय, रोग और जीवन में आती है स्थिरता।
मनसा देवी चालीसा माँ मनसा की स्तुति है, जो नागों की देवी और संतान सुख की दात्री मानी जाती हैं। इसे श्रद्धा से पढ़ने पर सर्प भय से मुक्ति, संतान से जुड़ी समस्याओं में राहत और जीवन में सुख-शांति मिलती है। इस लेख में आपको मनसा देवी चालीसा का पाठ, महत्व, पाठ विधि और लाभों की जानकारी मिलेगी।
हिंदू धर्म में देवी की आराधना अलग-अलग रूपों में की जाती है, और हर स्वरूप का अपना विशेष महत्व है। उन्हीं स्वरूपों में से एक हैं ‘मनसा देवी’, जिन्हें नागों की देवी माना जाता है। मनसा देवी की उपासना विशेष रूप से उत्तर भारत, बंगाल, असम और नेपाल में होती है। मान्यता है कि देवी मनसा की कृपा से भक्तों की विषैले जीव जैसे सर्प, बिच्छू आदि से रक्षा होती है।
‘मनसा देवी चालीसा’ मां मनसा को समर्पित एक विशेष स्तुति है, जिसमें देवी की उत्पत्ति, उनके स्वरूप, शक्ति और उनकी लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस चालीसा में देवी के विभिन्न नामों, गुणों और कृपालु स्वरूप का गुणगान किया गया है। इसमें वर्णन है कि कैसे देवी ने असुरों का नाश किया, कैसे वे भक्तों की हर विपत्ति में सहायक बनीं और कैसे उनके स्मरण मात्र से जीवन के संकट दूर हो जाते हैं।
कहा जाता है कि ‘मां मनसा’ को समर्पित चालीसा का पाठ करने से सांप, बिच्छू या अन्य विषैले जीवों से रक्षा होती है। यही कारण है कि विशेष रूप से किसान और ग्रामीण लोग मनसा देवी की पूजा बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं। कुछ ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि मनसा देवी ‘कश्यप ऋषि’ के मस्तिष्क से अवतरित हुई थीं, इसलिए मनसा कहलाईं। अपने नाम के अनुरूप ही मां मनसा अपने भक्तों की मनसा (इच्छा) पूर्ण करने वाली हैं। कई ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि मां मनसा देवी की शिक्षा दीक्षा भगवान शिव के सानिध्य में हुई, इसलिए वे उनकी मानस पुत्री कहलाईं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां मनसा नागदेवता वासुकि की बहन और नागों की देवी हैं।
भक्त मनसा देवी चालीसा के पाठ के माध्यम से मनसा देवी से अपने जीवन के सभी संकटों को दूर करने और सर्प भय, विषबाधा व अकाल मृत्यु से अपने परिवार की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आपको बता दें कि मनसा देवी की कृपा से भक्तों की अन्य मनोकामनायें भी पूर्ण होती है, विशेषकर संतान, धन और विवाह संबंधी इच्छाएँ।
|| दोहा ||
मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम।
चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध करो सब काम॥
देवी घट-घट वासिनी, ह्रदय तेरा विशाल।
निष्ठावान हर भक्त पर, रहियो सदा तैयार॥
|| चोपाई ||
पदमावती भयमोचिनी अम्बा,
सुख संजीवनी माँ जगदंबा।
मनशा पूरक अमर अनंता,
तुमको हर चिंतक की चिंता॥
कामधेनु सम कला तुम्हारी,
तुम्ही हो शरणागत रखवाली।
निज छाया में जिनको लेती,
उनको रोगमुक्त कर देती॥
धनवैभव सुखशांति देना,
व्यवसाय में उन्नति देना।
तुम नागों की स्वामिनी माता,
सारा जग तेरी महिमा गाता॥
महासिद्धा जगपाल भवानी,
कष्ट निवारक माँ कल्याणी।
याचना यही सांझ सवेरे,
सुख संपदा मोह ना फेरे॥
परमानंद वरदायनी मैया,
सिद्धि ज्योत सुखदायिनी मैया।
दिव्य अनंत रत्नों की मालिक,
आवागमन की महासंचालक॥
भाग्य रवि कर उदय हमारा,
आस्तिक माता अपरंपारा।
विद्यमान हो कण कण भीतर,
बस जा साधक के मन भीतर॥
पापभक्षिणी शक्तिशाला,
हरियो दुख का तिमिर ये काला।
पथ के सब अवरोध हटाना,
कर्म के योगी हमें बनाना॥
आत्मिक शांति दीजो मैया,
ग्रह का भय हर लीजो मैया।
दिव्य ज्ञान से युक्त भवानी,
करो संकट से मुक्त भवानी॥
विषहरी कन्या, कश्यप बाला,
अर्चन चिंतन की दो माला।
कृपा भगीरथ का जल दे दो,
दुर्बल काया को बल दे दो॥
अमृत कुंभ है पास तुम्हारे,
सकल देवता दास तुम्हारे।
अमर तुम्हारी दिव्य कलाएँ,
वांछित फल दे कल्प लताएँ॥
परम श्रेष्ठ अनुकंपा वाली,
शरणागत की कर रखवाली।
भूत पिशाचर टोना टंट,
दूर रहे माँ कलह भयंकर॥
सच के पथ से हम ना भटके,
धर्म की दृष्टि में ना खटके।
क्षमा देवी, तुम दया की ज्योति,
शुभ कर मन की हमें तुम होती॥
जो भीगे तेरे भक्ति रस में,
नवग्रह हो जाए उनके वश में।
करुणा तेरी जब हो महारानी,
अनपढ बनते है महाज्ञानी॥
सुख जिन्हें हो तुमने बांटें,
दुख की दीमक उन्हे ना छांटें।
कल्पवृक्ष तेरी शक्ति वाला,
वैभव हमको दे निराला॥
दीनदयाला नागेश्वरी माता,
जो तुम कहती लिखे विधाता।
देखते हम जो आशा निराशा,
माया तुम्हारी का है तमाशा॥
आपद विपद हरो हर जन की,
तुम्हें खबर हर एक के मन की।
डाल के हम पर ममता आँचल,
शांत कर दो समय की हलचल॥
मनसा माँ जग सृजनहारी,
सदा सहायक रहो हमारी।
कष्ट क्लेश ना हमें सतावे,
विकट बला ना कोई भी आवे॥
कृपा सुधा की वृष्टि करना,
हर चिंतक की चिंता हरना।
पूरी करो हर मन की मंशा,
हमें बना दो ज्ञान की हंसा॥
पारसमणियाँ चरण तुम्हारे,
उज्वल करदे भाग्य हमारे।
त्रिभुवन पूजित मनसा माई,
तेरा सुमिरन हो फलदाई॥
|| दोहा ||
इस गृह अनुग्रह रस बरसा दे,
हर जीवन निर्दोष बना दे।
भूलेंगें उपकार ना तेरे,
पूजेंगे माँ सांझ सवेरे॥
सिद्ध मनसा सिद्धेश्वरी,
सिद्ध मनोरथ कर।
भक्तवत्सला दो हमें सुख संतोष का वर,
सुख संतोष का वर॥
मनसा देवी चालीसा के पाठ से अनेक लाभ मिलते हैं, जैसे:
मनसा देवी चालीसा का पाठ एक रक्षा कवच की तरह कार्य करता है, जो विषैले जीवों व हर प्रकार की विपत्ति से सुरक्षा प्रदान करता है। आप भी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनसा देवी चालीसा का पाठ करें। हमारी कामना है कि माता मनसा देवी आप पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखें और आपके जीवन के सभी भय व विपत्तियों का निवारण करें।
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