गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं
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गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा का दिन अपने जीवन में गुरु के महत्व को स्मरण करने और उन्हें धन्यवाद देने का शुभ अवसर है। इस दिन भेजें प्रेरणादायक और भावपूर्ण शुभकामनाएं।

गुरु पूर्णिमा के बारे में

ब्रह्मांड की उत्पत्ति के पहले क्षण से ही जहां अंधकार था, वहां पहली किरण ज्ञान के रूप में फूटी। वह ज्ञान किसी ग्रंथ से नहीं, बल्कि एक चेतना से निकला– जो गुरु कहलाया। जब त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने भी ज्ञान की आवश्यकता समझी, तब उन्होंने गुरु के स्वरूप को साकार किया। हम इस लेख में गुरु पूर्णिमा के बारे में विस्तार से समझेंगे।

गुरु पूर्णिमा कब है?- 2025

गुरु पूर्णिमा 2025 में 10 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पर्व उस चेतना को समर्पित है जिसने अंधकार में भटकती आत्माओं को परम सत्य की ओर मोड़ा। भारतीय संस्कृति में गुरु केवल शिक्षक नहीं, बल्कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप माने गए हैं। जब भगवान शिव ने ध्यानस्थ होकर सप्तऋषियों को योग और ब्रह्मज्ञान प्रदान किया, तो वो आदि गुरु कहलाए। जब विष्णु ने नारद को भक्ति का अमृत दिया, और कृष्ण ने संदीपनि ऋषि से 64 कलाएं सीखीं, तब उन्होंने गुरु के महत्व को स्वयं अनुभव किया।

गुरु पूर्णिमा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आधार

गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी जानी जाती है। उन्होंने वेदों का वर्गीकरण किया, महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की और श्रीमद्भागवत जैसे अमृत ग्रंथ दिए। इसलिए उन्हें “आदि ग्रंथकर्ता” और “आदि गुरु” माना गया। इस दिन को "व्यास पूर्णिमा" भी कहते हैं, क्योंकि उन्होंने न केवल ज्ञान दिया, बल्कि उसकी धाराओं को समाहित कर संसार को व्यवस्थित रूप में सौंपा।

गुरु का स्थान

भगवान शिव – गुरु तत्व के आधार स्तंभ

भगवान विष्णु और नारद संवाद

श्रीकृष्ण और संदीपनि आश्रम

पार्वती और शिव का गुरु-शिष्य योग

गुरु का स्वरूप: केवल शिक्षा नहीं, जीवन दृष्टि

गुरु वह नहीं जो केवल पढ़ाए, बल्कि वह है जो शिष्य के हृदय में निवास करे।

गुरु की दृष्टि से आत्मा जागृत होती है, उसका स्पर्श भटकती चेतना को स्थिर करता है।

गुरु वो दीपक है जो खुद जलकर शिष्य का अंधकार हरता है।

वह शरीर में नहीं, चेतना में निवास करता है।

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

1. गुरु की छाया में जीवन धन्य हो जाए,

हर अंधकार खुद-ब-खुद सिमट जाए।

गुरु पूर्णिमा की आत्मीय बधाई।

2. ज्ञान का दीप जले हर द्वार पर,

गुरु का आशीष हो हर विचार पर।

गुरु पूर्णिमा की मंगलकामनाएं।

3. गुरु का वचन हो जैसे गीता का ज्ञान,

जिससे संवर जाए जीवन का हर स्थान।

गुरु पूर्णिमा पर नमन।

4. चरणों में जिनके आत्मा को विश्राम मिले,

ऐसे गुरु को हृदय से प्रणाम मिले।

शुभ गुरु पूर्णिमा।

5. जीवन की डोर गुरु के हाथ में हो,

फिर न कोई भटकाव हो, न कोई रोना हो।

गुरु पूर्णिमा की कोटिशः शुभकामनाएं।

6. जो हर मौन में भी संवाद करें,

वो गुरु ही तो हैं जो जीवन साध करें।

गुरु पूर्णिमा पर सादर नमन।

7. गुरु की महिमा को शब्द नहीं समझा सकते,

वो तो जीवन के परम भाव से पहचाने जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा की आध्यात्मिक शुभकामनाएं।

8. जिनके स्पर्श से चेतना जागे,

ऐसे गुरु को सदा वंदन भागे।

गुरु पूर्णिमा की आत्मीय वंदना।

9. दीपक जलाएं गुरुचरणों में,

जीवन प्रकाशित हो उन किरणों में।

शुभ गुरु पूर्णिमा।

10. जब मन विचलित हो, गुरु ही संभालते हैं,

उनके बिना तो भाव भी बेसुध रहते हैं।

गुरु पूर्णिमा की स्नेहमयी शुभकामनाएँ।

11. चंद्रमा की तरह पूर्ण बनाएं गुरु,

जीवन को मधुरता से सजाएं गुरु।

गुरु पूर्णिमा की दिव्य बधाई।

12. गुरु की वाणी से शुद्ध हो विचार,

और आत्मा हो परम से साकार।

गुरु पूर्णिमा पर कोटि प्रणाम।

13. जब शब्द रुक जाएं,

तब गुरु की मौन भाषा साथ निभाए।

शुभ गुरु पूर्णिमा।

14. हर जन्म में ऐसा गुरु मिले,

जिसकी कृपा से आत्मा खिले।

गुरु पूर्णिमा की बधाई।

15. मंदिर और मस्जिद से आगे है गुरु का धाम,

जहां मिलता है आत्मा को सच्चा आराम।

गुरु पूर्णिमा की वंदना।

16. विचारों में जो स्पष्टता लाएं,

वो गुरु ही तो हैं जो हमें सच्चा बनाएं।

गुरु पूर्णिमा की शांति से भरी बधाई।

17. ईश्वर तक ले जाने वाले वही,

जो गुरु बनकर जीवन संवारें सभी।

गुरु पूर्णिमा की पवित्र शुभकामनाएँ।

18. गुरु का सान्निध्य मिले हर पथ पर,

हर शिष्य को संबल मिले उस रथ पर।

शुभ गुरु पूर्णिमा।

19. केवल नाम नहीं,

गुरु आत्मा का भाव है।

गुरु पूर्णिमा की भावपूर्ण बधाई।

20. जहां श्रद्धा हो और समर्पण का दीप,

वहीं गुरु का आशीर्वाद हो अनूप।

गुरु पूर्णिमा की आत्मिक शुभकामनाएं।

21. आशीर्वाद में छुपा है जो ब्रह्मज्ञान,

गुरु उसी का सर्वोच्च स्थान।

गुरु पूर्णिमा की दिव्य वंदना।

गुरु ही जीवन के मूल मंत्र हैं

गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, यह आत्मा की जागृति का दिन है। यह वह क्षण है जब शिष्य, अपने जीवन के सबसे पावन स्रोत को नमन करता है। गुरु के चरणों में बैठकर वह परम सत्य को ग्रहण करता है– बिना किसी शर्त के, केवल समर्पण के साथ।

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Published by Sri Mandir·May 29, 2025

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