
12 नवंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, गोपाष्टमी पर्व, गो पूजा की विधि, शुभ-अशुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व से जुड़ी खास जानकारी।
12 नवंबर 2025 का दिन आस्था और श्रद्धा से परिपूर्ण है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में मदद करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन की साधना से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 12 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है? 12 नवंबर 2025, बुधवार के दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन कालभैरव जयंती और कालाष्टमी जैसे विशेष पर्व मनाए जाते हैं। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव नाथ की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं और भैरव मंदिरों में विशेष पूजन करते हैं ताकि जीवन से भय, पाप और कष्ट दूर हों।
तिथि: कृष्ण पक्ष अष्टमी – रात्रि 10:59 बजे तक
नक्षत्र: अश्लेषा – सायं 6:37 बजे तक
योग: शुक्ल – प्रातः 8:02 बजे तक
करण: बालव – प्रातः 11:01 बजे तक
वार: बुधवार
मास: कार्तिक (अमान्त), मार्गशीर्ष (पूर्णिमान्त)
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: कर्क
ऋतु: शरद ऋतु
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: उत्तर दिशा
सूर्योदय: 6:14 AM
सूर्यास्त: 5:12 PM
चंद्रोदय: 12:03 AM (13 नवंबर की रात्रि)
चंद्रास्त: 12:40 PM
कालभैरव जयंती
12 नवंबर 2025 को कालभैरव जयंती मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव के भयहरक स्वरूप भैरव के प्रकट होने का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की उपासना करने से जीवन के सभी भय, पाप, दोष और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। भैरव जी की विशेष पूजा अर्धरात्रि में की जाती है। भक्त “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करते हैं और काले कुत्ते को भोजन कराते हैं।
कालाष्टमी
यह तिथि हर महीने आती है, लेकिन कार्तिक मास की कालाष्टमी विशेष मानी जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान भैरव का जन्म हुआ था। उपवास, दीपदान और रात्रि-जागरण इस दिन के प्रमुख अनुष्ठान हैं।
प्रातःकाल स्नान कर भगवान शिव और भैरव की प्रतिमा स्थापित करें।
सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काले तिल, पुष्प, धूप, और सुगंध अर्पित करें।
“ॐ कालभैरवाय नमः” या “ॐ भयहराय नमः” मंत्र का जाप करें।
दिनभर उपवास रखें या फलाहार करें।
रात्रि में भैरव चालीसा या कालभैरव अष्टक का पाठ करें।
शुभ मुहूर्त: 11:22 AM से 12:04 PM
राहुकाल: 11:43 AM से 1:05 PM
गुलिक काल: 10:21 AM से 11:43 AM
यमघंट काल: 7:36 AM से 8:58 AM
12 नवंबर 2025 का दिन कालभैरव जयंती और कालाष्टमी के कारण अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, भय का अंत और आत्मबल की वृद्धि होती है। जो भक्त इस दिन श्रद्धा से भैरव आराधना करते हैं, उन्हें जीवन में सफलता, सुरक्षा और शांति की प्राप्ति होती है।
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