4 अक्टूबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, विजयादशमी और दुर्गा पूजा का महत्व, शुभ-अशुभ समय और आराधना से जुड़ी खास जानकारी।
4 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए अनुष्ठान जीवन में सुख, शांति और उन्नति के मार्ग खोलते हैं। भक्तों के लिए यह दिन आध्यात्मिक साधना और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष समय होता है। इस लेख में जानिए 4 अक्टूबर 2025 का धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 4 अक्टूबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
4 अक्टूबर 2025, शनिवार को शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि है। इस दिन द्वादशी व्रत तथा भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। पापांकुशा एकादशी का पारण भी इसी दिन होगा। द्वादशी को विशेष रूप से व्रत का समापन, दान और पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन तुलसी पूजन और दामोदर भगवान की आराधना का भी विधान है।
पंचांग विवरण
तिथि: द्वादशी – रात 7:39 बजे तक
नक्षत्र: श्रविष्ठा – दोपहर 11:42 बजे तक
योग: शूल – रात 9:31 बजे तक
करण: गरज – सुबह 7:27 बजे तक
वार: शनिवार (शनि देव का दिन)
महत्त्व और पूजा
द्वादशी व्रत और पारण
पापांकुशा एकादशी का पारण द्वादशी को किया जाता है।
इस दिन ब्राह्मण और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
विष्णु पूजा
द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने से रोग-शोक का नाश होता है।
दामोदर भगवान को तुलसीदल अर्पित करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनिराज पूजन
चूंकि यह दिन शनिवार को पड़ रहा है, अतः शनि देव की पूजा और तेल का दान करना विशेष फलदायी है।
शनि मंदिर में दीपदान करने से शनि दोष और कष्ट दूर होते हैं।
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु और शनि देव की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप, धूप और पुष्प अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
तुलसी दल, पीले पुष्प और फल अर्पित कर आरती करें।
दान-दक्षिणा कर व्रत का पारण करें।
शुभ-अशुभ समय
शुभ मुहूर्त: 9:21 AM से 10:51 AM
राहुकाल: 9:21 AM से 10:51 AM
गुलिक काल: 6:52 AM से 8:22 AM
यमघंट काल: 2:46 PM से 4:16 PM
सूर्य और चंद्र
सूर्योदय: 5:52 AM
सूर्यास्त: 5:43 PM
चंद्र उदय: 4:21 PM
चंद्रास्त: 2:35 AM
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: मकर से कुंभ में प्रवेश (दोपहर बाद)
दिशाशूल: पूर्व दिशा
ऋतु: शरद
आयन: दक्षिणायन
निष्कर्ष
4 अक्टूबर 2025 का दिन द्वादशी व्रत और शनि पूजा के कारण विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और शनि देव की आराधना से पापों का नाश, रोगों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। द्वादशी पर दान और व्रत का पारण करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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