14 अक्टूबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, व्रत और पूजा का महत्व, शुभ-अशुभ समय और आराधना से जुड़ी खास जानकारी।
14 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ, दान और व्रत से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख और सफलता की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए 14 अक्टूबर 2025 का धार्मिक महत्व, शुभ कर्म और इससे जुड़ी खास बातें।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 14 अक्टूबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है? 14 अक्टूबर 2025, मंगलवार का दिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। यह दिन कालाष्टमी के रूप में अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। इस तिथि पर भगवान भैरव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इस दिन उपवास, भैरव स्तुति और रात्रि जागरण करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में भय, रोग व बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
पंचांग विवरण
महत्त्व और पूजा
कालाष्टमी व्रत
कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव अष्टमी या कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन भक्त भगवान भैरव की पूजा करते हैं और रात्रि में जागरण करके “ॐ ह्रीं भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करते हैं। यह व्रत शत्रु भय, अकाल मृत्यु और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाला माना गया है।
हनुमान पूजा
मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा भी अत्यंत फलदायी होती है। सिंदूर, चोला और बूंदी के भोग से भक्तों को बल, बुद्धि और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
भगवान भैरव या हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएँ।
धूप, पुष्प, बेलपत्र और इत्र अर्पित करें।
“भैरव चालीसा” या “हनुमान चालीसा” का पाठ करें।
रात्रि में भैरव नाम का स्मरण करते हुए जागरण करें।
शुभ-अशुभ समय
शुभ मुहूर्त: 11:22 AM से 12:08 PM
राहुकाल: 2:39 PM से 4:06 PM
गुलिक काल: 11:45 AM से 1:12 PM
यमघण्ट काल: 8:51 AM से 10:18 AM
सूर्य और चंद्र
सूर्योदय: 5:57 AM
सूर्यास्त: 5:33 PM
चंद्रोदय: 12:10 AM
चंद्रास्त: 1:21 PM
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: मिथुन
दिशाशूल: उत्तर दिशा
ऋतु: शरद
अयन: दक्षिणायन
निष्कर्ष
14 अक्टूबर 2025 का दिन कालाष्टमी और मंगलवार होने के कारण अत्यंत शुभ है। इस दिन भगवान भैरव और हनुमान जी की आराधना से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं, भय समाप्त होता है और आत्मबल की वृद्धि होती है। यह दिन अध्यात्म, साधना और आत्मशक्ति के जागरण का प्रतीक है।
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