23 August 2025 Ko Kya Hai? जानिए भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि, इस दिन के व्रत, पूजा विधि और धार्मिक महत्व की पूरी जानकारी।
23 अगस्त 2025 का दिन धार्मिक उत्सव, आस्था और शुभ संयोगों से सजा होगा। इस खास दिन कौन-कौन से व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे, इनके पीछे की पौराणिक कथाएं क्या कहती हैं और कौन से शुभ मुहूर्त आपके लिए विशेष फलदायी रहेंगे, यह जानना बेहद रोचक होगा। इस लेख में जानिए 23 अगस्त 2025 से जुड़ी हर महत्वपूर्ण, रोचक और खास जानकारी।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 23 अगस्त 2025 को कौन-सा व्रत, पर्व या तिथि है? यह दिन धार्मिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है? आइए जानते हैं। दरअसल 23 अगस्त 2025 को शनिवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (दोपहर 11:56 बजे तक) और उसके बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। अमावस्या तिथि विशेष रूप से पितृ तर्पण, श्राद्ध, और पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए मानी जाती है। इस दिन पिठोरी अमावस्या पर्व मनाया जाएगा, जो पितृ शांति और घर-परिवार में सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
तिथि: अमावस्या (दोपहर 11:56 बजे तक), फिर प्रतिपदा
नक्षत्र: मघा (रात 12:16 बजे तक), फिर पूर्वा फाल्गुनी
योग: पारिघ योग (दोपहर तक), फिर शिव योग
करण: नाग करण, फिर किम्सुघ्न और बाव करण
वार: शनिवार
पिठोरी अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इस दिन व्रत, स्नान, दान और दीपदान करने से जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। यह दिन उन लोगों के लिए भी विशेष है जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विधिपूर्वक कर्म करना चाहते हैं।
प्रातः स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें।
पवित्र नदी या घर में गंगाजल से स्नान कर तर्पण करें।
पितरों को तिल, जल, पुष्प और अन्न अर्पित करें।
ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं और दान दें।
संध्या समय दीपदान करें और पितरों का स्मरण करें।
राहुकाल: सुबह 9:19 बजे से 10:54 बजे तक
शुभ मुहूर्त: सुबह 7:00 से 9:00 बजे और दोपहर 12:30 से 3:00 बजे तक
23 अगस्त 2025 को अमावस्या और प्रतिपदा का संगम पितृ शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है। इस दिन विधिपूर्वक पितृ तर्पण, श्राद्ध, दान और दीपदान करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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