8 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, आश्विन कृष्ण प्रतिपदा, इंद्रायण व्रत, अशून्य शयन व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
8 सितंबर 2025 का दिन श्रद्धा और परंपराओं से सुसज्जित रहेगा। इस दिन पड़ने वाले व्रत और त्योहार धार्मिक दृष्टि से खास महत्व रखते हैं, साथ ही इनके पीछे की मान्यताएं भी बेहद रोचक हैं। शुभ मुहूर्त और योग इस दिन को और भी खास बनाएंगे। इस लेख में जानिए 8 सितंबर 2025 से जुड़ी हर जरूरी और खास जानकारी, जो इसे आपके लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 8 सितंबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है तथा यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
8 सितंबर 2025 सोमवार का दिन है और यह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन प्रतिपदा श्राद्ध होगा, जो पितृ पक्ष की शुरुआत का संकेत है। पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान का विशेष महत्व है।
तिथि प्रारंभ: प्रतिपदा तिथि – 7 सितंबर को रात 9:13 बजे से प्रारंभ
तिथि समाप्त: 8 सितंबर को रात 9:35 बजे तक
नक्षत्र: पूर्व भाद्रपद – 8:03 PM तक, इसके बाद उत्तर भाद्रपद
योग: धृति – सुबह 6:31 बजे तक, इसके बाद शूल योग
करण: बालव – सुबह 10:26 बजे तक, इसके बाद कौलव
वार: सोमवार (भगवान शिव का दिन)
पितृ पक्ष का आरंभ प्रतिपदा श्राद्ध से होता है। इस दिन अपने पूर्वजों को तर्पण, पिंडदान और भोजन अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष का यह पहला दिन होने के कारण इसका धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पितरों का ध्यान कर जल, तिल और पुष्प से तर्पण करें।
दक्षिणाभिमुख बैठकर पिंडदान करें।
ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दान दें।
गौ, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन अर्पित करें।
अभिजीत मुहूर्त: 11:31 AM से 12:19 PM
राहुकाल: 7:14 AM से 8:48 AM
गुलिक काल: 1:29 PM से 3:02 PM
यमघंट काल: 10:22 AM से 11:55 AM
सूर्योदय: 5:41 AM
सूर्यास्त: 6:09 PM
चंद्रोदय: 6:35 PM
चंद्रास्त: 6:00 AM
सूर्य राशि: सिंह
चंद्र राशि: कुम्भ
दिशाशूल: पूर्व दिशा
ऋतु: वर्षा
अयन: दक्षिणायन
8 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत विशेष है क्योंकि इस दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। प्रतिपदा श्राद्ध के दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख, समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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