योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व

योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व

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योगिनी एकादशी व्रत 2024 (Yogini Ekadashi Vrat 2024)



योगिनी एकादशी निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार योगिनी एकादशी आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ती है। इस एकादशी पर व्रत रखने व भगवान विष्णु की उपासना करने से अट्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने सामान फल प्राप्त होता है।

हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए हर मास में आने वाली कृष्ण व शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रंथों में हर एकादशी का अपना अलग महत्व बताया गया है। वहीं आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी योगिनी एकादशी के नाम से मनाई जाती है। साल 2024 में योगिनी एकादशी 02 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी।

क्या है योगिनी एकादशी (What Is Yogini Ekadashi)



वर्ष भर में चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। और जब मलमास होता है तो एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है। इन्हीं एकादशी तिथियों में एक एकादशी व्रत ऐसा भी है, जिसे यदि पूरी आस्था से किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह है आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु अपने उपासक को मनोवांछित फल देते हैं।

योगिनी एकादशी का महत्व (Importance Of Yogini Ekadashi)


भगवान विष्णु के भक्तों के लिए योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पांडव भाइयों में भीम को छोड़कर सभी हर मास में आने वाली दोनों एकादशी तिथियों पर व्रत रखते थे।

एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ की योगिनी एकादशी व्रत का महात्म्य सुनाने का आग्रह किया। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि जो जातक श्रद्धापूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, एवं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सभी सुख भोगने के बाद बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी पर विष्णु पूजा के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है।

2024 कब है योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2024 Date And Time )



  • योगिनी एकादशी आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर 02 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी।
  • एकादशी तिथि का प्रारम्भ 01 जुलाई 2024 को 10 बजकर 26 मिनट से होगी
  • एकादशी तिथि का समापन 02 जुलाई 2024 को 08 बजकर 42 मिनट पर होगा।
  • वहीं 03 जुलाई को पारण का समय सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

योगिनी एकादशी पूजा विधि ( Yogini Ekadashi Puja Vidhi)


सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं एकादशी पर की जाने वाली पूजा पर उपयोग की जाने वाली सामग्री, पूजा विधि और कैसे करें पूजा की तैयारी -
पूजा सामग्री

  • चौकी
  • पीला वस्त्र
  • गंगाजल
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • अक्षत, जल का पात्र, पुष्प, माला
  • मौली या कलावा
  • जनेऊ
  • धूप
  • दीप
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • चन्दन
  • अगरबत्ती
  • तुलसीदल
  • पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री), मिष्ठान्न, ऋतुफल, घर में बनाया गया नैवेद्य।

नोट- गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।

पूजा की तैयारी-

  • एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
  • दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
  • इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
  • अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
  • अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।

एकादशी की पूजा विधि-

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
  • (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
  • (ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।

एकादशी मंत्र और लाभ (Ekadashi Mantra And Benefits)


एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से आपको इस व्रत का सम्पूर्ण फल प्राप्त होगा।

कुछ जातक एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, लेकिन यदि वे भी पूजा के समय भगवान विष्णु का स्मरण करके नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करते हैं, तो वो भगवान विष्णु की कृपा का पात्र अवश्य बनेंगे।

1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

मंत्र का लाभ- यह मंत्र सर्वोत्तम विष्णु मंत्र माना जाता है। एकादशी के दिन 108 बार इस मंत्र का जाप करने से भगवान अति प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
2- कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

मंत्र का लाभ- जीवन में आंतरिक, पारिवारिक क्लेश दूर हो जाते हैं। मानसिक दुविधाओं से निजात पाने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं।
3- नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥

मंत्र का लाभ- इस मंत्र के जाप से पारिवारिक कलह दूर होती है, और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
4- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् । लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

मंत्र का लाभ- इस मंत्र के जाप से मनुष्य निडर होता है।

5- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरायेः अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय् त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्रीधनवन्तरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः ॥

मंत्र का लाभ- इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।



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