क्या आप जानते हैं योगिनी एकादशी 2025 का व्रत कैसे बदल सकता है आपका जीवन? जानें तिथि, महत्व, पूजा विधि और लाभ इस खास लेख में!
योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्ति का मार्ग है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उपवास रखने से सभी कष्टों का नाश होता है।
भक्तों नमस्कार! श्री मंदिर पर आपका स्वागत है! योगिनी एकादशी, निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार योगिनी एकादशी आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ती है। इस एकादशी पर व्रत रखने व भगवान विष्णु की उपासना करने से अट्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने सामान फल प्राप्त होता है।
चलिए जानते हैं कि आषाढ़ मास में योगिनी एकादशी कब है
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:46 ए एम से 04:27 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:07 ए एम से 05:08 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:32 ए एम से 12:27 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:17 पी एम से 03:12 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:50 पी एम से 07:11 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:51 पी एम से 07:53 पी एम तक |
अमृत काल | 01:12 पी एम से 02:41 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:39 पी एम से 12:21 ए एम, 22 जून तक |
वर्ष भर में चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। और जब मलमास होता है तो एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। इन्हीं एकादशी तिथियों में एक एकादशी व्रत ऐसा भी है, जिसे यदि पूरी आस्था से किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह है आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु अपने उपासक को मनोवांछित फल देते हैं।
भगवान विष्णु के भक्तों के लिए योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पांडव भाइयों में भीम को छोड़कर सभी हर मास में आने वाली दोनों एकादशी तिथियों पर व्रत रखते थे।
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ की योगिनी एकादशी व्रत का महात्म्य सुनाने का आग्रह किया। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो जातक श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, एवं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सभी सुख भोगने के बाद बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है।
आपको बता दें कि योगिनी एकादशी पर विष्णु पूजा के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।
भक्तों, ये थी योगिनी एकादशी के महत्व से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख सम्पन्नता बनी रहे।
सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -
नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।
इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, यह पूजा सेवा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।
(सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
(ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।
एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित महत्वपूर्ण तिथि है, और इस दिन किये गए व्रत और पूजा से प्रसन्न होकर श्री हरि आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। परन्तु कुछ भक्तगण ऐसे भी हैं जो कि व्रत करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि एकादशी पर जो भक्तजन व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें -
अगर आप घर पर किसी भी प्रकार से पूजा करने में भी असमर्थ हैं तो आप निकटम विष्णु जी के मंदिर में जाकर भी उनका ध्यान कर सकते हैं। यदि संभव हो पाए तो आप एकादशी पर मंदिर में भोग और दक्षिणा अर्पित करें। इसमें आप श्री मंदिर पर उपलब्ध चढ़ावा सेवा का लाभ भी ले सकते हैं।
इस दिन किसी जरूरतमंद को अपनी क्षमता के अनुसार अन्न दान या वस्त्रदान अवश्य करें। यह दान आप किसी व्यक्ति के साथ ही पशु को भी कर सकते हैं, क्योंकि दीनबंधु दीनानाथ कण कण में विद्यमान हैं। आप गौशाला जाकर गौ माता को भी चारा खिला सकते हैं। इसके अलावा आप अन्य पशुओं को भी खाना खिला सकते हैं। इस प्रकार दान-पुण्य करते हुए हरि नाम के जाप के साथ अपना दिन व्यतीत करें।
अगर आप एकादशी पर मंदिर भी नहीं जा पा रहें हैं, दान भी नहीं कर पा रहे हैं तो अपने फोन में ही श्री मंदिर पर भगवान विष्णु का मंदिर स्थापित करके उनका ध्यान कर सकते हैं। साथ ही भगवान जी की आरती, चालीसा, भजन और मंत्र भी आप इस दिन अवश्य सुनें। तो भक्तों इस तरह एकादशी की तिथि व्यतीत करने से आप बिना व्रत किये भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद और इस शुभ तिथि का पुण्य फल प्राप्त करेंगे।
भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।
एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-
ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।
इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।
इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।
श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।
तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।
इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।
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